सियासी मजबूरी में हिंदुत्व का चोला ओढ़ रही कांग्रेस

लगातार घटते जनाधार से चिंतित होकर भले ही कांग्रेसी नेता बहुसंख्‍यकों की भावनाओं का कद्र करने का दिखावा करने लगे हैं, लेकिन इससे यह नहीं माना जाएगा कि कांग्रेस का हृदय परिवर्तन हो गया। दरअसल यह सब सत्‍ता हासिल करने की कांग्रेसी चाल है। इस चाल के कामयाब होते ही कांग्रेस फिर पुराने खोल में आ जाएगी। लेकिन उसकी यह चाल कामयाब होने की कोई संभावना नहीं नजर आती।

77 साल पहले स्वातंत्र्यवीर सावरकर ने कहा था – “हिन्दू एक हुए तो कॉन्ग्रेस नेता कोट पर जनेऊ पहनेंगे।” 5 अगस्‍त, 2020 को यदि सावरकर जीवित होते तो अपनी भविष्‍यवाणी को सच होते देखते। जो कांग्रेस पार्टी अयोध्‍या स्‍थित राम जन्‍मभूमि स्‍थल को राम जन्‍मभूमि परिसर कहने से संकोच करती थी, वही कांग्रेस आज खुलकर राम मंदिर के पक्ष में खड़ी दिख रही है।

वीर सावरकर (साभार : Edexlive)

राम मंदिर के भूमि पूजन से एक दिन पहले अर्थात 4 अगस्‍त को कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्विटर पर जो वक्‍तव्‍य जारी किया वह पूरी तरह राम नाम में डूबा हुआ था। प्रियंका गांधी के 21 पंक्‍तियों के वक्‍तव्‍य में 23 बार राम का नाम लिखा गया। कांग्रेस के पूर्व अध्‍यक्ष राहुल गांधी ने मंदिर निर्माण का खुलकर समर्थन किया और भगवान श्री राम के गुणों को स्‍मरण करते हुए कहा कि राम मानवता की गहराईयों में बसी मूल भावना हैं। 

मध्‍य प्रदेश के मुख्‍यमंत्री रहते उज्‍जैन स्‍थित महाकाल मंदिर से लाउडस्‍पीकर उतरवाने वाले कमल नाथ ने तो इस शुभ अवसर पर न सिर्फ मध्‍य प्रदेश राज्‍य कांग्रेस कार्यालय पर हनुमान चालीसा का पाठ किया बल्‍कि पूरे प्रदेश में स्‍थित जिला कार्यालयों में हनुमान चालीसा का पाठ करने का निर्देश दिया।

इससे पहले कमल नाथ चांदी के 11 ईंटे अयोध्‍या भेजने की घोषणा कर चुके हैं। मध्‍य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यालय में तो भगवान श्री राम की बड़ी सी तस्‍वीर लगाई गई। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी राम रंग में रंगे नजर आए।

मर्यादा पुरुषोत्‍तम राम के बारे में प्रसिद्ध है कि राम सबके हैं और सब राम के हैं” इसके बावजूद भगवान राम के प्रति कांग्रेसियों का रवैया राम विरोधी ही रहा। मंदिर आंदोलन की शुरूआत से ही कांग्रेस पार्टी और कांग्रेसी सरकारें राम जन्‍म भूमि मंदिर तोड़कर बनाई गई बाबरी मस्‍जिद के पक्ष में खड़ी रहीं।

रामभक्ति में डूबी मध्य प्रदेश कांग्रेस (साभार : Navbharat Times)

राम मंदिर के विरोध में लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाले अधिकतर वकील कांग्रेस पार्टी से संबद्ध रहे हैं। यही कारण है कि राम मंदिर केस को वे सालों तक न्‍यायालयों में लटकाए रखने में कामयाब रहे। कांग्रेसी नेताओं ने भगवान राम को काल्‍पनिक पात्र कहते हुए उन्‍हें कथा साहित्‍य पुरुष ठहरा देने तक का अपराध किया। यूपीए सरकार ने राम सेतु तोड़ने का कुचक्र रचा था लेकिन भाजपा के आंदोलन और सर्वोच्‍च न्‍यायालय के रोक के बाद उसे कदम वापस खींचने पड़े थे।

हर वक्‍त जालीदार टोपी पहनकर अपने को मुसलमानों का रहनुमा साबित करने वाले कांग्रेसी नेताओं में आज भगवा वस्‍त्र पहनने की होड़ लगी है तो यह अकारण नहीं है। दरअसल 2014 के आम चुनावों में नरेंद्र मोदी ने मीडिया द्वारा बनाए गए मुस्‍लिम वोट बैंक को ध्‍वस्‍त कर दिया। तभी से कांग्रेस पार्टी खुलेआम मुसलमानों का पक्ष लेने से कतराने लगी।

2014 के लोक सभा चुनावों में मिली करारी शिकस्‍त की जांच के लिए बनी एंटनी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि मुसलमानों के तुष्‍टीकरण की नीति कांग्रेस की हार की मुख्‍य वजह रही।

इसके बाद से ही कांग्रेस पार्टी हृदय परिवर्तन का दिखावा करने लगी। सबसे पहले कांग्रेस मुख्‍यालय में रोजा-इफ्तार बंद कर दिया गया। इसके बाद तत्‍कालीन कांग्रेस अध्‍यक्ष राहुल गांधी का मंदिर दर्शन कार्यक्रम शुरू हुआ। चूंकि कांग्रेस पार्टी बहुसंख्‍यकों की हितैषी होने का दिखावा कर रही थी, इसलिए उसके मंदिर दर्शन कार्यक्रम की असलियत को जनता समझ गई और मंदिर दर्शन के बावजूद कांग्रेस की पराजय का सिलसिला थमा नहीं।

साभार : Times of India

अपने सिमटते दायरे को देखते हुए कांग्रेस पार्टी अपने उन वकील नेताओं से किनारा करने लगी जो बाबरी मस्‍जिद के पक्षकारों का मुकदमा लड़ रहे थे। हिंदू महापुरूषों की जयंती पर कांग्रेस शुभकामना संदेश देने लगी है।

इसे कांग्रेस की सियासी मजबूरी ही कहेंगे कि कांग्रेस नेतृत्‍व लंबे अरसे बाद पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंहा राव की प्रशंसा करने लगा है। यह वही नरसिंह राव हैं जिनके शव को कांग्रेस मुख्‍यालय में जगह नहीं मिली थी। उल्‍लेखनीय है कि कांग्रेस पार्टी नरसिंह राव को बाबरी मस्‍जिद विध्‍वंस के लिए जिम्‍मेदार मानती है जिससे मुस्‍लिम मतदाता कांग्रेस से दूर हुए और वह सत्‍ता से बाहर हो गई। 

लगातार घटते जनाधार से चिंतित होकर भले ही कांग्रेसी नेता बहुसंख्‍यकों की भावनाओं का कद्र करने का दिखावा करने लगे हैं, लेकिन इससे यह नहीं माना जाएगा कि कांग्रेस का हृदय परिवर्तन हो गया। दरअसल यह सब सत्‍ता हासिल करने की कांग्रेसी चाल है। इस चाल के कामयाब होते ही कांग्रेस फिर पुराने खोल में आ जाएगी।

सौभाग्‍यवश देश की जनता अब जागरूक हो चुकी है और उसके सामने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जैसा सशक्‍त विकल्‍प है, सो उसपर कांग्रेस के इस ढोंग का कोई असर होने की संभावना नहीं है। 

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)