2022 तक ब्रिटेन से भी बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा भारत !

आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दिग्‍गज अर्थव्यवस्थाओं के खराब दौर में भी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक  भारत आने वाले पाँच सालों में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जायेगा। वर्तमान में यह स्थान जर्मनी को हासिल है। भारत का स्थान अभी सातवां है। एक लंबे समय तक हमारे देश को गुलाम रखने वाला ब्रिटेन भी वर्ष 2022 तक दुनिया की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं की सूची से बाहर होकर छठे स्थान पर चला जायेगा। इस तरह तब भारत ब्रिटेन से ऊपर होगा।

नीति आयोग संचालन परिषद की तीसरी बैठक में हिस्सा लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने  न्यू इंडिया या नये भारत की दृष्टि को लागू करने के लिये आयोग द्वारा तैयार की गई लंबी, मध्यम एवं लघु अवधि की कार्रवाई योजनाओं की तारीफ की। देखा जाये तो इन योजनाओं को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिशा-निर्देशन में तैयार किया गया है। वर्ष 2022 में भारत अपनी आजादी की 75 वीं सालगिरह का जश्न मनाने वाला है। प्रधानमंत्री चाहते हैं यह सालगिरह विकास और देश की खुशहाली को समर्पित हो।

जाहिर है, इसके लिए एक दृष्टि की जरूरत है। बिना दृष्टि या ठोस लक्ष्य के देश को विकास की राह पर आगे नहीं ले जाया जा सकता है। इसी आलोक में न्यू इंडिया या नये भारत के निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। इस संकल्पना को 3 भागों में विभाजित किया गया है। पहला, 15 सालों यानी वर्ष 2017 से वर्ष 2032 के लिए दृष्टि दस्तावेज़; दूसरा, 7 सालों यानी वर्ष 2017 से वर्ष 2024 तक एक रणनीति के अंतर्गत कार्य करना और तीसरा, 3 सालों यानी वर्ष 2017 से वर्ष 2020 तक के लिए कार्ययोजना बनाकर कार्य करना है।

नीति आयोग के संचालन परिषद की इस बैठक, जिसमें 28 राज्यों के मुख्यमंत्री शामिल थे, में कहा गया कि 8 प्रतिशत सालाना वृद्धि दर के हिसाब से भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार वर्ष 2030 तक तीन गुना बढ़कर 7250 अरब डालर या 469 लाख करोड़ रुपये हो जायेगा, जोकि डॉलर के वर्तमान मूल्य 64.65 रुपये के आधार पर अभी 2110 अरब डॉलर है। आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया के अनुसार भारत में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का आधार बड़ा है। यदि देश की वृद्धि अगले 15 सालों तक औसतन 8 प्रतिशत की दर से होती है, तो जीडीपी वर्ष 2030 तक, वित्त वर्ष 2015-16 की कीमतों पर, 469 लाख करोड़ रुपये हो जायेगी।   

नीति आयोग की तीसरी बैठक (साभार : गूगल)

पंद्रह सालों की दृष्टि के तहत तीन स्तरीय व्यवस्था को लागू किया जायेगा। नीति आयोग ने इस संदर्भ में 300 कार्यबिंदुओं का खाका तैयार किया है, जिन्हें अमल में लाकर इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। इन कार्यबिन्दुओं पर सरकार की विविध एजेंसियां काम करेंगी और प्रगति की समीक्षा नीति आयोग की बैठकों में की जायेगी। वर्ष 2017 से वर्ष 2024 जोकि 7 सालों की लंबी अवधि है, को नीति आयोग ने रणनीति के कालखंड का दर्जा दिया है। इस अवधि में एक रणनीति के तहत देश में विकास की गति तेज करने के लिए कोशिशें की जायेंगी।

त्रिवर्षीय कार्ययोजना को 7 भागों में बाँटा गया है, जिसके तहत राजस्व व व्यय में वृद्धि, कृषि, उद्योग एवं सेवा क्षेत्र में आमूलचुल परिवर्तन, क्षेत्रवार विकास पर ज़ोर, सड़कों का जाल बिछाकर देश को एक सूत्र में पिरोना, केंद्र व राज्यों में सुशासन सुनिश्चित करना, स्वास्थ्य, शिक्षा, कौशल विकास, समावेशी विकास को लक्षित करना, सामाजिक क्षेत्र में सुधार लाना, पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाना, जल संसाधन का समुचित प्रबंधन करना आदि है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य सरकारों से अपील की है कि वे पूंजीगत व्यय एवं बुनियादी ढाँचा अर्थात सड़क, ऊर्जा, रेल, बंदरगाह आदि को मजबूत करने की तरफ ध्यान दें, क्योंकि ऐसा करके ही एक मजबूत अर्थव्यवस्था को सुनिश्चित किया जा सकता है। नीति आयोग एक सामूहिक संघीय निकाय है, जिसमें सभी राज्यों की सकारात्मक सहभागिता आवश्यक है।

वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के दौरान चीन की जीडीपी 532 लाख करोड़ रुपये बढ़ी थी, जबकि भारत की 91 लाख करोड़ रुपये। जिस तरह से भारत में अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए सुधारात्मक कार्य किये जा रहे हैं, उससे अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले 15 सालों में भारत की जीडीपी 332 लाख करोड़ रुपये बढ़कर 469 करोड़ रुपये हो जायेगी। फिलहाल, देश की जीडीपी 137 लाख करोड़ रुपये है। वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के दौरान भारत की प्रति व्यक्ति आय 60,909 रूपये बढ़ी।

