ब्लॉगवाणी

राष्ट्रकवि दिनकर और वामपंथी मठाधीशी

राष्ट्र, संस्कृति एवं भारत-भूमि के परम्परागत मूल्य जैसे शब्दों एवं से प्रेरित लेखकों, कवियों का जिक्र आता है, तो रामधारी सिंह दिनकर याद आते हैं। दिनकर का लेखन किसी एक विधा तक केन्द्रित न होकर समग्र था। वे राष्ट्रीयता के स्वरों को काव्य एवं गद्य दोनों ही विधाओं में मुखरता से उठाते रहे हैं। लेकिन

युद्ध की बात करने वाले क्या युद्ध झेलने के लिए तैयार हैं ?

दिनकर के इन्हीं शब्दों में भारत की उन्नत्ति और सभी समस्याओं का समाधान है। आज भारत का बुद्धिजीवी वर्ग असमंजस में है, बहुत-सी भ्रामक धारणाएँ उन्हें दिगभ्रमित कर रही हैं! कायरतापूर्ण दर्शन और कुटिल हृदय-मस्तिष्क से देश का उद्धार नहीं होने को! आज मानवाधिकार, धर्मनिरपेक्षता, सर्वधर्म समभाव की बातें बेमानी है, कोरा वितंडावाद है! सच तो ये है कि देश में एक अच्छा-खासा वर्ग है जो शल्य

मोदी सरकार की नीतियों से हर क्षेत्र में बदल रही देश की तस्वीर!

मोदी सरकार के अबतक के कार्यकाल पर एक दृष्टि डालें तो उसने गरीबों के हित में अनेक योजनाएं प्रारंभ की। गरीब परिवारों के लिए बैंकों के दरवाजे खुले, उनका बैंक अकाउंट खोला गया। गरीबों के बैंक अकाउंट को जीवन ज्योति बीमा, जीवन सुरक्षा बीमा और अटल पेंशन योजना के माध्यम से सामाजिक सुरक्षा कवच से जोड़ा गया। डीबीटी के माध्यम से यह सुनिश्चित किया गया कि गरीबों की सब्सिडी सीधे उनके

पटेल के बाद अब मोदी ने उठाया सोमनाथ मन्दिर को सजाने का बीड़ा

हिंदुओं की आस्था के प्रमुख मानबिंदु सोमनाथ मंदिर को स्वर्ण से सुसज्जित किया जा रहा है। अब तक 105 किलो सोने से मंदिर के अंदरूनी हिस्से और शिखर को सजाया जा चुका है। यह सोना एक भक्त ने दान में दिया है। सरकार ने इस काम में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं। दरअसल, सरकार

सत्ता के लोभ में ‘जंगलराज’ के सामने हथियार डाल दिए हैं नीतीश!

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कल तक ‘सुशासन बाबू’ के तौर पर पहचाने जाते थे, लेकिन अब उनकी यह छवि पीछे छूटने लगी है। बिहार में अब सुशासन की चर्चा नहीं, अपराध की बहार है। शहाबुद्दीन की वापसी ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि बिहार में अपराध पर लगाम लगाने में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नाकामयाब साबित हो रहे हैं। बिहार सरकार में शामिल राजद के विधायकों/मंत्रियों ने जिस तरह

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व का असर, जी-२० में पहली पंक्ति में मिली भारत को जगह!

यह संयोग ही है कि चौदह साल बाद दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री को ग्रुप-२० समिट में पहली कतार में खड़ा होने का अवसर मिला है। इसके पूर्व वर्ष २००२ में जब ग्रुप-२० समिट का आयोजन भारत में किया गया था, तो मेहमान देश होने के नाते भारत के प्रधानमंत्री पहली पंक्ति में खड़े हुए थे। यह संयोग ही है कि तब भी देश में भाजपा-नीत राजग की सरकार थी और आज चौदह साल बाद जब विदेशी जमीन पर किसी

चीनी आक्रामकता का कूटनीतिक जवाब है पीएम मोदी की वियतनाम यात्रा!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वियतनाम यात्रा दोनों देशों की रणनीतिक और आर्थिक साझेदारी को नया मुकाम देने की दिशा में एक बहुआयामी पहल है। इस यात्रा से जहां दोनों देशों के ऐतिहासिक-सांस्कृतिक विरासत को सहेजने में मदद मिलेगी, वहीं कूटनीतिक तौर पर चीन की बढ़ती आक्रामकता पर लगाम कसने में भी यह यात्रा सहायक सिद्ध होगी। बदलते वैश्विक परिदृश्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह यात्रा जितना

यूपी चुनाव आते ही लामबंद होने लगा असहिष्णुता गिरोह

असहिष्णुता की बहस को गुजरे अधिक समय नहीं हुआ। यदि आप असहिष्णुता की पूरी बहस में सक्रिय गिरोह की भूमिका को याद करें तो यह बिहार चुनाव से ठीक पहले सक्रिय हुआ था और बिहार चुनाव के ठीक बाद असहिष्णुता की पूरी बहस शांत हुई थी। चुनाव के दौरान अखलाक की हत्या को कमान बनाकर वामपंथी गिरोह ने बिहार चुनाव में तीर चलाया था। खैर, नीतीश की जीत के बाद असहिष्णुता की पूरी

मोदी सरकार के मजबूत नेतृत्व में चीन को पछाड़ सफलता की नई इबारत लिखेगा भारत!

चीन ने जिस तरह से, अमेरिका के राष्ट्रपति ओबामा का अपमानजनक स्वागत किया है उससे एक बात साफ़ है कि चीन आगे के समय में अमेरिका

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को समझना होगा कि यह देश संविधान से चलता है, मज़हबी कायदों से नहीं!

संविधान से उपर अपने कानूनों को सर्वश्रेष्ठ साबित करने में लगे मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुस्लिमों में प्रचलित तीन तलाक और चार शादियों के नियम को उचित ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट से पर्सनल लॉ में दखल न देते हुए इस प्रावधान को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खत्म करने की मांग की है। बोर्ड का कहना है कि ये पर्सनल लॉ पवित्र कुरान और हमारी धार्मिक स्वतंत्रता पर आधारित है, जिसे सुप्रीम कोर्ट द्वारा