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गौरी लंकेश मामले में मीडिया ने रिपोर्टिंग नहीं की, सीधे जज बन गयी !

पत्रकार और एक्टिविस्ट गौरी लंकेश की हत्या ने सभी सोचने-समझने वालों के मनो-मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया, एक सभ्य समाज में इस तरह की हत्या स्वीकार्य नहीं है। इस मुद्दे पर विचार करने से पहले यह जान लेना ज़रूरी है कि गौरी लंकेश शुद्ध तरीके से एक लेफ्टिस्ट विचारधारा का समर्थन करने वाली पत्रकार और एक्टिविस्ट थीं। उनके निशाने पर पिछले कई सालों से बीजेपी और संघ परिवार रहा था, इस तथ्य को स्वीकार

राजनीतिक जमीन के साथ-साथ बोलने की तमीज भी खोती जा रही है कांग्रेस !

कांग्रेस के उपाध्‍यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकार गौरी लंकेश हत्‍याकांड के मामले पर बयानबाजी करने में जिस प्रकार की जल्‍दबाजी दिखाई व बड़बोलापन प्रकट किया उससे उनकी राजनीतिक नासमझी पर मुहर ही लगी है। उन्‍होंने इस मामले का पूरी तरह राजनीतिकरण करते हुए भाजपा व आरएसएस पर आधारहीन होकर आरोप लगाए। उन्‍होंने कहा कि भाजपा व आरएसएस के खिलाफ जो भी बोलता है, उस पर हमला

बंगाल में भाजपा के बढ़ते प्रभाव से घबराई ममता तानाशाही पर उतर आई हैं !

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वोटबैंक सियासत में इतना उलझ गई हैं कि अब उन्हें राष्ट्रवादी विचारो से परेशानी होने लगी है। वस्तुतः इसे वह अपने लिए सबसे बड़ी चुनौती मानने लगी हैं। यही कारण है कि उनकी सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यक्रम हेतु महाजाति आडिटोरियम की बुकिंग रदद् करा दी। यह राज्य सरकार का आडिटोरियम है। बताया जाता है कि संबंधित अधिकारियों

कांग्रेस शासित कर्नाटक में हुई हत्या के लिए किस मुँह से भाजपा पर इल्जाम लगा रहे, राहुल गांधी!

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। यहां कानून व्यवस्था बनाये रखना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होना निस्संदेह दुखद और निंदनीय है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह यथाशीघ्र दोषियो को गिरफ्तार करके उन्हें कठोर सजा दिलवाए। यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई को सामने लाये। प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कहा कि अभी वह घटना की

तीन तलाक की अमानवीय व्यवस्था से मुक्त हुई मुस्लिम महिलाएं

एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए देश की सर्वोच्च अदालत की पांच न्यायाधीशों की बेंच ने मंगलवार को मुस्लिम महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाते हुए तीन तलाक को असंवैधानिक, गैर-कानूनी और अवैध करार दिया है। पांच न्यायधीशों की बेंच में 2:3 के बहुमत से यह फैसला लिया गया। मुख्य न्यायधीश जेएस खेहर और न्यायमूर्ति अब्दुल नज़ीर ने तीन तलाक को धार्मिक मुद्दा बताते हुए इसे न्यायलय के दायरे से बाहर बताया तो वही

केरल की वामपंथी हिंसा पर कब टूटेगी ‘असहिष्णुता गिरोह’ की खामोशी ?

केरल में आए दिन हो रही राजनीतिक हत्याओं से एक सवाल उठना लाजिमी है कि भारत जैसे प्रजातांत्रिक देश में क्या असहमति की आवाजें खामोश कर दी जाएगी? एक तरफ वामपंथी बौद्धिक गिरोह देश में असहिष्णुता की बहस चलाकर मोदी सरकार को घेरने का असफल प्रयास कर रहा है। वहीं दूसरी ओर उनके समान विचारधर्मी दल की केरल की राज्य सरकार के संरक्षण में असहमति की आवाज उठाने वालों को मौत के

इन तथ्यों से साबित होता है कि आज देश में फौलादी इरादों वाली निर्णायक सरकार है !

केंद्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद एक बात साफ़ हुई है कि विपक्ष की सोच के विपरीत भाजपा ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। राष्ट्रीय मुद्दों को लेकर एक सख्त और सर्वमान्य नीतियों को लेकर जनता ने भी सरकार का समर्थन किया है। मुद्दा चाहे राजनीतिक हो, सुरक्षा का हो या आर्थिक, नरेन्द्र मोदी सरकार ने स्टैंड लिया है। इसका नतीजा न सिर्फ चुनावी सफलता के तौर पर परिलक्षित हुआ है, बल्कि आम

अमित शाह के प्रवास कार्यक्रमों से घबराया हुआ है विपक्ष !

अमित शाह की सक्रियता भाजपा के लिये प्रेरणा बन रही है, लेकिन विपक्ष के लिये यह परेशानी का सबब है। अमित शाह, संगठन को मजबूत बनाने के लिये सभी प्रदेशों में प्रवास कर रहे हैं। उनकी यह यात्रा विरोधियों की धड़कने बढ़ा देती है। वह अपनी पार्टी की आंतरिक हलचल के लिये भी अमित शाह को दोषी बता रहे हैं

यूपी प्रवास : भाजपा को अजेय बनाने की तपस्या में जुटे अमित शाह

सोनू यादव, यूपी तो छोड़िए, लखनऊ के उस इलाके के लिए भी ये नाम अनजान ही था जहां ये रहते हैं, और तो और भारतीय जनता पार्टी में काम करने वाले ज्यादातर लोग भी शायद ही इस नाम से परिचित थे, पर अब सोनू यादव का नाम मीडिया से लेकर सियासत के गलियारों तक में चर्चा की वजह है। लोगों में उनके साथ सेल्फी लेने की होड़ है। दरअसल वे भारतीय जनता पार्टी में लखनऊ के एक छोटे से इलाके जुगौली के बूथ

केरल में संघ-भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्याओं पर कब टूटेगी मानवाधिकारवादियों की खामोशी ?

केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तथा भाजपा के कार्यकताओं के कत्लेआम का सिलसिला बदस्तूर जारी है। लोकतंत्र में मतभेद संवाद से दूर होते हैं, हिंसा के सहारे विरोधियों का खात्मा नहीं किया जाता। राजनीतिक हिंसा तो अस्वीकार्य है ही। पर, केरल में लेफ्ट फ्रंट सरकार को यह समझ नहीं आता। केरल में भाजपा और संघ के जुझारू और प्रतिबद्धता के साथ काम करने वाले कार्यकर्ताओं की नियमित रूप से होने वाली नृशंस