कोरोना संकट के दौर में मोदी सरकार की जैम योजना से गरीबों तक आसानी से पहुँच रही मदद

भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया। वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणा के बाद केवल 10 दिनों में ही 40 करोड़ लोगों को 28000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान कर दिया गया। यह DBT के कारण ही सम्भव हो पाया है।

पूरे विश्व में फैली कोरोना वायरस महामारी से होने वाले गम्भीर परिणामों का आँकलन केन्द्र में मोदी सरकार द्वारा सही समय पर ही कर लिया गया था, इसीलिए भारत में विशेष रूप से ग़रीब वर्ग को राहत देने के उद्देश्य से वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने 26 मार्च को 1.7 लाख करोड़ रूपये का एक आर्थिक पैकेज प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत देने की घोषणा की थी।

इस योजना के अन्तर्गत बुजुर्ग, गरीब विधवा और गरीब दिव्यांगों को आगामी 3 महीनों तक एक हजार रूपये की राशि सहायता के रूप में देने का निर्णय लिया गया था। बीस करोड़ महिला जनधन खाताधारकों के खातों में अगले तीन महीनों तक हर महीने 500 रूपये जमा किये जाने का निर्णय लिया गया था। पीएम किसान सम्मान निधि के तहत 2 हजार रूपये की किस्त की राशि 8.7 करोड़ किसानों के खाते में अप्रैल 2020 के पहले सप्ताह में ही अंतरित कर दी गई थी। साथ ही, लगभग 80 करोड़ गरीब नागरिकों को अगले तीन महीनों तक 5 किलो गेहूं या चावल और एक किलो दाल मुफ्त उपलब्ध कराए जाने की घोषणा की गई थी।

इसी प्रकार, उज्ज्वला योजना के अन्तर्गत लाभार्थी महिलाओं को अगले तीन महीनों तक मुफ्त में गैस सिलेंडर देने की घोषणा भी की गई थी। मनरेगा के तहत दी जा रही मजदूरी को 182 रूपये से बढाकर 202 रूपये प्रतिदिन कर दिया गया था, ताकि मजदूरों को आर्थिक परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

सांकेतिक चित्र (साभार : Governance Now)

भारत एक विशाल देश है, जिसकी आबादी 130 करोड़ से भी अधिक है। कोरोना वायरस महामारी के चलते देश में 80 करोड़ लोगों को सहायता की राशि पहुँचाना कोई आसान कार्य नहीं था। परंतु, मोदी सरकार द्वारा अत्यंत सफलता पूर्वक लागू की गई जनधन-आधार-मोबाइल (JAM) योजना के प्रभावी रूप से किए गए उपयोग ने इसे बहुत हद तक आसान बना दिया।

हाल ही के समय में JAM योजना के साथ ही डिजिटल भुगतान एवं प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना का उपयोग भी बहुत बढ़ा  है। देश में करोड़ो लोगों के लिए JAM, DBT और डिजिटल भुगतान की सहूलियतें उनकी ज़िन्दगी को अब आसान बना रही हैं।वित्त मंत्री द्वारा की गई उक्त घोषणा के बाद केवल 10 दिनों में ही 40 करोड़ लोगों को 28000 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान कर दिया गया। यह DBT के कारण ही सम्भव हो पाया है। यह जो प्लेटफ़ार्म, मोदी सरकार द्वारा पिछले 6 वर्षों के दौरान खड़ा कर लिया गया है वह अब काम आ रहा है।

कोरोना वायरस की महामारी के दौरान देश में लोग नक़द का उपयोग बहुत कम कर रहे हैं, क्योंकि नोटों को हाथ लगाने से भी कोरोना वायरस बीमारी फैलने का ख़तरा हो सकता है। अतः डिजिटल प्लेटफ़ार्म बहुत ज़्यादा और सही तरीक़े से उपयोग हो रहा है। अब तो कई ऐप भी उपलब्ध हो गए हैं जिनका उपयोग करके पैसा सीधे ही एक खाते से दूसरे खाते में आसानी से हस्तांतरित किया जा सकता है। देश में नागरिकों को इनका अधिक से अधिक उपयोग करना चाहिए।

देश में आज 400 योजनाओं के अंतर्गत केंद्र एवं राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की जाने वाली सहायता राशि को DBT के तहत सीधे ही लाभार्थियों के खातों में जमा किया जा रहा है।

वृद्धजनों को पेंशन की राशि, किसानों को उर्वरक सब्सिडी आदि योजनाओं के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता की राशि करोड़ों हितग्राहियों के बैंक खातों में सीधे ही जमा की जा रही है जिससे, इन लाभार्थियों से कोई भी बिचोलिया किसी भी प्रकार की वसूली नहीं कर पाता है एवं ग़रीब तबके को उनके पूरे हक़ की राशि का भुगतान सीधे ही उनके बैंक खातों के माध्यम से मिलने लगा है। स्पष्ट है कि दूरगामी हितों को ध्यान में रखकर मोदी सरकार ने जो नीतियां अपनाई थीं, आज इस संकटकाल में वे देश के लिए अत्यंत सहायक सिद्ध हो रही हैं।

(लेखक बैंकिंग क्षेत्र से जुड़े रहे हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)