बजटीय प्रावधानों से बैंक होंगे मजबूत, अर्थव्यवस्था को मिलेगी गति

सरकार ने बजट 2020-21 में जमा बीमा कवरेज को 1 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता से बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता करने का प्रस्ताव किया है। इससे जमाकर्ताओं का बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा और बैंकों की पूँजी की समस्या कम होगी। जमा बीमा गारंटी सीमा में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के साथ भारत में यह प्रति व्यक्ति आय का लगभग 3.7 गुना हो गया है।

बैंकों को अर्थव्यवस्था का मूल आधार माना जा सकता है। इन्हें मजबूत किये बिना हम अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने की परिकल्पना नहीं कर सकते हैं। भारत को 2024 तक 5 लाख करोड़ डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिये बैंकिंग क्रेडिट को मौजूदा स्तर से दोगुना करना जरूरी है जिस दिशा में सरकार लगातार काम कर रही है।  

जमा बीमा गारंटी सीमा में बढ़ोतरी

सरकार ने बजट 2020-21 में जमा बीमा कवरेज को 1 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता से बढ़ाकर 5 लाख रुपये प्रति जमाकर्ता करने का प्रस्ताव किया है। इससे जमाकर्ताओं का बैंकों पर भरोसा बढ़ेगा और बैंकों की पूँजी की समस्या कम होगी। जमा बीमा गारंटी सीमा में बढ़ोतरी के प्रस्ताव के साथ भारत में यह प्रति व्यक्ति आय का लगभग 3.7 गुना हो गया है। 

सांकेतिक चित्र

आईडीबीआई बैंक में विनिवेश 

बजट 2020-21 में सरकार ने स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में विनिवेश का प्रस्ताव किया है, जिससे विनिवेश की राशि सीधे सरकार को मिलेगी, लेकिन खुदरा निवेशकों के पास भी आईडीबीआई बैंक का शेयर खरीदने का विकल्प रहेगा। इससे आईडीबीआई बैंक को निर्णय लेने में आसानी होगी। 

बैंकों को पूँजीगत एवं अन्य सहायता

विगत महीनों में सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 3.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसका मकसद बैंकिंग कारोबार और बैंकिंग कामकाज में सुधार लाना था। सरकार भारतीय बैंकों को प्रतिस्पर्धी, पारदर्शी और पेशेवर बनाना चाहती है। सरकार बैंकों की अतिरिक्त पूँजी जरूरतों को पूरा करने के लिए उन्हें बाजार से पूँजी उगाहने के लिए भी प्रोत्साहित कर रही है। सरकार ने प्रस्तावित किया है कि बैंकों में व्यावसायिकता और पेशेवरता बढ़ाने के लिए बैंकिंग विनियमन अधिनियम में संशोधन किया जायेगा। सरकार ने सहकारी बैंकों को भी मजबूत बनाने का प्रस्ताव किया है, जिसके तहत भारतीय रिजर्व बैंक सीधे तौर पर सहकारी बैंकों पर निगरानी रखेगा।  

एनबीएफसी में सुधार 

एनबीएफसी को मजबूत करने के लिए सरकार ने फंसे कर्ज की वसूली के लिए सरफेसी (एसएआरएफएईएसआई) अधिनियम 2002 के तहत एनबीएफसी की पात्रता सीमा को कम किया है। 

इसके तहत 500 करोड़ रुपये की मौजूदा परिसंपत्ति आकार सीमा को कम करके 100 करोड़ रुपये किया गया है। वहीं, ऋण के आकार को 1 करोड़ रूपये से घटाकर 50 लाख रूपये किया गया है। माना जा रहा है कि इन बदलावों से एनबीएफसी के फंसे कर्ज (एनपीए) की वसूली में तेजी आयेगी। इन प्रावधानों के अतिरिक्त बजट 2020-21 में बैंकों के कारोबार को बढ़ाने के लिये अप्रत्यक्ष रूप से अनेक उपाय किये गये हैं। 

