वैश्विक स्तर पर मजबूत होती भारतीय अर्थव्यवस्था

कोरोना महामारी की वजह से अनेक देशों की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है, लेकिन भारत में सरकार की समीचीन नीतियों और आमजन में बढ़ती जागरूकता की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है।

कोरोना काल के बाद भारत और चीन की अर्थव्यवस्था बेहतर स्थिति में रह सकती है, क्योंकि  दोनों देश वर्ष 2020 और वर्ष 2021 में कोरोना वायरस को काबू पाने में सफल रहे हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार वर्ष 2021 और वर्ष 2022 के दौरान भारत में क्रमशः 9.5 प्रतिशत और 8.5 प्रतिशत विकास दर रह सकती है, जबकि चीन में वर्ष 2021 में  में 8.0 प्रतिशत और वर्ष 2022 में 5.6 प्रतिशत विकास दर रह सकती है। इसतरह, दुनिया में वर्ष 2021 और वर्ष 2022 में सबसे तेज गति से विकास भारत में होगा, जबकि चीन दूसरे स्थान पर रहेगा।

अमेरिका और यूरोपीय देशों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं

वर्ष 2021 में अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों की आर्थिक स्थिति कोरोना महामारी की वजह से अच्छी नहीं रहने का अनुमान है। वर्ष 2020 की गर्मियों में अर्थव्यवस्था में आये मामूली सुधार के बाद इन देशों में विकास के पहिये कोरोना महामारी की दूसरी लहर के कारण फिर से थम गए। अमेरिका में रोजगार परिदृश्य पर कोरोना की काली छाया अभी भी परिलक्षित हो रही है। वहां, रोजगार वृद्धि दर में उल्लेखनीय कमी आई है। कारोबारियों और उपभोक्ताओं की आर्थिक स्थिति ख़राब है। एक अनुमान के अनुसार इन देशों की अर्थव्यवस्था में वर्ष 2022 में लगभग 5 प्रतिशत तक का संकुचन आ सकता है।

विश्व अर्थवयवस्था में विकास की रफ़्तार

आईएमएफ के अनुसार वर्ष 2021 में वैश्विक अर्थव्यवस्था में 5.9 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है, वहीं, वर्ष 2022 में वैश्विक विकास दर में 1 प्रतिशत की गिरावट आने की उम्मीद है अर्थात वर्ष 2022 में वैश्विक वृद्धि दर के 4.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

साभार : Moneycontrol

भारत दुनिया की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था

अमेरिका के शोध संस्थान वर्ल्ड पॉपुलेशन रिव्यू की वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार नॉमिनल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के आधार पर भारत दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। मामले में अमेरिका पहले स्थान पर, दूसरे स्थान पर चीन, तीसरे स्थान पर जापान और चौथे स्थान पर फ़्रांस है। इस रिपोर्ट के अनुसार क्रय शक्ति क्षमता (पीपीपी) के आधार पर भारत की जीडीपी 10,510 अरब डॉलर है और यह जापान और जर्मनी से आगे है।

एनएसओ ने जनवरी, 2022 में जीडीपी का अनुमानित आंकड़ा जारी किया है, जिसके अनुसार भारत की जीडीपी वित्त वर्ष 2021-22 में 9.2 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। आईएमएफ के अनुसार वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था 9.5 प्रतिशत की दर से और वर्ष 2022 में 8.5 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ेगी। अगर सभी एजेंसियों के जीडीपी वृद्धि दर के अनुमान का औसत निकाला जाये तो भी भारतीय अर्थवयवस्था विश्व में सबसे तेज गति से आगे बढ़ेगी।

निर्यात में तेज वृद्धि

भारत में विगत 9 महीनों में निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। पहली बार भारत ने दिसंबर, 2021 में 37.29 अरब डॉलर का निर्यात किया है। सालाना आधार पर इसमें 37 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान भारत ने 299.74 अरब डॉलर का निर्यात किया, जो अप्रैल-दिसंबर 2020 में किये गए 201.37 अरब डॉलर के निर्यात से 48.85 प्रतिशत अधिक रहा। दिसंबर 2021 में भारत का आयात 59.27 अरब डॉलर रहा, जो दिसंबर 2020 में 42.93 अरब डॉलर था। इसतरह, इसमें 38.06 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई।

व्यापार घाटे में आई उल्लेखनीय कमी

दिसंबर 2021 में व्यापार घाटा 21.99 अरब डॉलर रहा, जबकि अप्रैल से दिसंबर 2021 के दौरान यह 143.97 अरब डॉलर रहा था। इन 9 महीनों की अवधि में निर्यात में उल्लेखनीय बढ़ोतरी होने से व्यापार घाटे में महत्वपूर्ण कमी आई है।

पीएमआई आंकड़ों में सुधार

विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियों में दिसंबर महीने में मजबूती आई है। दिसंबर महीने में उत्पादन और मांग दोनों में तेजी आई थी। विनिर्माण के लिए परचेजिंग मैनेजर्स सूचकांक (पीएमआई)  दिसंबर में 55.5 था, जो पहले के महीनों से अधिक है। अगर पीएमआई 50 या उससे अधिक रहता है तो उसे अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा माना जाता है।

