वैश्विक मंदी के बावजूद स्थिर और उम्मीदों भरी है भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत

जनवरी 2020 में सबसे तेज वृद्धि कोयला क्षेत्र में हुई। इस उद्योग का उत्पादन 8 प्रतिशत की दर से बढ़ा। विकास दर्ज करने वाले अन्य क्षेत्रों में रिफाइनरी उत्पाद की विकास दर 1.9 प्रतिशत, स्टील उद्योग की विकास दर 2.2 प्रतिशत, सीमेंट उद्योग की विकास दर 5 प्रतिशत और   बिजली उद्योग की विकास दर 2.8 प्रतिशत रही।

कोर क्षेत्र में दिसंबर और जनवरी में तेजी रही है। चालू तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र में बेहतरी की उम्मीद है। देश के 8 प्रमुख उद्योगों (कोर क्षेत्र) की विकास दर जनवरी में 2.2 प्रतिशत रही। उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय द्वारा 28 फरवरी को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक कोयला और सीमेंट क्षेत्र का कोर क्षेत्र की तेजी में प्रमुख योगदान रहा। एक साल पहले की समान अवधि में कोर क्षेत्र की विकास दर 1.5 प्रतिशत रही थी। 

दिसंबर 2019 में कोर क्षेत्र की विकास दर 2.1 प्रतिशत थी। आठ प्रमुख उद्योगों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, स्टील, सीमेंट और बिजली क्षेत्र शामिल हैं। कोर क्षेत्र  के आंकड़े इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इसका हर महीने आने वाले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) में 40.27 प्रतिशत का योगदान होता है।

सांकेतिक चित्र

कोयला उद्योग में सबसे तेज बढ़ोतरी 

जनवरी 2020 में सबसे तेज वृद्धि कोयला क्षेत्र में हुई। इस उद्योग का उत्पादन 8 प्रतिशत की दर से बढ़ा। विकास दर्ज करने वाले अन्य क्षेत्रों में रिफाइनरी उत्पाद की विकास दर 1.9 प्रतिशत, स्टील उद्योग की विकास दर 2.2 प्रतिशत, सीमेंट उद्योग की विकास दर 5 प्रतिशत और   बिजली उद्योग की विकास दर 2.8 प्रतिशत रही। 

वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था में मंदी 

वैश्विक स्तर पर अर्थव्यवस्था की हालत भारतीय अर्थव्यवस्था की तुलना में बहुत बुरी है। ऑगेनाईजेशन फॉर इकनॉमिक कॉऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओकेड) के अनुसार विश्व के विविध देशों एवं देशों के केंद्रीय बैंकों को आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए विशेष प्रयास करने चाहिए। इस साल वैश्विक अर्थव्यवस्था में महज 2.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जो 2009 के बाद सबसे कम है। ओकेड का कहना है कि 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हो सकती है। सुस्ती का माहौल वैश्विक स्तर पर है। देखा जाये तो कोरोना ने आंशिक रूप से वैश्विक विकास दर की रफ्तार को रोकने का काम किया है। 

पारदर्शिता और बचत का वाहक है प्रौद्योगिकी 

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार कारोबारियों को बढ़ावा देने के लिये प्रौद्योगिकी को हर स्तर पर लागू करने की जरूरत है। इसकी मदद से भारत अधिक जवाबदेह, उत्तरदायी और पारदर्शी बना है। आज प्रत्यक्ष लाभ-अंतरण (डीबीटी) और वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) प्रणाली की वैश्विक स्तर पर प्रशंसा की जा रही है। डीबीटी से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है और एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि की बचत हुई है। 

वित्त मंत्री के अनुसार भारत में डिजिटल लेनदेन में भी तेजी आ रही हैफरवरी 2020 में डिजिटल भुगतान, लेनदेन और वॉल्यूम दोनों दृष्टिकोणों से बढ़ा है। एनपीसीआई द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार यूपीआई लेनदेन फरवरी में बढ़कर 132 करोड़ हो गया, जो राशि में 2.2 लाख करोड़ रूपये थी। जनवरी 2020 में यूपीआई लेनदेन 130 करोड़ हुआ था।  

