कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण में जुटी मोदी सरकार

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सौर कृषि के रूप में एक नया आय का स्त्रोत तैयार किया गया है। सौर कृषि हमारे देश में बहुत ही आसानी से की जा सकती है क्योंकि गावों में किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बंजर ज़मीन उपलब्ध है। सौर कृषि को बढ़ावा देने से देश में ग़ैरपारम्परिक ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति भी सम्भव हो सकेगी। केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा महाअभियान (पीएम कुसुम) के विस्तार की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सोलर पम्प लगाने में मदद की जाएगी और 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े सोलर पम्प लगाने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा।

केंद्र सरकार इस समय किसानों की आय को वर्ष 2022 तक दुगना करने के उद्देश्य से मिशन मोड में कार्य कर रही है। हाल ही में संसद में प्रस्तुत किए गए केंद्रीय बजट में भारतीय कृषि के आधुनिकीकरण हेतु कई उपायों की घोषणा की गई है। केंद्रीय बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कृषि को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 16-सूत्रीय  कार्ययोजना पर बल दिया है।

बजट में पशुपालन, भंडारण, नीली अर्थव्यवस्था, सिचाई समेत बाज़ार और भंडराण जैसे मसलों पर कई नई योजनाओं का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही, फल और सब्जी जैसे जल्दी खराब होने वाले कृषि उत्पादों की ढुलाई के लिये किसान रेल का प्रस्ताव किया गया है।

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सौर कृषि के रूप में एक नया आय का स्त्रोत तैयार किया गया है। सौर कृषि हमारे देश में बहुत ही आसानी से की जा सकती है क्योंकि गावों में किसानों के पास पर्याप्त मात्रा में बंजर ज़मीन उपलब्ध है। सौर कृषि को बढ़ावा देने से देश में ग़ैरपारम्परिक ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति भी सम्भव हो सकेगी।

केंद्रीय बजट में प्रधानमंत्री कृषि ऊर्जा सुरक्षा महाअभियान (पीएम कुसुम) के विस्तार की घोषणा की गई है। इस योजना के तहत 20 लाख किसानों को सोलर पम्प लगाने में मदद की जाएगी और 15 लाख किसानों को ग्रिड से जुड़े सोलर पम्प लगाने के लिए धन मुहैया कराया जाएगा।

सांकेतिक चित्र

किसान इन सोलर पंपो से बनने वाली अतिरिक्त बिजली की आपूर्ति ग्रिड को भी कर सकेंगे। केंद्र सरकार ने फ़रवरी 2019 में पीएम कुसुम योजना की शुरुआत की थी जिसके लिए 34422 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया था। इस योजना के लागू होने के बाद से किसानों की डीज़ल और केरोसिन तेल पर निर्भरता घटी है और किसान अब सौर ऊर्जा से जुड़े हैं।

इस योजना के कारण किसान सौर ऊर्जा का उत्पादन करने और उसे ग्रिड को बेचने में सक्षम हुए हैं। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत 10000 मेगावाट के विकेंद्रिकृत नवीकरण ऊर्जा संयत्रों को ग्रिड से जोड़ा जाएगा। साथ ही, 17.50 लाख, ग्रिड से पृथक, सौर बिजली कृषि पम्प स्थापित किए जाएंगे। इस प्रकार इस योजना के तहत वर्ष  2022 तक कुल 25750 मेगावाट सौर क्षमता तैयार करने की योजना बनाई गई है।

किसानों की उपज तैयार होने के बाद इसे बाज़ार में जल्दी से जल्दी पहुँचाये जाने के उद्देश्य से कृषि रेल एवं कृषि उड़ान नामक नई योजनाओं को लागू किया जा रहा है ताकि शीघ्र नष्ट होने वाली फ़सलों यथा फल, फूल, सब्ज़ियाँ, आदि को तुरंत बाज़ार तक पहुँचाया जा सके। इससे इन फ़सलों के ख़राब हो जाने के कारण किसानों को होने वाले नुक़सान से न केवल बचाया जा सकेगा बल्कि किसानों को अतिरिक्त आय होने लगेगी।  

