आदर्श तिवारी

बंधन एक्सप्रेस : भारत-बांग्लादेश संबंधों में बढ़ रहे सहयोग और विश्वास की मिसाल

गत 9 नवम्बर, 2017 की तारीख भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए बेहद ऐतिहासिक रही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बंग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये बंधन एक्सप्रेस को हरी झंडी दिखाई। यह सुखद था कि इन दिनों मोदी सरकार के हर फैसले पर विरोध का झंडा बुलंद करने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी इस अवसर पर कॉन्फ्रेंसिंग से जुड़ी रहीं। यह रेल सेवा सप्ताह में एक दिन

राजनीति में परिवारवाद को सही साबित करने के लिए बचकानी दलीलें दे रहे, राहुल गांधी !

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गाँधी ने अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया, बर्कले में छात्रों से चर्चा के दौरान कई ऐसी बातें कहीं जो कांग्रेस के भूत और भविष्य की रूपरेखा का संकेत दे रही हैं। इस व्याख्यान में राहुल गाँधी ने नोटबंदी, वंशवाद की राजनीति सहित खुद की भूमिका को लेकर पूछे गये सवालों के स्पष्ट जवाब दिए। मसलन 2014 के आम चुनाव से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए राहुल गाँधी ने कहा कि कांग्रेस 2012

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में गौशाला खोले जाने के प्रस्ताव का बेजा विरोध

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विशनखेड़ी में बनने वाले नए परिसर में गौशाला खुलने का प्रस्ताव सामने आया नहीं कि कांग्रेस, माकपा सहित एक विशेष समूह द्वारा इस फैसले का बेजा विरोध शुरू हो गया है। मीडिया ने इस मसले को तरजीह तो दी है, लेकिन कुछेक बड़े समाचार चैनलों और अख़बारों ने तथ्यों के साथ न केवल छेड़छाड़ की बल्कि समूचे प्रकरण को अलग रंग देने की कोशिश भी

संपतिया उइके को राज्यसभा भेजना दिखाता है कि दलितों-आदिवासियों के सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है भाजपा !

भारतीय राजनीति के इतिहास को खंगाले तो राजनीति हो अथवा शीर्ष संवैधानिक पदों पर दलित, शोषित, वंचित, पिछड़े और आदिवासी समाज के लोगों की उपेक्षा को आसानी से देखा जा सकता है। परन्तु, आज की परिस्थिति इससे अलग है। देश के उच्च संवैधानिक पद की बात हो अथवा राजनीतिक पदों की बात हो दलित, पीड़ित अथवा आदिवासी समाज के लोगों की भागीदारी पहले की अपेक्षा बढ़ रही है। राज्यसभा चुनाव के लिए

भारतीय राजनीति में क्यों अप्रासंगिक होती जा रही है कांग्रेस ?

इतिहास के पन्नों को पलटें और इसके सहारे भारतीय राजनीति को समझने को प्रयास करें तो हैरानी इस बात पर होती है कि जो कांग्रेस पंचायत से पार्लियामेंट तक अपनी दमदार उपस्थिति रखती थी, आज वही कांग्रेस भारतीय राजनीति में अप्रासंगिक हो गई है। ऐसा इसलिए कहना पड़ रहा है, क्योंकि आज बिहार से लगाये कई राज्यों की सियासत गर्म है और इन सबमें में कांग्रेस कहीं गुम-सी नज़र आ रही है। बिहार में महागठबंधन

मोदी सरकार की बड़ी कूटनीतिक सफलता, अब अमेरिका ने भी माना पाक को आतंकी देश

भारत लंबे समय से पाक परस्त आतंकवाद से पीड़ित रहा है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हर वैश्विक मंच से आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को घेरते रहे हैं। भारत संयुक्त राष्ट्र समेत अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से इस बात पर लगातार जोर देता रहा है कि पाक जैसे देश जो विश्व शांति के लिए खतरा बनते जा रहे हैं, उन्हें आतंकी देश की सूची में शामिल किया जाए। भारत की इस मुहीम को बड़ी सफलता हाथ लगी है।

जीएसटी का विरोध करने वाले विपक्षी दल नोटबंदी के विरोध जैसी भूल कर रहे हैं !

तीस जून की आधी रात देश में जीएसटी लागू हो गया। संसद के सेन्ट्रल हाल में एक भव्य आयोजन किया गया। हालांकि कांग्रेस एवं वामपंथी दलों समेत कई विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम का बेजा विरोध किया। देश इस आर्थिक सुधार के एतिहासिक क्षण का गवाह बना। ‘एक राष्ट्र एक कर’ के नारे के साथ जीएसटी समूचे देश में लागू हो गया। एक स्वस्थ लोकतंत्र के लिए यह यह जरूरी है कि विपक्ष भी अपनी रचनात्मक भूमिका अदा

विपक्ष उम्मीदवार तो ले आया, मगर कोविंद जैसी सहजता और सरलता कहाँ से लाएगा !

एनडीए द्वारा राम नाथ कोविंद को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद यह चर्चा जोरों पर थी कि यूपीए द्वारा इस राष्ट्रपति चुनाव में किसको उम्मीदवार बनाया जायेगा। तमाम पशोपेश के उपरांत यूपीए की तरफ से लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष मीरा कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित किया गया है। गौरतलब है कि एनडीए द्वारा गहन मंथन के बाद नेतृत्व ने रामनाथ कोविंद के नाम पर सहमति जताई तथा

लाल बत्ती के अंत से लोकतान्त्रिक मूल्यों को मिलेगी और मजबूती

लाल बत्ती एक ऐसे संस्कृति के रूप में उभर चुकी थी, जिसने नेताओं व अधिकारियों को इस मानसिकता से ग्रस्त कर दिया था कि वह शासक हैं और जनता पर शासन करेंगे जो लोकतंत्र के मूल चरित्र के खिलाफ़ था। अक्सर यह देखने को मिलता कि जब भी हमारे द्वारा चुने गये प्रतिनिधि अथवा लाल बत्ती से लैस शासन-प्रशासन के लोग अपने काफिले के साथ सड़क से गुजरते थे, तब उनके लिए ट्रेफिक

कॉमनवेल्थ खेल घोटाले में सवालों के घेरे में मनमोहन सिंह

कॉमनवेल्थ घोटाले की वजह से वैश्विक स्तर पर देश की जो जगहँसाई हुई, यह बात किसी से छुपी नहीं है। उस वक्त यह खेल महोत्सव लूट महोत्सव का रूप ले लिया था। कांग्रेस का हर नेता मनमाने ढंग से लूट-खसोट मचाया हुआ था। भ्रष्ट अधिकारीयों की मिलीभगत के चलते आज़ाद भारत का सबसे बड़ा खेल समारोह देश के सबसे बड़े खेल घोटाले में तब्दील हो गया; परन्तु, उसवक्त के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह हर बात की तरह इस पर भी मौन की चादर ओढ़े सोते रहे।