राजीव रंजन प्रसाद

समस्या असहिष्णुता की नहीं, अभिव्यक्ति के अतिरेक की है !

सीबीआई के छापे मालिक के घर पर किसी अन्य कारण से पड़े, लेकिन उसे अभिव्यक्ति के हनन का मामला बना कर एनडीटीवी के ख्यात प्रस्तोता ने अपना एकांगी पक्ष रखा तो सोशल माध्यमों पर दूसरा पक्ष रखने वालों की बाढ़-सी आ गयी। ऐसी बहसों में गलत क्या है, जब मीडिया का दावा ही सच को उजागर करने का है?

तीन तलाक की पैरवी में ‘किसकी’ भाषा बोल रहे हैं कपिल सिब्बल ?

कोई भी व्यक्ति किसी संगठन से तभी जुड़ता है, जब उसके विचार संगठन की विचारधारा से साम्य प्रकट करते हैं। अतः इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि संविधानिक पीठ के समक्ष रखे गए कपिल सिब्बल के विचार तीन तलाक पर कांग्रेस की विचारधारा से साम्य रखते होंगे। साथ ही, राजनीतिक तौर पर भी कांग्रेस तीन तलाक का स्पष्ट रूप से विरोध करते हुए कभी नहीं दिखी

नक्सलगढ़ की छाती पर सवार हो रही सड़कें

इस बात में कोई संदेह नहीं कि सड़कें धीमी गति से ही सही, नक्सलगढ़ की छाती पर सवार हो रही हैं और परिवेश बदल रहा है। भय का वातावरण सड़कों के आसपास से कम होने लगा है। रणनीतिक रूप से पहले एक कैम्प तैनात किया जाता है, जिसे केंद्र में रख कर पहले आस-पास के गाँवों में पकड़ को स्थापित किया जाता है। आदर्श स्थिति निर्मित होते ही फिर अगले पाँच किलोमीटर पर एक और