ऑनलाइन कर्ज देने का चलन

फिनटेक कंपनियों द्वारा ऑनलाइन ऋण देने के चलन में हाल ही में तेजी आई है। इसकी प्रक्रिया सरल होने से बहुतायात संख्या में लोग ऑनलाइन ऋण ले रहे हैं। वर्तमान में बैंकों से ऋण लेने के लिए कुछ दस्तावेजों की जरूरत होती है, लेकिन इस माध्यम से बिना दस्तावेजों के ऋण मुहैया कराया जा रहा है। हालांकि, इनका उधारी दर ज्यादा रहता है, लेकिन प्रक्रिया सरल होने से लोग ऑनलाइन ऋण लेना पसंद कर रहे हैं। 

एक अनुमान के मुताबिक 300 से अधिक फिनटेक या प्रोद्योगिकी पर आधारित वित्तीय कंपनियाँ ऑनलाइन कर्ज देने का काम कर रही हैं। इन कंपनियों में स्टार्टअप भी शामिल हैं। फिनटेक कंपनियों के विकास की भारत में काफी संभावनायेँ हैं, क्योंकि अभी भी बहुत ही कम लोगों को औपचारिक रूप से बैंकों से ऋण मिल पाता है।

फिनटेक कंपनियों का बढ़ता प्रभाव

आज मोबाइल पर इंटरनेट के बढ़ते इस्तेमाल ने यूजर्स के कई वर्गों के बीच वैकल्पिक आंकड़ों की उपलब्धता को आसान बना दिया है, जिससे फिनटेक कंपनियां ग्राहकों की वित्तीय क्षमता को सुनिश्चित कर रहे हैं। आज इस क्षेत्र में गैर-निष्पादित आस्ति (एनपीए) का प्रतिशत बहुत ही कम है, जिससे वे इस कारोबार में बढ़े मनोबल से काम कर रहे हैं और वे अपने को ग्राहकों के साथ जोड़ रही हैं। 

हालांकि, एक दशक पहले तक फिनटेक कंपनियों को बैंकिंग प्रणाली के कामकाज के एक अवरोधक के रूप में देखा गया था, लेकिन अब तस्वीर बदल गई है। अब कुछ पारंपरिक बैंक और एनएफबीसी कंपनियां भी फिनटेक कंपनियों के तौर-तरीके को अपनाकर अपने बैंकिंग कारोबार को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। 

खुदरा ऋण लेने वालों की संख्या दोगुनी 

आईसीआईसीआई बैक की रिपोर्ट और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी सीआरआईएसआईएल के अनुसार खुदरा ऋण लेने वालों की संख्या 2014-19 के दौरान दोगुनी हो गई। वित्त वर्ष 2019 में 48 करोड़ लोगों ने ऋण लिया, जिसकी तुलना में वित्त वर्ष 2014 में केवल 22 करोड़ लोगों ने ऋण लिया था। इस अवधि में ऑनलाइन कर्ज लेने वालों की कुल संख्या में पाँच गुना बढ़ोतरी हुई है। ऐसे कर्जदारों की संख्या 15 लाख करोड़ तक पहुंच गई है। 

निष्कर्ष 

कोरोना वायरस ने सीमित तौर पर भारत समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी आने के आस बरकरार हैं। कोर क्षेत्र में दिसंबर और जनवरी में तेजी बनी रही है। जीएसटी संग्रह जनवरी और फरवरी 2020 में 1 लाख करोड़ रुपए से अधिक रहा है। डिजिटल लेनदेन बढ़ने से एक लाख करोड़ रूपये से ज्यादा की बचत हुई है। बैंकों का क्रेडिट ग्रोथ कम है, लेकिन बैंकों द्वारा उधारी दरों में कटौती करने से इसमें तेजी आने की संभावना बनी हुई है। 

फिनटेक कंपनियों द्वारा कर्ज देने में तेजी बनी रहने से माँग और खपत में तेजी आने के आसार बढ़े हैं। समग्र रूप से अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर उम्मीद का माहौल है। वैश्विक मंदी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था गति पकड़ रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)