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आवास 

बजट में वैसे आवास विकासक, जो अफोर्डेबल आवास निर्माण से जुड़े हैं, को मार्च 2021 तक टैक्स होलीडे की सुविधा दी गई है। इतना ही नहीं, अफोर्डेबल आवास खरीदने वाले को बैंक ऋण पर ब्याज भुगतान में मार्च 2021 तक 1.5 लाख रूपये तक कर में छूट देने का प्रावधान किया गया है। माना जा रहा है कि बजट में किये गये इन प्रावधानों से लोग गृह ऋण लेने के लिये प्रेरित होंगे। 

आधारभूत संरचना का विकास

बजट 2020-21 में एयर पोर्ट, सड़क, सीमेंट, स्टील आदि के विकास पर विशेष जोर दिया गया है। बजट में वर्ष 2024 तक 100 नये एयर पोर्ट का निर्माण, दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, चेन्नई-बेंगलुरु हाईवे बनाने की बात कही गई है। बजट में अगले 5 सालों में सरकार ने आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने के लिये 100 लाख करोड़ रूपये खर्च करने की घोषणा की है। 

परिवहन आधारभूत संरचना को मजबूत बनाने के लिये बजट में 1.7 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है। 18,600 करोड़ की लागत से 148 किलोमीटर बेंगलुरु सबअर्बन परियोजना को मेट्रो मॉडल की तरह विकसित किया जायेगा। रेलवे के 4 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जायेगा। 

150 पसेंजर ट्रेनों को पीपीपी मॉडल की तर्ज पर चलाने की योजना है। राष्ट्रीय गैस ग्रिड को 16,200 किमोमीटर से बढ़ाकर 27,000 किलोमीटर किया जायेगा। बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 1,25,000 किलोमीटर सड़क की मरम्मत का प्रस्ताव किया गया है, साथ ही बजट में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे को और भी बेहतर बनाने का प्रस्ताव है। देखा जाये तो विभिन्न क्षेत्रों की जरूरतें एक-दूसरे से जुडी हुई होतीं हैं। एक क्षेत्र का विकास होने से दूसरे क्षेत्र में मांग सृजित होती है, जिससे आर्थिक वृद्धि दर में तेजी आती है। 

एफएमसीजी

फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एमएमसीजी) को बढ़ावा देने के लिये बजट में सीधे तौर पर तो कोई प्रावधान नहीं किये गये हैं, लेकिन कृषि क्षेत्र, ग्रामीण विकास को सुनिश्चित करने, कृषि ऋण की व्यवस्था करने, भंडारण प्रणाली को पुख्ता करने आदि उपायों से एफएमसीजी क्षेत्र में बेहतरी आने की संभावना है। जब उत्पादों की मांग बढ़ेगी तो उसका उत्पादन भी किया जायेगा, जिससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आयेगी साथ ही साथ लोगों को रोजगार भी मिलेगा।  

ऑटोमोबाइल

ऑटोमोबाइल क्षेत्र के लिये बजट में प्रत्यक्ष तौर पर कोई खास घोषणा नहीं की गई है, लेकिन पूर्व में की गई घोषणाओं से इस क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। उदाहरण के तौर पर इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने पर आयकर में 1.5 लाख रूपये तक की छूट देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा भी इलेक्ट्रिक वाहन की बैटरियों को चार्ज करने के लिये स्थापित किये जाने वाले चार्जिंग स्टेशनों से जुड़े उपकरणों एवं जरूरी सामानों पर छूट देने की घोषणा की गई है।  

छोटे कारोबारियों को बढ़ावा और स्टार्टअप  

सरकार ने युवाओं में उद्यमशीलता बढ़ाने के लिए बजट में कई योजनाएं लाने की बात की है सरकार जीडीपी वृद्धि दर में तेजी लाने और रोजगार के अधिक अवसर सृजित करने व  छोटे कारोबारियों के फ़ायदे के लिये बजट में कई घोषणाएं की हैं। बजट में कहा गया कि सिंगल विंडो वाले ई-लॉजिस्टिक्स बाजार का गठन करने, रोजगार सृजन को बढ़ावा देने और छोटे कारोबारियों को प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए जल्द ही एक राष्ट्रीय लॉजिस्टिक्स नीति लाई जायेगी। 

गौरतलब है कि किसी भी नये स्टार्टअप को शरू करने के लिये वित्तीय सहायता की दरकार होती है। सरकार ने इन्हें मदद मुहैया कराने के लिये बैंकों को दिशा-निर्देशित किया है।   