देश में कई किसानों के पास चूँकि बहुत ही छोटी मात्रा में ज़मीन उपलब्ध है, अतः वे इस ज़मीन पर आसानी से खेती नहीं कर पाते हैं। इन किसानों की समस्या को हल करने के उद्देश्य से लैंड लीजिंग क़ानून बनाया गया है। इस क़ानून के अंतर्गत किसान अपनी कृषि भूमि को लीज़ करके खेती कर सकते है।

देश में अनुबंध खेती की संकल्पना को भी लागू किया जा रहा है। अनुबंध खेती के   माध्यम से उच्च मूल्य के उत्पादों की खेती को बढ़ावा मिलेगा जिससे किसानों को इस प्रकार की उपज का अच्छा मूल्य मिल सकेगा एवं उनकी आय में वृद्धि होगी। हमारे देश में 86 प्रतिशत छोटे और सीमांत किसान हैं। इनके लिए अनुबंध खेती की परिकल्पना से जुड़ना एकदम आसान नहीं है। एक तो अभी तक देश में इस प्रकार के कोई प्रावधान नहीं थे जिन पर वे भरोसा करते। देश में केवल मध्यम एवं बड़े किसान ही अनुबंध खेती की परिकल्पना से जुड़ पा रहे हैं। देश में यदि किसानों की आमदनी को वर्ष 2022 तक दुगना करना है तो लघु एवं सीमांत किसानों को भी अनुबंध खेती की परिकल्पना से जोड़ना ज़रूरी होगा।

फोटो साभार : पंजाब केसरी

लघु एवं सीमांत किसानों के लिए खेती के साथ साथ पशुपालन भी एक महत्वपूर्ण कार्य है। केंद्र सरकार ने देश में डेयरी उत्पादन को दुगना करने का लक्ष्य रखा है। नीली अर्थव्यवस्था  (मछली पालन) एवं बाग़वानी पर विशेष ज़ोर दिया जा रहा है। नीति आयोग ने बताया है कि किसानों की आय दुगनी करने के लिए किसानों को अपनी 70 प्रतिशत आय खेती के माध्यम से अर्जित करनी होगी एवं 30 प्रतिशत आय पशुधन के माध्यम से अर्जित करने पर फ़ोकस करना होगा। किसानो को उच्च मूल्य की फ़सलों की ओर भी जाना होगा। फूलों, सब्ज़ियों, फलों, बाग़वानी आदि की खेती को भी किसानों को अपनाना होगा। देश के जिन इलाक़ों में पर्याप्त मात्रा में पानी उपलब्ध है, उनमें पानी का बहुभागी उपयोग  करना होगा।

देश में विभिन्न कृषि उत्पादों का 5 से 18 प्रतिशत हिस्सा कटाई के बाद ख़राब हो जाता है। इसे बचाये जाने की सख़्त ज़रूरत है। यदि इस हिस्से को बचाया जा सके तो देश में 10 से 15 प्रतिशत कृषि उत्पादकता बढ़ सकती है। इससे किसानों की अतिरिक्त आय भी  होगी। यह एकीकृत भंडारण व्यवस्था के माध्यम से सम्भव हो सकता है। एकीकृत भंडारण व्यवस्था में कटाई के समय ही फ़सल का कूलिंग, ड्राइंग, वॉशिंग एवं ग्रेडिंग किया जाना शामिल है।

