ब्लॉगवाणी

तय कीजिये आतंक का मज़हब, वर्ना ये आपका मजहब तय कर देगा

मेरे एक मुस्लिम मित्र थे, जिनसे पहली बार 2012 में मुलाकात हुई थी। प्रथमद्रष्टया स्वभाव के अच्छे लगे, अतः उनसे आत्मीयता भी बढ़ गयी, लेकिन उनका भोलापन और मृदुभाषी होना महज एक दिखावा था। इस बात का आभास मुझे उस समय हुआ जब हम लोग बाटला हाउस एनकाउंटर पर चर्चा कर रहे थे।

कोर्ट के फैसले के बाद अब रार छोड़ें और दिल्ली में कुछ काम भी करें केजरीवाल

दिल्ली हाईकोर्ट ने केजरीवाल सरकार की अपील पर जो फैसला सुनाया है, वह उसके लिए झटका भी है और बचाव का रास्ता भी। हाईकोर्ट ने साफ कर दिया है कि दिल्ली के असल प्रशासक दिल्ली के उपराज्यपाल ही है। जिस 69वें संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली में विधानसभा है और सरकार बनी है, उसके मुताबिक दिल्ली का उपराज्यपाल ही दिल्ली का असल प्रशासक है और वह केंद्रीय गृहमंत्रालय के अधीन प्रशासन चलाता है। रही बात विधानसभा की तो उसकी वह हैसियत नहीं है, जो हैसियत संघ के दूसरे राज्यों की है।

गृहमंत्री राजनाथ सिंह की गर्जना से ऐसे डरा पाकिस्तान कि कर दिया ब्लैक आउट!

पाकिस्तान के इस्लामाबाद में दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) की बैठक..

केजरीवाल सरकार की अराजकता पर कोर्ट का अंकुश, उपराज्यपाल ही हैं दिल्ली के असली बॉस

दिल्ली की केजरीवाल सरकार द्वारा उपराज्यपाल से अधिकारों के टकराव को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने इस सरकार को फटकार लगाते हुए स्पष्ट किया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की कैबिनेट की सलाह के मुताबिक काम करने के लिए बाध्य नहीं हैं। केजरीवाल सरकार ने अधिकार क्षेत्र के बंटवारे को लेकर अदालत का दरवाज़ा खटखटाया था।

राष्ट्र-प्रथम: अगर जापान पर बुद्ध ने भी आक्रमण कर दिया तो राष्ट्रहित में युद्ध को तैयार हैं जापानी बच्चे!

स्विट्जरलैंड की 77 प्रतिशत आबादी ने सरकार द्वारा प्रस्तावित भारी-भरकम राशि (लगभग 1,75000 वयस्कों तथा 45000 अवयस्कों के लिए) लेने से मना कर दिया! अमेरिका ने अपनी मानवाधिकारवादी एवं लोकतांत्रिक छवि को दाँव पर लगा 9/11 की घटना को अंजाम देने वाले समुदाय के लिए कठोर जाँच-प्रक्रिया की पद्धत्ति अपनाई और वहाँ के नागरिकों ने इसके विरुद्ध कोई ह-हल्ला नहीं हुआ।

नेशनल राइटर्स मीट: लेखकों के जुटान से मिला अनुभवों का पिटारा

डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउन्डेशन द्वारा दिल्ली में 30-31 जुलाई को आयोजित नेशनल राइटर्स मीट में देश भर से तीन सौ से ज्यादा लेखकों ने हिस्सा लिया। व्याख्यान अब सवाल-जवाब वाले कई सत्र आयोजित हुए। फाउन्डेशन की वेबसाईट नेशनलिस्ट ऑनलाइन डॉट कॉम को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा लांच किया गया। इस कार्यक्रम से लौटकर अपना अनुभव साझा कर रहे हैं पुष्कर अवस्थी:

वामपंथी जमात की धमकियों को दरकिनार कर कार्यक्रम में गये नामवर सिंह

हिंदी आलोचना के शिखर पुरुष नामवर सिंह नब्बे साल के हो गए और दिल्ली के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र में दिनभर एक समारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में गृह मंत्री राजनाथ सिंह और संस्कृति मंत्री महेश शर्मा के अलावा पूरे देशभर के कई अहम साहित्यकारों ने शिरकत की। इंदिरा गांधी कला केंद्र द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम को लेकर प्रगतिशील लेखकों के पेट में दर्द शुरू हो गया था।

तय करें मुसलमान, वे हैदर रज़ा के साथ हैं या मकबूल फ़िदा हुसैन के साथ ?

सैयद हैदर रज़ा साहब के बारे में सोचते हुए यह लेख लिख रहा हूँ जो अभी 23 जुलाई को ही दिवंगत हुए हैं। स्वभाव की तरह यहां भी एंगल राष्ट्रवादी ही है और इस बड़े आदमी की तुलना अकस्मात मकबूल फ़िदा हुसैन जैसे दोयम दर्जे के व्यक्ति से कर बैठ रहा हूं। एक तरफ हैदर रजा हैं दूसरी तरफ मकबूल।

फिर बेनकाब हुआ संघ-विरोधियों का चरित्र

याद्दाश्त पर थोड़ा जोर डालें तो विगत वर्ष कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा एक जनसभा में भाजपा पर निशाना साधते हुए यह कहा गया था कि संघ के लोगों ने महात्मा गाँधी की हत्या की और अब उसी संघ से समर्थित भाजपा द्वारा गांधी का गुणगान किया जा रहा है। उनके इस वक्तव्य से आहत होकर भिवंडी के संघ कार्यकर्ता राजेश महादेव कुंटे द्वारा उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दर्ज कराया गया, जिसे खारिज करवाने के लिए वे पिछले साल मई में सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे।

ऊर्जा सुधारों ने विश्व में पहचान दिलाई

अनुपमा ऐरी किसी भी अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले भारत के बिजली क्षेत्र ने कभी ऐसे सुधार नहीं देखे थे जैसे पिछले दो सालों में देखे हैं। ऐसा नहीं है कि बिजली क्षेत्र में सुधारों पर अतीत में बात नहीं होती थी लेकिन न जाने क्यों वे उड़ान लेने में विफल रहे और सिर्फ