काउंटर फैक्ट

उत्तराखंड : खली का शो आयोजित करने वाले क्या समझेंगे इन्वेस्टर्स समिट का अर्थ?

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून का क्रिकेट स्टेडियम अब तक दो मेगा शो का गवाह बन चुका है। पहला आयोजन वर्ष 2016 के फरवरी महीने में हुआ था। ‘द ग्रेट खली रिटर्न्स मेगा शो’ के नाम से आयोजित इस कार्यक्रम का तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने ऐसे प्रचार किया, मानो यह प्रदेश की तकदीर बदल देगा। मेगा शो को सफल बनाने के लिए कांग्रेस सरकार ने अपनी पूरी ताकत

गुजरात : क्यों लग रहा कि ‘ठाकोर सेना’ की हिंसा को कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन प्राप्त है?

कांग्रेस पार्टी दो दशक से अधिक समय से गुजरात की सत्ता से बाहर है। जाहिर  है, वहां की जनता का उसपर से विश्वास उठ चुका है। गुजरातवासियों को वर्तमान में विकास के मुद्दे को लेकर कांग्रेस से रत्ती भर भी उम्मीद नहीं है। अब यही बात कांग्रेस को हजम हो नहीं रही है और सत्ता के प्रति अपनी लालसा के कारण अब कांग्रेस गुजरात जैसे समृद्ध राज्य में अशांति फैलाकर अपनी

क्यों कहा जा रहा कि मोदी को हराने के लिए पाकिस्तान से भी गठबंधन कर लेगी कांग्रेस?

भारत में लोक सभा चुनाव से पहले की सियासत पूरी तरह से पक चुकी है। यहाँ हर राजनीतिक दल के लिए मौका है कि वह अपनी नीतियों को लेकर जनता के बीच जाए। लेकिन सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस कुछ ज्यादा ही बेचैन दिख रही। येन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाने के लिए वह हरसंभव हथकंडे अपना रही है।

क्या 97 हजार करोड़ की बंदरबांट ही अखिलेश यादव का समाजवाद है?

उत्‍तर प्रदेश से एक बड़े घोटाले की आहट सुनाई दे रही है। बताया जाता है कि ये घोटाला 97 हजार करोड़ रुपए का है जो कि अपने आप में बहुत बड़ी राशि है। देश की सबसे बड़ी ऑडिट एजेंसी सीएजी (कैग) की रिपोर्ट में यह गड़बड़ी उजागर हुई है। अधिक चौंकाने वाली बात तो यह है कि इस राशि के खर्च का कोई हिसाब अभी तक प्रस्‍तुत नहीं किया गया है। यानी 97 हजार

भारत बंद से माल्या तक, नेशनल हेराल्ड से ध्यान भटकाने के लिए क्या-क्या करेगी कांग्रेस!

बीता सप्‍ताह सिलसिलेवार सियासी घटनाक्रमों का साक्षी रहा। अव्‍वल तो भगोड़े कारोबारी विजय माल्‍या की लंदन स्थित कोर्ट में पेशी के दौरान उसका यह सनसनी फैलाने वाला बयान कि वह देश छोड़ने से पहले वित्‍त मंत्री अरुण जेटली से मिला था, सुर्ख़ियों में रहा। हालांकि जेटली ने तुरंत ही माल्‍या के बयान का खंडन करके बेसिर पैर की अफवाहों, अटकलों को वहीं रोक दिया लेकिन

कठुआ के ‘बहादुर’ केरल के चर्चकाण्ड पर मुंह में दही जमाए क्यों बैठे हैं?

पिछले दिनों केरल में पादरी द्वारा नन से दुष्कर्म का मामला सामने आया। इसके बाद से ही देश में चर्चों के शोषण-साम्राज्य को लेकर आक्रोश का माहौल है। सोशल मीडिया पर भी इसलि आलोचना हो रही। लेकिन विडंबना है कि वे तथाकथित सेकुलर और वामपंथी गिरोह के लोग जो कठुआ प्रकरण पर हवा-हवाई ढंग से मंदिरों को बलात्कार का गढ़ कहते नहीं थक रहे थे, केरल के

क्या कांग्रेस का भारत बंद नेशनल हेराल्ड मामले से ध्यान भटकाने की साजिश था?

घोटालों और भ्रष्टाचार से कांग्रेस पार्टी का पुराना नाता रहा है। जब भी देश में किसी घोटाले का नाम आता है या कोई कारनामा उजागर होता है तो कांग्रेस पार्टी के भी तार उससे कहीं न कहीं जुड़े होते हैं। लेकिन फिलहाल नेशनल हेराल्ड का जो मामला चर्चा में है उसमें खुद कांग्रेस पार्टी के वर्तमान और पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी तथा सोनिया गाँधी जमानत पर हैं।

कांग्रेस का भारत बंद तो विफल रहा ही, इसके बहाने विपक्षी एकजुटता की मंशा भी हुई फुस्स!

बंद का आह्वान करना राजनीतिक दलों का लोकतान्त्रिक अधिकार है, लेकिन बंद के नाम पर हिंसा करना कतई उचित नहीं कहा जा सकता। आज जब कांग्रेस के नेतृत्व में दर्जन भर पार्टियों ने बंद का आयोजन किया तो लक्ष्य यही था कि पेट्रोल उत्पादों की बढ़ती कीमत के बारे में सरकार पर दबाव बनाया जाए।

शहरी नक्सल : अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में देश-विरोधी मंसूबों को अंजाम देने वाला गिरोह!

भारत शुरू से ही एक उदार प्रकृति का देश रहा है, सहनशीलता इसकी पहचान रही है और आत्मचिंतन इसका स्वभाव। लेकिन जब किसी देश में उसकी उदार प्रकृति का ही सहारा लेकर उसमें विकृति उत्पन्न करने की कोशिशें की जाने लगें, और उसकी सहनशीलता का ही सहारा लेकर उसकी अखंडता को खंडित करने का प्रयास किया जाने लगें तो आवश्यक हो जाता है कि वह

इन तथ्यों से तो यही लगता है कि राफेल सौदे पर राहुल गांधी झूठ बोल रहे हैं!

बीते कुछ दिनों में कांग्रेस पार्टी और उनके नामदार अध्यक्ष राहुल गाँधी ने राफेल लड़ाकू विमान सौदे पर पूरे देश को गुमराह करने का अभियान चला रखा है। अपनी अज्ञानता के कारण या यूँ कहें कि अपनी परिवारवादी सोच से ग्रसित कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्र की सुरक्षा को भी दरकिनार करते हुए सर्वप्रथम अपने निजी हितों को महत्ता दी है।