फ़सल को खेत से कोल्ड स्टोरेज तक भी शीघ्र ले जाने की आवश्यकता होती है ताकि खेत में लम्बे समय तक बनाए रखने के कारण होने वाले नुक़सान को रोका जा सके। भारत में 3.66 करोड़ टन की भंडारण क्षमता उपलब्ध है। इसे और बढ़ाये जाने की आज आवश्यकता है। साथ ही, वर्तमान उपलब्ध क्षमता का भी अच्छे ढंग से उपयोग करने की आवश्यकता है। जितनी भी हमारी भंडारण क्षमता है अधिकतर अभी कुछ विशेष उत्पादों के लिए ही उपयोग होती है। जबकि इसे विभिन्न उत्पादों का भंडारण किए जाने लायक़ बनाने की ज़रूरत है। जितने भी शीघ्र नष्ट होने वाले कृषि उत्पाद हैं उन सभी उत्पादों के भंडारण की व्यवस्था देश में होनी चाहिए।

इसके लिए बड़े बड़े कोल्ड स्टोरेज में अलग अलग चैनल बनाए जा सकते हैं। इन विभिन्न चैनलों में विभिन्न उत्पादों का एक साथ भंडारण किया जा सकता है। इस प्रकार फ़सल की कटाई के बाद होने वाले नुक़सान को कम किया जा सकता है और यह किसानों की अतिरिक्त आय होगी। अक्सर यह कहा भी जाता है कि उत्पाद बचाना भी उत्पाद की पैदावार बढ़ाने के सामान है। उक्त कारणों को ध्यान में रखकर केंद्र सरकार देश में अतिरिक्त भंडारण क्षमता का विकास कर रही है

देश में किसानों ने उत्पादन के लक्ष्य को तो हासिल कर लिया है, परंतु उनके कृषि उत्पादों का बाज़ार में उन्हें उचित मूल्य नहीं मिल पाता है। अतः केंद्र सरकार ने कृषि उत्पादों को किसानों द्वारा ऑनलाइन बेचने की व्यवस्था भी कर दी है। अतः अब कृषि उत्पादों को बाज़ार में सीधे ही बेचा जा सकता है। साथ ही, देश में यदि कृषि उत्पाद पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है एवं उस उत्पाद की देश में खपत कम है तो उस उत्पाद को सीधे ही विदेशों में निर्यात भी किया जा सकता है।

इसी कड़ी में किसानों द्वारा फूलों की खेती बढ़ाकर फूलों का निर्यात किया जा सकता है। इसके लिए सतही परिवहन, रेल परिवहन एवं वायु परिवहन को  कुशल बनाया जा रहा है। देश में कृषि ऋणों की उपलब्धता भी बढ़ाई जा रही है। वर्ष 2020-21 हेतु विभिन्न बैंकों द्वारा 15 लाख करोड़ रुपए के कृषि ऋण प्रदान किए जाने की व्यवस्था की जा रही है।

केंद्र सरकार ने बजट में कृषि के आधुनिकीकरण के लिए वित्त की विशेष व्यवस्था की है। कृषि क्षेत्र में कोल्ड स्टोरेज की समस्या को देखते हुए स्वयं सेवी निकायों द्वारा कोल्ड स्टोरेज का विकास किया जाएगा। साथ ही, केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र एवं सिंचाई के विकास के लिए 2.83 लाख करोड़ रुपए के निवेश की योजना बनाई है।

इन परियोजनाओं के अलावा केंद्र सरकार ने 1.23 लाख करोड़ रुपए ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज के लिए आबँटित किए हैं और 12300 करोड़ रुपए का निवेश स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत होगा। घरों में पाइप द्वारा पेयजल उपलब्ध करने के लिए सरकार ने 3.80 लाख करोड़ का निवेश करने का लक्ष्य निर्धारित किया है जिसका बहुत बढ़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों में ख़र्च होगा।

उक्त योजनाओं में लाखों हाथों को रोज़गार मिलेगा तथा इससे ग्रामीण मज़दूरों एवं किसानों की आय में महत्वपूर्ण सुधार होने की भी सम्भावना है जो अंततः ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग को बढ़ाने में सहायक होगा।

(ये लेखक के निजी विचार हैं।)