भारत और बैंकों का रेटिंग उन्नयन

वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज ने 9 भारतीय निजी और सरकारी बैंकों की रेटिंग का उन्नयन करते हुए उसे आउटलुक निगेटिव से स्टेबल कर दिया गया है। मूडीज ने जिन बैंकों की रेटिंग का उन्नयन किया है, उनमें निजी क्षेत्र के एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक और सरकारी क्षेत्र के बैंक ऑफ बड़ौदा, केनरा बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, एक्जिम बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं। मूडीज ने बैंकों के अलावा भारत की रेटिंग का भी उन्नयन करते हुए सॉवरेन निगेटिव से स्टेबल कर दिया है। भारत की रेटिंग फिलवक्त बीएए3 है।

ऋण वृद्धि दर में सुधार

अप्रैल 2020 में ऋण वृद्धि दर 5.26 प्रतिशत पर आ गई थी। इससे पहले 1994 में ऋण वृद्धि दर 6 प्रतिशत के स्तर पर आ गई थी। जनवरी 2020 में यह वृद्धि दर 8।5 प्रतिशत थी। स्वस्थ अर्थव्यवस्था के लिए पैसों का सुचारू तरीके से बाजार में प्रवाह (रोटेशन) होना जरुरी होता है, लेकिन मौजूदा समय में कोरोना के कारण लोग खर्च करने से हिचक कर रहे हैं। इस तथ्य की पुष्टि भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों से भी होती है।

बैंक जमा में 11 सितंबर 2021 को खत्म हुए दो सप्ताह की अवधि में सालाना आधार पर 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। बैंक जमा में मार्च 2020 से लगातार बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, अब आर्थिक गतिविधियों में और रोजगार परिदृश्य में बेहतरी आने से लोगों ने खर्च करना शुरू कर दिया है। कोरोना काल से पहले के स्तर से वर्ष दर वर्ष के आधार पर सितंबर 2021 में पहली बार ऋण उठाव में 0.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

रोजगार सृजन में वृद्धि

केंदीय श्रम मंत्रालय ने 10 जनवरी 2022 को चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही के लिए रोजगार सर्वे का आंकड़ा जारी किया है, जिसके अनुसार इस अवधि में देश के 9 प्रमुख क्षेत्रों जैसे, विनिर्माण, निर्माण, परिवहन, कारोबार, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, आईटी व बीपीओ और वित्तीय सेवाओं में 3.10 करोड़ नौकरियां रहीं, जो पिछली तिमाही में 3.08 करोड़ थीं। इसतरह, 3 महीनों में 2 लाख नई नौकरियों का सृजन हुआ है।

साभार : Goodreturns

वैश्विक स्तर पर भारत की सकारात्मक भूमिका

कोरोना महामारी की वजह से अनेक देशों की अर्थव्यवस्था तहस-नहस हो गई है, लेकिन भारत में सरकार की समीचीन नीतियों और आमजन में बढ़ती जागरूकता की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ रही है।

कोरोना संकट की शुरुआत से पहले मास्क, पीपीई किट और कोरोना से जुडी अन्य आवशयक वस्तुओं का उत्पादन भारत में नहीं होता था, लेकिन भारत कठिन परिस्थितियों में भी बिना घबराये हुए कोरोना वायरस से बचाव के लिए आवश्यक उत्पादों का उत्पादन करने लगा। इतना ही नहीं, इनका उन देशों में निर्यात भी करने लगा, जहाँ इनकी जरुरत थी। इस तरह, कोरोना के कारण उत्पन्न वैश्विक संकट के दौरान भारत स्वास्थ्य संबंधी उत्पादों के अग्रणी आपूर्तिकर्ता के रूप में वैश्विक स्तर पर उभरकर सामने आया है।

आज पूरी दुनिया में भारत की वैक्सीन कूटनीति चर्चा में है, जबकि चीन के ऐसे प्रयास सफल नहीं हुए। अफ्रीका के गुमनाम देशों से लेकर कैरेबियाई देश सेंट लूसिया तक भारत की वैक्सीन पहुंच रही है। टीके की आपूर्ति में पड़ोसी देशों का प्राथमिकता के आधार पर भारत ध्यान रख रहा है। भारत ने देशी वैक्सीन कोवैक्सीन का ईजाद करने में सफल रहा है।

भारत बायोटेक के अनुसार कोवैक्सीन का बूस्टर डोज ओमीक्रोन और डेल्टा स्वरूप को रोकने में कामयाब है। भारत की देशी वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक बच्चों का टीका भी विकसित करने में सफल रही है।

निष्कर्ष

आज कोरोना से निपटने के लिए जरूरी तमाम उत्पादों का उत्पादन करने में भारत पूरी तरह से आत्मनिर्भर है। आर्थिक रूप से लगातार सबल होने के कारण भारत जरूरतमंद देशों की मदद भी कर रहा है।  साथ ही, अपनी वैक्सीन कूटनीति से भारत बड़े मुल्कों जैसे अमेरिका और प्रमुख यूरोपीय और एशियाई देशों के साथ स्वस्थ कारोबारी संबंध बनाने में भी सफल रहा है, जिससे भारत के निर्यात में वृद्धि हो रही है साथ ही साथ उसे दूसरे देशों से जरुरी उत्पादों को आयात करने में भी आसानी हो रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)