अखिलेश सरकार की नाकामियों को ही दर्शाता है सपा का चुनावी घोषणापत्र

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रविवार को विधानसभा चुनाव के लिए सपा का घोषणापत्र जारी कर दिया। घोषणापत्र में हर वर्ग को लुभाने की कोशिश की गई है। गांव, गरीब, किसानों, महिलाओं व युवाओं को लुभाकर सत्ता में वापसी का ख्वाब संजोया गया है। गौर करें तो घोषणापत्र में जनहित की दूरगामी सोच से प्रेरित और रचनात्मक योजनाओं की बजाय लोकलुभावन वादों पर स्पष्ट रूप से जोर दिया गया प्रतीत होता है। पिछले विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में किये गये ज्यादातर वादों और योजनाओं को इस बार के घोषणापत्र में भी रखा गया है।

अखिलेश यादव का ये घोषणापत्र कहीं न कहीं उनकी ही सरकार की पाँच साल की नाकामियों का दस्तावेज़ है। जो वादे उन्होंने पिछले बार किये थे, अगर वही वादे उन्हें इसबार भी करने पड़ रहे हैं, तो क्यों न कहा जाय कि पिछले पांच सालों के शासनकाल में अखिलेश सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। इस विफलता को उनका घोषणापत्र ही प्रमाणित कर रहा है।

गौरतलब है कि अखिलेश ने एक करोड़ परिवारों को हर महीने एक हजार रुपये की पेंशन तो 1.50 लाख से कम सालाना आमदनी वालों को मुफ्त इलाज का वादा किया गया है। वहीं महिलाओं को रोडवेज बसों के लिए किराए में आधी छूट देने के वादे से लुभाने की कोशिश की गई है। इसके साथ ही गरीब महिलाओं को प्रेशर कुकर देने का भी वादा किया गया है। ऐसे ही और भी कई लोकलुभावन वादे किये गये हैं। इनमें से पेंशन वाली योजना पिछले बार के घोषणापत्र में भी मौज़ूद थी, इसमें उसीको और आगे बढ़ाया गया है।

इसके अलावा लैपटॉप और स्मार्ट फोन बांटने का वादा इसबार भी उन्होंने किया है। उल्लेखनीय होगा कि अपने पिछले घोषणापत्र में भी सपा ने लैपटॉप बांटने का वादा किया था। दसवीं पास विद्यार्थियों को टेबलेट देने का वादा भी पिछले घोषणापत्र में था, जिसका कहीं कोई क्रियान्वयन नहीं हुआ।  हाँ, सरकार बनने के बाद शुरूआती एकाध वर्षों तक कमोबेश लैपटॉप वितरित हुए, मगर फिर चुपचाप ही यह योजना बंद हो गयी।

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जो लैपटॉप वितरित हुए थे, उनकी उपयोगिता का आलम ये रहा कि पाने वाले तमाम छात्र उनके संचालन से अनभिज्ञ होने के कारण उन्हें अपने लिए अनावश्यक समझकर औने-पौने दामों में बेच दिए, जिससे यह सिद्ध हुआ कि लैपटॉप वितरण की योजना अखिलेश सरकार की अदूरदर्शिता से उपजी एक फ़िज़ूलखर्ची भर थी। साफ़ है कि लैपटॉप और टैबलेट वितरित करने के अपने पिछले घोषणापत्र के वादे पर अखिलेश सरकार नाकाम ही साबित हुई है, कहीं न कहीं इसी नाकामी के कारण अखिलेश सरकार ने इन योजनाओं को बीच में ही बंद कर दिया था। लेकिन, अब सवाल उठता है कि जो योजनाएं विफल सिद्ध हुई थीं और जिनको खुद अखिलेश यादव की सरकार ने बीच में ही बंद कर दिया, उन योजनाओं को इसबार के घोषणापत्र में भी जगह देने का क्या औचित्य है ?

अखिलेश यादव क़ानून व्यवस्था को दुरुस्त करने के सम्बन्ध में भी कई वादे इसबार भी किये हैं। ऐसे ही वादे उन्होंने पिछले बार भी किये थे। अब सवाल उठता है कि पूर्ण बहुमत की सरकार होने और पांच साल तक निर्विरोध रूप से शासन के बावजूद वे पिछले पांच सालों में क़ानून-व्यवस्था दुरुस्त करने का वादा पूरा क्यों नहीं कर सके कि इसबार भी उन्हें ये वादा करना पड़ रहा है ? दरअसल ऐसे ही और भी अनेक वादे हैं, जो अखिलेश यादव की सपा ने अपने पिछले घोषणापत्र में किये थे, लेकिन पांच सालों के शासन में उनको पूरा करने की दिशा में कोई ठोस काम नहीं हुआ है।

इन सब बातों को देखते हुए कहना गलत नहीं होगा कि अखिलेश यादव का ये घोषणापत्र कहीं न कहीं उनकी ही सरकार की पाँच साल की नाकामियों का दस्तावेज़ है। जो वादे उन्होंने पिछले बार किये थे, अगर वही वादे उन्हें इसबार भी करने पड़ रहे हैं, तो क्यों न कहा जाय कि पिछले पांच सालों के शासनकाल में अखिलेश सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है। इस विफलता को उनका घोषणापत्र ही प्रमाणित कर रहा है।

(लेखिका पेशे से पत्रकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)