काउंटर फैक्ट

Why is Kejriwal tweeting so much about Modi?

Sudhir Bisht Many a leader has been making great use of Twitter to reach out to supporters and constituents. Prime Minister Narendra Modi has been tweeting with much enthusiasm, so much so that his critics have stopped pointing at what he tweets, but instead focus on what Modi misses to tweet. On May 26, Arvind

जेएनयू के वामपंथी प्रोफेसरों की करतूत, नक्सलियों के समर्थन में गये बस्तर

एकबार फिर यह साबित हुआ है कि जेएनयू में वामपंथी विचारधारा वाले प्रोफेसर्स के लिए जो नक्सलियों का हितैषी होने की बात कही जाती है, वो एक सच्चाई है। उनका सच पहले जनता को नहीं पता था लेकिन अब जनता को भी पता चल चुका है। अब जनता पुलिस के पास इनकी शिकायत करने लगी

मोदी हैं बेहतरीन नेता, मुसलमान दें उनका साथ: हाशिम अंसारी

आईबीएन की वेबसाईट पर छपी खबर में साफ़ लिखा है कि बाबरी ढांचा मामले के मुद्दई हाशिम अंसारी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खुलकर न सिर्फ तारीफ़ की है, बल्कि उन्हें काम करने वाला नेता बताया है। हाशिम ने मुसलमानों से मोदी का साथ देने की अपील की है। मोदी की तारीफ़ करते हुए हाशिम

सेना को बदनाम करने वाले बेनकाब हुए

रमेश ठाकुर अलगाववादी और उनके समर्थकों ने सैनिकों पर मनगढ़ंत आरोप लगाकर कश्मीर जैसे संवेदनशील राय की फिजां बिगाड़ने की कोशिश की है। अभी कुछ समय पहले ही जेएनयू कांड के कन्हैया कुमार ने सैनिकों पर रेप के झूठा आरोप लगाया था। इस आरोप से हमारी सेना ऊबरी भी नहीं थी कि एक बार फिर

सेना को बदनाम करने की साजिश का सच

लोकमित्र गत 12 अप्रैल 2016 को श्रीनगर से 40 मील दूर स्थित हंदवाड़ा कस्बे में एक स्कूली लड़की वॉश रूम गई थी। जब वह वॉश रूम के बाहर निकली तो उसके साथ वहीं बाहर मौजूद दो लड़कों ने बदतमीजी करने की कोशिश की। वो वॉश रूम के बाहर उसका इंतजार कर रहे थे, जब लड़की

जेएनयू बनाम एनआईटी- अभिव्यक्ति और असहिष्णुता के मापदंड

राजीव रंजन प्रसाद  लेखकीय जमात में मॉस्को से लेकर दिल्ली तक घनघोर शांति है। समाजसेवा की दुकानों में इस समय नया माल उतरा नहीं है। वो येल-तेल टाईप की चालीस-पचास युनिवर्सिटियां जिन्होंने जेएनयू देशद्रोह प्रकरण में नाटकीय हस्तक्षेप किये थे और कठिन अंग्रेजी में कठोर बयान जारी किये थे उनके अभी एकेडेमिक सेशन चल रहे

भाजपा ने की घोषणा

जिस संघ को कांग्रेस ने अपने खिलाफ उठे जनाक्रोश को भटकाने के लिए फासीवादी कहा था उसी संघ के एक शिविर में जेपी 1959 में जा चुके थे. उन्होंने संघ को कभी अछूत नहीं माना. आपातकाल के बाद जब जेपी जेल से छूटे तो उन्होंने मुंबई में एक सभा को संबोधित करते हुए कहा था,

जनता से खारिज वामपंथियों का रैन-बसेरा है जेएनयू

शिवानन्द द्विवेदी  वामपंथ की राजनीति एवं उनके दलीय संगठनात्मक ढाँचे का अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन करने पर यही निष्कर्ष निकलता है कि दुनिया के कमोबेश सभी लोकतांत्रिक देशों की जनता ने वामपंथी दलों एवं उनकी विचारधारा को लोकतंत्र के अनुकूल नहीं मानते हुए, सिरे से नकार दिया है। यानी दो टूक कहें तो जहाँ भी