कोरोना संकट में आमजन और अर्थव्यवस्था दोनों को राहत देने में जुटी है सरकार

कोरोना काल में सरकार गरीब लोगों के लिये मुफ्त राशन की योजना चला रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से वर्ष 2020 के 8 महीनों तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया गया था। इस साल भी देश के 80 करोड़ से ज्यादा जरुरतमंदों को मुफ्त में राशन देने का प्रस्ताव है।

केंद्र सरकार के वाणिज्य मंत्रालय ने कारोबारियों को राहत देने के लिये कोरोना महामारी के इलाज से जुड़े सामानों की सरकारी खरीदारी में मेक इन इंडिया को प्राथमिकता देने की शर्त में छूट दी है। यह छूट 30 सितंबर 2021 तक लागू रहेगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 15 जून 2017 को सरकारी खरीद से जुड़े नियमों में मेक इन इंडिया संकल्पना को लागू किया था।

यह नियम वस्तुओं और सेवाओं के घरेलू उत्पादन, कारोबारियों की आमदनी बढ़ाने, रोजगार सृजन आदि को बढ़ावा देने के लिये सरकार ने बनाया था। दूसरे शब्दों में कहें तो इस नियम का उद्देश्य विविध उत्पादों के उत्पादन को बढ़ाने के लिये घरेलू निर्माताओं को आर्थिक प्रोत्साहन देना है।

इस नियम के मुताबिक, सरकारी खरीदारी अगर 50 लाख रुपए से कम है तो संबंधित मंत्रालय या विभाग को स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को प्राथमिकता देनी होगी। यदि सरकारी खरीदारी 50 लाख रुपए से अधिक है तो मंत्रालय या विभाग को 20 प्रतिशत खरीदारी स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं से करनी होगी। उल्लेखनीय है कि सभी प्रकार की वस्तुओं और सेवाओं की सरकारी खरीद में यह नियम लागू है।

सेंट्रल बोर्ड ऑफ इन-डॉयरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स (सीबीआईसी) ने सूक्ष्म, लघु और मझौले उधमों (एमएसएमई) को राहत देने के लिए चुकाये गये ज्यादा कर को वापिस करने और ड्यूटी ड्रॉबैक दावा का निपटारा मई महीने के दूसरे पाक्षिक में प्राथमिकता के आधार पर करना शुरू किया है।  सीबीआईसी के अनुसार फिलहाल एमएसएमई द्वारा ज्यादा कर भुगतान की वापसी और ड्यूटी ड्रॉबैक के दावे का जल्द से जल्द निपटारा करने की जरूरत है, ताकि एमएसएमई को कोरोना महामारी में फौरी तौर पर राहत मिल सके।

सीबीआईसी की योजना एमएसएमई को राहत पहुँचाने के लिये कर के ज्यादा भुगतान की वापसी के मामलों में मामूली कारणों की वजह से जारी किये गये नोटिस की जल्द से जल्द से समीक्षा करके ज्यादा कर भुगतान और ड्रॉबैक का भुगतान जमाकर्ताओं को करने की भी है। सरकार द्वारा उठाये गये इन क़दमों से एमएसएमई को राहत मिलने की उम्मीद है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 मई 2021 को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की आठवीं किस्त का वितरण वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए किया। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार प्रत्येक किसान परिवार को हर साल 6,000 रुपए देती है। यह राशि 2,000 रुपए की तीन समान किस्तों में दी जाती है।

प्रत्येक 4 महीने के बाद यह सम्मान राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में अंतरित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत अब तक 1.16 लाख करोड़ रुपए की राशि किसानों के खाते में अंतरित की जा चुकी है। इसके पहले 25 दिसंबर 2020 को करीब 9 करोड़ किसानों के खाते में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की सातवीं किस्त के तहत 2000 रूपये अंतरित की गई थी।

आठवीं किस्त के रूप में 9.5 करोड़ से ज्यादा किसानों को 2000 रूपये अंतरित किये गये, जिससे सरकारी खजाने पर 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राशि का भार पड़ा है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की घोषणा वर्ष 2019 में अंतरिम बजट में की गई थी, लेकिन इस योजना को दिसंबर 2018 में ही लागू कर दिया गया था।

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की आठवीं क़िस्त में पश्चिम बंगाल के 7 लाख से ज्यादा किसानों को पहली बार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 2000 रूपये की आर्थिक सहायता दी गई है। अभी तक इस योजना के तहत देश के लगभग 11 करोड़ किसानों के खातों में लगभग 1 लाख 35 हज़ार करोड़ रुपए जमा किये जा चुके हैं। इस योजना के तहत केवल कोरोना काल में 60,000 करोड़ रुपए से ज़्यादा की राशि किसानों के खातों में जमा की गई है।

किसानों को राहत देने के लिये सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया है कि कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए 3 लाख रुपए तक के सभी अल्पावधि ऋण की अदायगी की तारीख को बढ़ाकर 30 जून 2021 तक कर दें। साथ ही, इस बढ़ी हुई अवधि में भी किसानों को 4 प्रतिशत की ब्याज सबवेंशन और समय पर ऋण खाते में क़िस्त एवं ब्याज जमा करने पर प्रोत्साहन योजना का लाभ भी दें।

कोरोना काल में सरकार गरीब लोगों के लिये मुफ्त राशन की योजना चला रही है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के माध्यम से वर्ष 2020 के 8 महीनों तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया गया था। इस साल भी देश के 80 करोड़ से ज्यादा जरुरतमंदों को मुफ्त में राशन देने का प्रस्ताव है।

जीएसटी कौंसिल की 28 मई को होने वाली 43वीं बैठक में एमएसएमई को राहत देने का प्रस्ताव है। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण दो पहिया वाहनों की बिक्री में उल्लेखनीय कमी आई है। इसलिये, प्रस्तावित बैठक में दोपहिया वाहनों पर लगने वाली जीएसटी दर में तार्किक कटौती करने का प्रस्ताव है।

घरों में पाइप के जरिए आने वाली गैस को त्रिस्तरीय जीएसटी संरचना के दायरे में लाने का प्रस्ताव है। घरों में इस्तेमाल की जाने वाली गैस के लिए कर की दर सबसे कम 5 प्रतिशत, व्यावसायिक कार्यों के लिये इस्तेमाल किये जाने वाले गैस के लिए 18 प्रतिशत और गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाली सीएनजी के लिए 28 प्रतिशत हो सकता है। इस बैठक में टीका पर लिये जा रहे जीएसटी को हटाने पर भी विचार किया जा सकता है।

कोरोना काल में एमएसएमई, मजदूरों और किसानों को सबसे ज्यादा राहत देने की जरुरत है। इसी को दृष्टिगत करके सरकार ने एमएसएमई, मजदूरों और किसानों के लिये कुछ उपाय किये हैं। हालांकि जरूरत और राहत देने की है, जिसके लिए सरकार प्रयास कर रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)