राजस्व संग्रह में सुधार होने से मजबूत हो रही अर्थव्यवस्था

बजट में 9.26 लाख करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में सरकार ने करीब 5.87 लाख करोड़ रुपये अर्जित किये हैं। पेट्रोलियम पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क संग्रह के आंकड़े दिसंबर के लिये अभी तक नहीं आये हैं। बावजूद इसके, चालू वित्त वर्ष में 15 जनवरी तक अप्रत्यक्ष कर संग्रह 18 प्रतिशत अधिक बढ़ा है, जबकि बजट अनुमान 15 प्रतिशत था। बजट अनुमानों के मुकाबले विनिवेश से 200 अरब रुपये अधिक की प्राप्ति होने का अनुमान है।

भले ही दिसंबर महीने में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह 910 अरब रूपये के लक्ष्य से थोड़ा-सा पीछे रह गया, लेकिन इतना तो साफ हो गया कि जल्द ही इसका संग्रह उम्मीद के मुताबिक होने लगेगा। यह इसलिये भी लग रहा है, क्योंकि जीएसटी संग्रह अक्टूबर और नवंबर में क्रमश: 808.08 एवं 833 अरब रुपये रहा था और दिसंबर महीने में यह आंकड़ा पिछले दोनों महीनों से ज्यादा है। जीएसटी की चोरी रोकने के उपायों से जनवरी से मार्च महीने में राजस्व आंकड़े में और भी बेहतरी आ सकती है। देखा जाये तो राजस्व वसूली में इजाफा उम्मीद के अनुसार है। धीरे-धीरे जीएसटी प्रणाली स्थिर हो रही है अर्थात इससे जुड़ी परेशानियाँ कम हो रही हैं।

सांकेतिक चित्र

गौरतलब है कि वित्त वर्ष 2017-18 के लिये केंद्र सरकार ने 91,000 करोड़ रुपये प्रति माह जीएसटी संग्रह का लक्ष्य तय किया है। कंपोजिशन योजना की सुविधा इनपुट टैक्स क्रेडिट नहीं मांगने वाले मझोले करदाताओं की दी जाती है। वित्त मंत्रालय के अनुसार इस योजना में जीएसटी की चोरी हो रही है, जिसके मद्देनज़र देश भर में 1 फरवरी से इलेक्ट्रॉनिक बिल या ई-वे बिल को राज्यों के बीच वस्तुओं की आवाजाही पर आरोपित किया जायेगा। माना जा रहा है कि राजस्व में लगने वाली सेंध को रोकने में इससे मदद मिलेगी। जटिलता रहित ई-वे बिल प्रणाली को अमलीजामा पहनाने के लिये सरकार प्रतिबद्ध है।

माना जा रहा है कि ई-वे बिल से केंद्र और राज्य कर अधिकारियों को अंतरर्राज्यीय या एक राज्य में भेजे गये करीब 50,000 या इससे अधिक वस्तुओं का आकलन करने में आसानी होगी। ई-वे बिल तंत्र को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) तैयार कर रहा है और ई-वे बिल प्रणाली पर अमल करने के लिए करीब 40 करोड़ रुपये की अग्रिम पूंजी सरकार द्वारा मुहैया कराई गई है। कंपोजिशन योजना के अंतर्गत दूसरी तिमाही में डीलरों ने 4.21 अरब रुपये का भुगतान किया, जो पहली तिमाही के 3.36 अरब रुपये से थोड़ा अधिक है। कंपोजिशन डीलरों को तिमाही आधार पर कर भुगतान करने की अनुमति है।

वित्त मंत्रालय के आंकड़ों में केंद्रीय जीएसटी, राज्य जीएसटी, इंटीग्रेटेड जीएसटी और मुआवजा उपकर आदि का जिक्र नहीं होने के कारण विभिन्न मदों के आंकड़ों का विश्लेषण करना थोड़ा मुश्किल है। फिर भी वित्त सचिव के अनुसार चालू वित्त वर्ष के लिये जीएसटी  संग्रह लक्ष्य के अनुरूप होगा। बीते दिनों जीएसटी परिषद ने केंद्र और राज्यों के बीच 350 अरब रुपये का जीएसटी समान रूप से बांटने का निर्णय लिया था।

बजट में 9.26 लाख करोड़ रुपये अप्रत्यक्ष कर संग्रह का लक्ष्य रखा गया है। चालू वित्त वर्ष के पहले नौ महीने में सरकार ने करीब 5.87 लाख करोड़ रुपये अर्जित किये हैं। पेट्रोलियम पर सीमा शुल्क और उत्पाद शुल्क संग्रह के आंकड़े दिसंबर के लिये अभी तक नहीं आये हैं। बावजूद इसके, चालू वित्त वर्ष में 15 जनवरी तक अप्रत्यक्ष कर संग्रह 18 प्रतिशत अधिक बढ़ा है, जबकि बजट अनुमान 15 प्रतिशत था। बजट अनुमानों के मुकाबले विनिवेश से 200 अरब रुपये अधिक की प्राप्ति होने का अनुमान है।

हालाँकि, गैर-कर राजस्व यानी रिजर्व बैंक से कम लाभांश के संदर्भ में सरकार को थोड़ी परेशानी हो सकती है, लेकिन सरकार बैंकिंग सुधार की दिशा में अग्रसर है। इसके लिये बैंकों को उनके प्रदर्शन के मुताबिक पूँजी भी दी जा रही है। इसलिये, इस मामले में भी जल्द सुधार आने की उम्मीद है। राजकोषीय घाटा को रोकने के लिये भी सरकार कटिबद्ध है। इसलिये, उसने 50,000 करोड़ रूपये की जगह 20,000 करोड़ रूपये उधारी लेने का फैसला किया है। इसके अलावा, सरकार अनावश्यक खर्चों में कटौती करने के लिये भी प्रयासरत है। कहने की आवश्यकता नहीं कि राजस्व संग्रह सुधरने और राजकोषीय घाटे में कमी आने से अर्थव्यवस्था में स्वाभाविक रूप से और मजबूती आएगी।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)