साभार : गूगल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि वर्ष 2032 तक देश की प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 2,08,087 रूपये हो जाये, जो फिलवक्त 1,06,589 रूपये है। वर्ष 2000 से वर्ष 2015 के दरमियान चीन की शहरी आबादी 31 करोड़ बढ़ी, जबकि वर्ष 1991 से वर्ष 2011 के बीच भारत की शहरी आबादी 16 करोड़ बढ़ी, जबकि वर्ष 2011 से वर्ष 2031 तक में भारत की शहरी आबादी 22.30 करोड़ बढ़ने का अनुमान है।  

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईआईएम) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2018 में भारत की विकास दर 7.2 प्रतिशत के स्तर पर पहुँच जायेगी। आईएमएफ के एशिया एवं प्रशांत विभाग के निदेशक चांग यॉन्ग रे ने कहा कि भारत एशिया और दुनिया में तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है। भारतीय अर्थव्यवस्था में वृद्धि से मौजूदा सरकार को कर दायरे को बढ़ाने में मदद मिल रही है। आईएमएफ के राजकोषीय मामलों से जुड़े विभाग के निदेशक विटोर गासपेर के अनुसार भारत ईंधन सब्सिडी को खत्म करने एवं सिर्फ सामाजिक लाभ को लक्षित करके बजट में निर्धारित राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 3.5 प्रतिशत पर रखने के लक्ष्य को हासिल कर सकती है।

इस संदर्भ में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का क्रियान्वयन एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा, जिससे देश में वास्तविक एकीकृत बाजार सृजित करने में मदद मिलेगी। इतना ही नहीं, इससे भारत की मध्यावधि वृद्धि के आठ प्रतिशत से अधिक तक जाने में मदद मिलेगी। साथ ही, कर प्रणाली में किये जा रहे इस सुधार से भविष्य में विकास दर में और भी बेहतरी आने की उम्मीद है। जीएसटी एक ऐसा हथियार है, जिसकी मदद से भारत के सभी राज्यों में उत्पादन, वस्तुओं व सेवाओं की आवाजाही बढ़ेगी, जिससे अर्थव्यवस्था में गतिशीलता बनी रहेगी।  

साभार : Maps of India

इधर, आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया की दिग्‍गज अर्थव्यवस्थाओं के खराब दौर में भी भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था तेजी से आगे बढ़ रही है। इस रिपोर्ट के मुताबिक  भारत आने वाले पाँच सालों में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍था बन जायेगी। वर्तमान में यह स्थान जर्मनी को हासिल है। एक लंबे समय तक हमारे देश को गुलाम रखने वाला ब्रिटेन भी वर्ष 2022 तक दुनिया की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्‍यवस्‍थाओं की सूची से बाहर होकर छठे स्थान पर चला जायेगा।

गौरतलब है कि वर्तमान में 18,100 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ अमेरिका पहले स्थान पर है, जबकि 11,200 अरब डॉलर जीडीपी के साथ चीन दूसरे और 4200 अरब डॉलर के जीडीपी के साथ जापान तीसरे स्थान पर है। भारतीय अर्थव्यवस्था अभी 2300 अरब डॉलर की जीडीपी के साथ 9.9 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ रही है, जबकि ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था 2 प्रतिशत की दर से। इसतरह, भारतीय अर्थव्यवस्था ब्रिटेन के मुक़ाबले 5 गुना तेजी से आगे बढ़ रही है।

नीति आयोग का मकसद 15 सालों के लिए दृष्टि, 7 सालों के रणनीति और 3 सालों की कार्रवाई कार्यसूची के जरिये देश के विकास को सुनिश्चित करना है। माना जा रहा है कि नये भारत के लिए बनाई गई इन कार्य योजनाओं को लागू करने के बाद देश में सभी के लिए शौचालय, रसोई ईंधन, बिजली आदि की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सकेगी। लोग डिजिटल हथियार से लैस होने के साथ-साथ इसके इस्तेमाल से भी बखूबी वाकिफ हो सकेंगे। हर नागरिक इतने समर्थ होंगे कि वे दोपहिया वाहन या कार, एयर कंडीशनर एवं भौतिक सुख-सुविधा की दूसरी वस्तुओं का उपभोग करने में समर्थ होंगे। नये भारत में शत-प्रतिशत साक्षरता होगी, हर व्यक्ति बिजली, पानी एवं स्वास्थ सुविधाओं का उपभोग कर सकेगा, देश में सड़क, रेल, समुद्री एवं हवाई मार्गों का जाल बिछा हुआ होगा, स्वछ भारत की कल्पना हकीकत में बदल सकेगी आदि।   

सवाल का उठना लाजिमी है कि क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पुराने भारत को नये भारत में बदल सकेंगे? मौजूदा समय में अर्थव्यवस्था में गुलाबीपन का मुलम्मा को सुनिश्चित करने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है। सरकार की कोशिशों का ही नतीजा है कि आईएमएफ की ताजा रिपोर्ट में भारत को वर्ष 2022 तक विश्व की चौथी अर्थव्यवस्था बनने की बात कही जा रही  है। इस आधार पर कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नये भारत की संकल्पना कोरी कल्पना नहीं है। इस संकल्पना को देश की मजबूत होती स्थिति को देखकर मूर्त रूप दिया गया है। लिहाजा, इस संकल्पना को अमलीजामा पहनाकर गरीबी, भेदभाव, भ्रष्टाचार, गंदगी, अन्याय, बेरोजगारी, महिला उत्पीड़न आदि से देश को मुक्ति दिलाई जा सकती है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र, मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में मुख्य प्रबंधक हैं। स्तंभकार हैं। ये विचार उनके निजी हैं।)