मोदी सरकार की नीतियों से बेहतरी की ओर अर्थव्यवस्था

वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही के 1.6% के मुक़ाबले दूसरी तिमाही में उद्योग क्षेत्र की वृद्धि  5.8% रही। निर्माण के अलावा सभी उप-क्षेत्रों में उच्च वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में विनिर्माण जीवीए में 7.0% की वृद्धि दर्ज की गई। कॉर्पोरेट जीवीए वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही से कम हो रही थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसमें 4.00% की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2795 गैर-वित्तीय कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन के कारण संभव हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि निजी क्षेत्र की गतिविधियों में पहले के मुक़ाबले तेजी आई है।

विनिर्माण क्षेत्र में 7.0%, बिजली, गैस, और अन्य उपयोगी सेवाओं में 7.6%, संचार, व्यापार, होटल, परिवहन आदि क्षेत्रों में 9.9% की दर से विकास के होने के कारण सकल मूल्य संवर्धन (जीवीए) में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 6.1% दर से वृद्धि हुई, जबकि पहली तिमाही में यह 5.6% थी, जबकि जीडीपी में वित्त वर्ष 2017 की पहली तिमाही के 5.7% के मुक़ाबले वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में 6.3% की दर से वृद्धि हुई।  

वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही के 1.6% के मुक़ाबले दूसरी तिमाही में उद्योग क्षेत्र की वृद्धि  5.8% रही। निर्माण के अलावा सभी उप-क्षेत्रों में उच्च वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में विनिर्माण जीवीए में 7.0% की वृद्धि दर्ज की गई। कॉर्पोरेट जीवीए वित्त वर्ष 2017 की तीसरी तिमाही से कम हो रही थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में इसमें 4.00% की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2795 गैर-वित्तीय कंपनियों के बेहतर प्रदर्शन के कारण संभव हुआ है, जो इस बात का संकेत है कि निजी क्षेत्र की गतिविधियों में पहले के मुक़ाबले तेजी आई है।

प्रधानमंत्री मोदी और वित्त मंत्री अरुण जेटली

वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही के दौरान खनन क्षेत्र में 5.5% की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही के -0.7% और वित्त वर्ष 2017 की दूसरी तिमाही के -1.3% से अधिक है। देखा जाये तो इसमें वृद्धि का कारण प्राथमिक रूप से आधार वर्ष में बदलाव और कोयला उत्पादन में बढ़ोतरी है। निर्माण क्षेत्र में वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में पहली तिमाही के मुक़ाबले 2.6% की दर से वृद्धि हुई, जबकि तैयार इस्पात के क्षेत्र में 4.1% की दर से वृद्धि हो रही है, लेकिन अभी इसे और बढ़ाया जा सकता है। परिवहन जैसे तेल सघन क्षेत्र में भी चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई है।

सेवा क्षेत्र की वृद्धि वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में 7.1% पर आ गई, जो पिछले साल की समान अवधि में 8.7% थी और वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.8% थी। व्यापार, होटल, परिवहन और संचार सेवा में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 9.9% की दर से वृद्धि हुई, जो पिछले साल की समान अवधि में 7.7% थी। सेवा क्षेत्र में पहली तिमाही के मुक़ाबले दूसरी तिमाही में कमी आने का कारण अस्थायी हैं। सेवा क्षेत्र दूसरे मानकों में अच्छा प्रदर्शन रहा है और नोटबंदी और जीएसटी का प्रभाव लगभग खत्म हो चुका है। इसलिए कहा जा सकता है कि आगामी तिमाही में सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर में तेजी आयेगी।

वित्त वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही में सकल स्थाई पूंजी निर्माण में 4.7% की वृद्धि दर्ज की गई, जो वित्त वर्ष 2018 की पहली तिमाही में महज 1.6% थी और पिछले साल की समान अवधि में 3% थी। निश्चित रूप से यह इस बात का संकेत है कि औद्योगिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। ऐसा होने से जीडीपी विकास दर में  तेजी आना लाजिमी है।   

देखा जाये तो चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास में अधिक तेजी मूल रूप से शहरी क्षेत्रों में आई है। लेकिन भारतमाला एवं कम लागत वाली आवास योजनाओं से ग्रामीण इलाकों में भी विकास दर में और बेहतरी आने की संभावना बनी हुई है। इस क्रम में सरकार द्वारा विकास आधारित ग्रामीण योजनाओं को तत्काल आधार पर लागू कराने से हालात बेहतर हो सकते हैं, जिस दिशा में सरकार कार्यरत है। कृषि से आय बढ़ाने पर भी ज़ोर देने की जरूरत है, जिससे किसानों की रुचि खेती-किसानी में बनी रहेगी।

पिछले दो बजटों से सरकार ग्रामीण क्षेत्र के विकास के लिये विशेष प्रावधान कर रही है, जिसके आगे भी जारी रहने की उम्मीद है। कुल मिलाकर जीडीपी में ये वृद्धि इस बात की द्योतक है कि अर्थव्यवस्था सही दिशा में प्रगति कर रही है। सरकार की नीतियों के फलस्वरूप आगे इसमें और बेहतरी की संभावना है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसन्धान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)