एमएसएमई को मजबूत करने की पहल 

बजट में, सरकार ने एमएसएमई (सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम) क्षेत्र को मजबूत बनाने की अपनी कोशिश जारी रखी है। सरकार ने बजट में छोटे कारोबारियों को गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थान (एनबीएफसी) द्वारा फैक्टर रेगुलेशन एक्ट 2011 में सुधार करके ट्रेड्स के माध्यम से चालान (इनवॉइस) के आधार पर ऋण देने की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव किया है, जिसे सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट (सीजीटीएमएसई)  के माध्यम से गारंटी दी जायेगी। इसकी स्थापना लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी)  के सहयोग से मध्यम, लघु और सूक्ष्म उद्यम मंत्रालय ने की है। बजट में डेट रिस्ट्रक्चरिंग विंडो की अवधि को बढ़ाकर 31 मार्च, 2021 किया गया है, जिससे 5 लाख एमएसएमई के लाभान्वित होने की संभावना है। 

बजट 2020-21 में नये मैन्यूफैक्चरिंग कंपनियों पर सिर्फ 15 प्रतिशत कर आरोपित करने की घोषणा की गई है। बजट में 25 करोड़ रुपये तक कारोबार करने वाले कारोबारियों को 3 सालों तक कोई कर नहीं देना पड़ेगा, की भी घोषणा की गई है।  

खेती-किसानी के लिए बड़ी राशि का आवंटन और ऋण के लिये विशेष प्रावधान

वर्ष 2020-21 के बजट में खेती-किसानी और ग्रामीण विकास के लिए पिछले साल के मुक़ाबले 1.52 लाख करोड़ रूपये ज्यादा यानी 2.83 लाख करोड़ रूपये आवंटित किये गये हैं। पिछले साल के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए 130458 करोड़ रूपये आवंटित किये गये थे। यह लगातार तीसरा साल है जब कृषि क्षेत्र के बजट आवंटन राशि में भारी-भरकम बढ़ोतरी की गई है। 

गौरतलब है कि बजट 2017-18 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए सिर्फ 51576 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया था। इस साल के बजट में ग्रामीण विकास और पंचायतीराज के लिए 1.23 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। बजट 2020-21 में कृषि ऋण के लिये 1.5 लाख करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया है, जबकि वर्ष 2019-20 में इस मद में 1.2 लाख करोड़ रूपये का आवंटन किया गया था। 

अल्पावधि कृषि ऋण के लिये बजट 2020-21 में 21,175 करोड़ रूपये का आवंटन किया गया है, जो 2019-20 के संशोधित अनुमान की तुलना में 18.54 प्रतिशत अधिक है। बजट 2020-21 में वेयर हाउस में अनाज रखने की रसीद पर कर्ज देने पर भी ज़ोर दिया गया है। 

निष्कर्ष

बैंकिंग क्षेत्र के लिये बजट में सबसे महत्वपूर्ण घोषणा जमा गारंटी सीमा को 1 लाख से बढ़ाकर 5 लाख रूपये करना है। सरकार द्वारा उठाये गये इस कदम से जमाकर्ताओं का बैंक पर भरोसा बढ़ेगा, जिससे बैंक के जमा आधार में बढोतरी होगी। 

एनबीएफसी में सुधार से बैंकिंग का ग्रामीण इलाकों में आधार बढ़ेगा साथ ही साथ एनपीए की वसूली में भी तेजी आयेगी। एमएसएमई को मजबूत करने से स्वाभाविक रूप से बैंकों के कारोबार में बढ़ोतरी होगी। हाल में बैंकों में किये गये 3,50,000 करोड़ रूपये के निवेश से बैंकिंग प्रणाली में सुधार और उनके कामकाज में पारदर्शिता आने की संभावना है। 

बजट में अप्रत्यक्ष रूप से ऐसे कई प्रस्ताव किये गये हैं, जिनसे बैंकों के कारोबार में इजाफा होगा, आर्थिक गतिविधियों एवं रोजगार सृजन में तेजी आयेगी और अर्थव्यवस्था में को मजबूत करने में मदद मिलेगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)