अजेन्द्र अजय

पद्मावती प्रकरण : अपनी सामाजिक प्रतिबद्धता को भूलते जा रहे फिल्मकार

आज सिनेमा, शिक्षण व मनोरंजन के उद्देश्यों से मुंह मोड़ कर प्रोपगंडा की शक्ल में आगे बढ़ता दिखाई दे रहा है। उत्तेजनापूर्ण संवाद, आइटम सोंग और नायिकाओं को निर्वस्त्र करने की होड़ में फिल्मकार समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का कैसा निर्वाह कर रहे हैं, यह समझ से परे है? बहरहाल, सामाजिक दायित्वों से मुख मोड़ रहे और सुनियोजित तरीके से बहुसंख्यकों की भावनाओं से खिलवाड़

केदारनाथ का पुनर्निर्माण : मोदी जो ठान लेते हैं, उसे पूरा करके रहते हैं !

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बारे में कहा जाता है कि वह जिस बात को ठान लेते हैं, उसे पूरा करके रहते हैं। उनकी यह संकल्पबद्धता देश-विदेश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था के केंद्र श्री केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण के मामले में देखने को मिल रही है। वर्ष 2013 की भीषण आपदा में केदारपुरी के बुरी तरह से तबाह होने के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी उत्तराखंड आए थे। तब उन्होंने उत्तराखंड की तत्कालीन कांग्रेस सरकार

‘उत्तराखंड को अटल जी ने बनाया था, मोदी जी संवारेंगे’

देश के सभी राज्यों के प्रवास कार्यक्रमों के अंतिम चरण में देवभूमि उत्तराखंड पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह न केवल पार्टी कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार कर गए, अपितु उनका दो दिवसीय दौरा एक मिसाल के रूप में भी कायम हो गया। राजधानी देहरादून में अपने 38 घंटे के प्रवास में अमित भाई सांस लेने की फुर्सत में नहीं दिखे और ताबड़तोड़ तरीके से करीब 2 दर्जन कार्यक्रम निबटाए। पार्टी की

भारतीय राजनीति के करिश्माई व्यक्तित्व हैं अमित शाह

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का दो दिवसीय उत्तराखण्ड दौरा न केवल अनूठा है, अपितु संपूर्ण राजनीतिक प्रतिष्ठान के लिए एक लंबी लकीर खींचने वाला भी साबित होगा। अमित शाह अपने दो दिनी प्रवास में पार्टी की सबसे छोटी इकाई ‘मडंल’ के पदाधिकारियों से लेकर प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों-विधायकों के साथ ताबडतोड़ बैठकें करेंगे। साथ ही, बुद्धिजीवियों से भी संवाद स्थापित करेंगे।

गौरी लंकेश की हत्या पर बोलने वाले बुद्धिजीवी केरल की वामपंथी हिंसा पर मुंह में दही क्यों जमा लेते हैं?

300 से अधिक राजनीतिक हत्याएं और हजारों लोग हिंसा के शिकार। चौंकाने वाला आंकड़ा है। मगर, यह आंकड़ा न तो कुख्यात आतंकवादी संगठन आइएस प्रभावित इराक या सीरिया का है और ना ही तालिबान प्रभावित किसी देश का है। यह आंकड़ा उस देश का है, जहाँ एक वामपंथी और घोषित रूप से हिंदुत्व विरोधी पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या पर ऐसा बवाल मचाया जाता है कि मानों देश में सब कुछ असुरक्षित है। वहीं

‘इंटरनेट से केवल सूचनाएं मिल सकती हैं, ज्ञान पुस्तकों से मिलता है’

गूगल व इंटरनेट के दौर में डिजिटल तकनीक का बोलबाला भले ही हो, किंतु पुस्तकों की उपयोगिता आज भी कम नहीं हुई है। पुस्तकों के प्रति पाठकों का रूझान बरकरार है। गंभीर पाठकों की मौजूदगी लगातार बनी हुई है। समय के साथ पुस्तकों में रूचि और उनके खरीददारों की संख्या में अंतर आया है, किंतु पाठकों के उत्साह में नहीं। इसकी बानगी 28 अगस्त से 5 सितम्बर तक शिक्षा नगरी देहरादून में आयोजित नौ