ग्रामीण उद्योगों के विकास से ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने की कवायद

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्गमंत्री नितिन गडकरी के अनुसार भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम उद्योग (एमएसएमई) के अंतर्गत करीब 38000 उद्योग हैं, जिनकी सहायता से निर्यात में बढ़ोतरी की जा सकती है। मौजूदा समय में एमएसएमई क्षेत्र लगभग 11 करोड़ रोजगार पैदा कर रहा  है। नितिन गडकरी का मानना है कि सरकार एमएसएमई को सशक्त बनाकर अगले 5 सालों में 5 करोड़ अतिरिक्त नौकरियाँ पैदा कर सकती है।

केंद्र सरकार खादी और ग्रामीण उद्योग के विकास के लिये योजना बना रही है, जिसकी मदद से आगामी 5 सालों में ग्रामीण उद्योगों के टर्नओवर को बढ़ाकर 2 लाख करोड़ रूपये किया जा सकेगा। फिलहाल, ग्रामीण उद्योगों का टर्नओवर 75 हजार करोड़ रुपए है। 

आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिये सरकार निरंतर कोशिश कर रही है। सरकारी अंतिम उपभोग व्यय की वित्त वर्ष 2020 में जीडीपी के समग्र विकास में महत्वपूर्ण भूमिका रही है। व्यय में वृद्धि से माँग में वृद्धि होती है और इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में हुई कुल वृद्धि में सरकारी खर्च का योगदान 40 प्रतिशत रहा। 

दूसरे शब्दों में कहें तो दूसरी तिमाही में जीडीपी में 4.5 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी, जिसमें सरकारी अंतिम उपभोग व्यय का योगदान 1.9 प्रतिशत था। उपलब्ध मासिक आंकड़ों के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा किये जाने वाले व्यय में ब्याज भुगतान को छोड़कर नवंबर, 2019 महीने से वृद्धि हो रही है। 

एएससीबी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि अगस्त, 2019 के अंत तक एएससीबी की ऋण वृद्धि में कमी आई, लेकिन सितंबर, 2019 से यह प्रवृति बदल गई। सितंबर, 2019 के बाद 2.54 लाख करोड़ रुपये का क्रेडिट ग्रोथ हुआ, जबकि 22 नवंबर से 6 दिसंबर के दौरान इसमें 74,437 करोड़ रुपये की वृद्धि हुई।  नवंबर, 2019 के महीने में कृषि एवं संबद्ध क्षेत्रों और व्यक्तिगत ऋण में 2.06 लाख करोड़ रुपये के ऋण की वृद्धि हुई है। सीमेंट व सीमेंट उत्पाद, निर्माण, रबड़, प्लास्टिक उत्पाद, जूट उत्पाद, दूरसंचार आदि में नवंबर, 2019 में वृद्धि देखी गई है, जिससे साफ़ पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है. 

इधर, एएससीबी कुल जमा में चालू वित्त वर्ष में वर्ष दर वर्ष के आधार पर 10.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जबकि पिछले साल इसमें 9.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। 6 दिसंबर, 2019 तक कुल जमा में 5.3 लाख करोड़ रुपए की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इसमें 4.5 लाख करोड़ रुपये की वृद्धि हुई थी। इससे संकेत मिलता है कि वित्तीय संस्थानों के पास सस्ती पूँजी की कमी नहीं है और वे उद्योगों की वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में समर्थ हैं। 

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्गमंत्री नितिन गडकरी के अनुसार भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम उद्योग (एमएसएमई) के अंतर्गत करीब 38000 उद्योग हैं, जिनकी सहायता से निर्यात में बढ़ोतरी की जा सकती है। मौजूदा समय में एमएसएमई क्षेत्र लगभग 11 करोड़ रोजगार पैदा कर रहा  है। नितिन गडकरी का मानना है कि सरकार एमएसएमई को सशक्त बनाकर अगले 5 सालों में 5 करोड़ अतिरिक्त नौकरियाँ पैदा कर सकती है। 

गडकरी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में उद्योगों को मजबूत करने के लिए ग्रामीण उद्योगों को निर्यात के जरिये वैश्विक स्तर पर होने वाले कारोबार में अपनी हिस्सेदारी 10 प्रतिशत तक बढ़ानी होगी। फिलहाल चीन में सुस्ती का माहौल है, लिहाजा इसका फायदा भारत के कारोबारी उठा सकते हैं। वर्तमान में चीन की वैश्विक कारोबार में 17 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जबकि वैश्विक कारोबार में भारत की हिस्सेदारी महज 2.6 प्रतिशत है। वैश्विक स्तर पर कीमतें बढ़ने एवं मौजूद दूसरी चुनौतियों की वजह से चीन के वैश्विक कारोबार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। यह स्थिति भारत के अनुकूल है। ऐसे में भारत अपने निर्यात को बढ़ाकर 10 प्रतिशत के स्तर पर ले जा सकता है। 

भारत से कोयला को पाराद्वीप पोर्ट से कांदला पोर्ट समंदर के रास्ते भेजा जा सकता है। जल परिवहन के सस्ता होने से कोयला 35 से 40 पैसे प्रति यूनिट सस्ती हो सकती है। भारत न्यूजप्रिंट का आयात करता है, जबकि यहाँ पर्याप्त मात्रा में बांस उपलब्ध है। देश के अधिकांश पेपरमिल्स बंद है। अगर इनका सही से इस्तेमाल किया जाये तो मौजूद मिलों को दोबारा चालू किया जा सकता है। 

गडकरी का मानना है कि मौजूदा ढांचागत सुविधाओं के साथ भारत के एमएसएमई क्षेत्र के पास 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की क्षमता है। वित्त वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर के जीडीपी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए वित्त वर्ष 2020 तक लगभग 3.2 ट्रिलियन यूएस डॉलर या लगभग 225 लाख करोड़ रुपये के जीडीपी के लक्ष्य को हासिल करना होगा। 

इस तरह, लक्ष्य हासिल करने में लगभग 21 लाख करोड़ रुपये का अंतर है, जिसकी प्रतिपूर्ति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाकर की जा सकती है। मौजूदा जीडीपी वृद्धि दर से वित्त वर्ष 2025 तक नोमिनल जीडीपी 4.5 से 4.7 ट्रिलियन यूएस डॉलर रह सकती है। यह आंकड़ा 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर के काफी करीब है। ऐसे में यह कहना समीचीन होगा कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के विचार व सुझाव ग्रामीण भारत की तस्वीर बदलने में सहायक हो सकते हैं। साथ ही, इससे 5 ट्रिलियन यूएस डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में भी मदद मिल सकती है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)