भारत के मामलों में अमेरिकी हस्तक्षेप की मांग कर राहुल गांधी ने बचकानेपन की सभी हदें पार कर दी हैं

भारत में सारे चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से ही होते हैं और मौजूदा भाजपा सरकार कोई बलात नहीं वरन भारी बहुमत से चुनकर आई हुई सरकार है। अब इस चुनी हुई सरकार के विरुद्ध राहुल का एक अन्य देश से अपील करना देश के लोकतंत्र और जनमत का अपमान तो है ही, शर्मनाक भी है।

राहुल गांधी एक बार फिर से चर्चा में हैं। हमेशा की तरह इस बार भी किसी अच्‍छे कारण के चलते नहीं, बल्कि बेतुकी एवं अनर्गल बयानबाजी के कारण। इस बार तो उन्‍होंने बेतुकेपन की हद ही पार कर दी है। उन्‍होंने अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में प्रोफेसर निकोलस बर्न्‍स से एक ऑनलाइन इंटरव्‍यू किया जिसमें उन्होंने देश की अस्मिता, आंतरिक सुरक्षा, गोपनीयता, निजता की तमाम हदें पार करते हुए अपनी बचकानी मानसिकता का परिचय देते हुए कहा कि अमेरिका भारत के अंदरुरूनी मामलों में दखल दें।

अब यह भी जान लीजिये कि राहुल ने किस बात पर चिंता जाहिर की। उनकी चिंता यह है कि देश में भाजपा काबिज होती जा रही है। ऐसे में एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते अमेरिका को इस पर बोलना चाहिये। इतना ही नहीं, राहुल ने भारत व चीन के तनाव सहित तथाकथित किसान आंदोलन का भी दुखड़ा लगे हाथ रो लिया।

जरा ध्‍यान से देखें राहुल क्‍या कह रहे हैं। वो कह रहे हैं कि भाजपा ने देश पर कब्‍जा जमा लिया है, इसलिए अमेरिका को बीच में बोलना चाहिये। पहली बात तो यह है कि भारत कोई म्‍यांमार या पाकिस्‍तान नहीं है जहां सैन्‍य शासन चलता है और सेना ही मुखिया को हटाकर खुद काबिज हो जाती है।

भारत में सारे चुनाव लोकतांत्रिक तरीके से ही होते हैं और मौजूदा भाजपा सरकार कोई बलात नहीं वरन भारी बहुमत से चुनकर आई हुई सरकार है। अब इस चुनी हुई सरकार के विरुद्ध राहुल का एक अन्य देश से अपील करना देश के लोकतंत्र और जनमत का अपमान तो है ही, शर्मनाक भी है।

साभार : One India

दूसरी बात यह है कि जब दशकों तक देश पर कांग्रेस ने शासन किया तो क्या वो भी कब्ज़ा था ? सबसे बड़ा सवाल यह है कि भारत के अंदरूनी मामलों में बोलने वाला अमेरिका या अन्‍य कोई भी देश कौन होता है कि राहुल गांधी ऐसी अपील करने लगे। राहुल गांधी देश में तो कुछ नहीं कह पाए। ना खुद को स्‍थापित कर पाए ना पार्टी को बचा पाए इसलिए अब वे अंतरराष्‍ट्रीय मंचों पर जाकर भारत की छवि खराब करने का काम कर रहे हैं। हालांकि कांग्रेस से और अधिक कुछ अपेक्षा की भी नहीं जा सकती।

जाहिर है, राहुल गांधी की इस घटिया और घिनौनी हरकत पर विरोध तो होना ही था। कर्नाटक के भाजपा नेता ने सटीक उदाहरण देते हुए बताया कि किस तरह 88 साल की उम्र में भी मेट्रो मैन ई श्रीधरन देश निर्माण में कार्य कर रहे हैं और 50 साल की उम्र होने पर भी अपरिपक्‍व राहुल गांधी दुनिया में भारत को बदनाम करते फिर रहे हैं।

जहां तक “काबिज” शब्‍द की बात है, राहुल गांधी को गिरेबान में झांककर देखना चाहिये कि देश में हज़ारों सड़कों, शिक्षण संस्‍थानों, चिकित्‍सालयों, चौराहों आदि के नाम गांधी-नेहरू परिवार के नाम पर हैं। यह नामकरण कोई जनमत संग्रह करके नहीं किया गया बल्कि कालांतर में बस थोप दिया गया। कहने को तो इसे भी नेहरू-गांधी परिवार की कब्जा जमाने की प्रवृत्ति का उदाहरण कहा जा सकता है और ऐसा कहना बहुत गलत भी नहीं होगा।

इस समय जबकि देश के पांच राज्‍यों में विधानसभा चुनाव चल रहे हैं, कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार का काम छोड़कर राहुल गांधी इस तरह की बेजा हरकतें कर रहे हैं और हर बार की तरह इस बार भी यदि विपक्ष बुरी तरह हार जाता है तो बाद में ईवीएम हैक होने का बेतुका राग अलापेंगे।

अपनी चर्चा में राहुल गांधी ने चीन के मामले पर भी अनर्गल बातें की और कहा कि चीन के सैनिक हमारे इलाके में हैं लेकिन मीडिया में इसकी हलचल नहीं है। शायद राहुल को पता नहीं है कि भारत और चीन के मामले में बोलने के लिए अमेरिका अधिकृत संस्‍था या निकाय नहीं है। संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ भी इस मामले में इसलिए नहीं बोल रहा है क्‍योंकि यह दो देशों का आपसी मामला है। ऐसे में राहुल गांधी किसलिए अमेरिका के सामने यह विषय उठा रहे हैं ?

भाजपा प्रवक्‍ता संबित पात्रा ने राहुल पर जमकर निशाना साधा और कहा कि राहुल का यह रवैया मणिशंकर अय्यर की तरह है जो मोदी विरोधी में पटरी छोड़कर पाकिस्‍तान से गुहार लगाते देखे गए थे। लगता है इस बार की ताजा हार के बाद भी राहुल गांधी अमेरिका की शरण में शिकायत करने जाएंगे। भाजपा नेता विनय कटियार ने राहुल की जमकर खबर ली और कहा कि शायद राहुल को चीन से फंडिंग होती है इसलिए वे ज्‍यादा चिंतित हैं।

असल में पार्टी की दुर्दशा से राहुल गांधी और अधिक बौखला गए हैं। देश के भीतर उनकी दाल नहीं गल रही है तो अब वे विदेशी मंच पर जाकर अपनी कुंठा निकाल रहे हैं। वैसे उनकी इन बचकानी और शर्मनाक हरकतों का ना जनता पर कोई असर पड़ने वाला है ना ही विश्व बिरादरी ही इसपर कान धरने वाली है। सभी को राहुल गांधी की बौद्धिक स्थिति पता है।

सो उनकी उक्त अनर्गल बातों से और कुछ तो नहीं होगा, सिवाय इसके कि कांग्रेस के प्रति जनता के मन में और अधिक नकारात्मक भाव घर करेंगे। वस्तुतः इस तरह की हरकतें करके राहुल गांधी कांग्रेस को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)