कृषि और जल प्रबंधन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण रहेगा नीदरलैंड का सहयोग

गरीबी, भुखमरी समाप्त करने, रोजगार पैदा करने, आतंकवाद के खात्मे और मानवाधिकार के क्षेत्र में दोनों देश सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। जल प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा तथा किफायती स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की दिशा में काम किया जा सकता है। कृषि पर तथा जल प्रबंधन पर नीदरलैंड के ज्ञान को मिलाकर बेहतर कार्य किया जा सकता है। इससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी दुगुनी करने में सहायता मिलेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी विदेश नीति में यूरोप को भी प्राथमिकता दी थी। इसके चलते यूरोपीय देशों के साथ भारत के रिश्तों में बहुत सुधार आया। पिछले कुछ वर्षों में व्यापारिक और आर्थिक क्षेत्र सहयोग बढ़ा है। रणनीतिक क्षेत्र में भी यही स्थिति है।संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ब्रिटेन और फ्रांस ने भारत का समर्थन किया। फ्रांस से राफेल विमान भी समय से भारत को मिला है। इसी प्रकार नीदरलैंड से भी नरेंद्र मोदी के पिछले कार्यकाल में ही रिश्ते मजबूत हुए थे। तब भारत और नीदरलैंड के बीच अनेक मुद्दों पर सहमति बनी थी। इससे सहयोग आगे बढ़ा।

इस क्रम में पिछले दिनों नीदरलैंड के किंग अलेक्जेंडर का सपत्निक भारत आगमन हुआ। प्रधानमंत्री मोदी से उनकी मुलाक़ात हुई और दोनों देशों के बीच अनेक क्षेत्रों में सहयोग पर सहमति बनी। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग तथा भारतीय उद्योग परिसंघ दोनों देशों का संयुक्त  प्रौद्योगिकी सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें कृषि, जल प्रबंधन एवं स्वास्थ्य आदि पर साझा प्रयास के संबन्ध में विचार हुआ। 

इस मौके पर भी नीदरलैंड के किंग अलेक्जेंडर की उपस्थिति रही। उन्होंने कहा कि भारत ऊर्जा से भरपूर है। वह सूचना प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के क्षेत्र में  दुनिया का नेतृत्व करने वाले अग्रणी देशों में शामिल हो चुका है। नीदरलैंड में कई भारतीय वैज्ञानिक, आईटी पेशेवर और नवोद्यमी काम करते हैं। भारतीय छात्र वहाँ अध्ययन कर रहे हैं। स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत द्वारा विकसित किफायती नवाचार की उन्होंने सराहना की। 

कृषि, जल प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के क्षेत्र में नीदरलैंड के पास काफी ज्ञान है। उसके पास पंजाब से भी कम जमीन है, इसके बावजूद वह दुनिया का दूसरा बड़ा कृषि उत्पाद निर्यातक है। पानी नीदरलैंड के डीएनए में है। उसकी इस क्षमता का भारत को लाभ मिल सकता है।

गरीबी, भुखमरी समाप्त करने, रोजगार पैदा करने, आतंकवाद के खात्मे और मानवाधिकार के क्षेत्र में दोनों देश सहयोग बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। जल प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा तथा किफायती स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग की दिशा में काम किया जा सकता है। कृषि पर तथा जल प्रबंधन पर नीदरलैंड के ज्ञान को मिलाकर बेहतर कार्य किया जा सकता है। इससे खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी दुगुनी करने में सहायता मिलेगी।

सम्मेलन में दोनों देशों अनेक कम्पनियां शामिल हुई। नीदरलैंड के राजा की भारत यात्रा के दौरान अनेक समझौते व परियोजनाओं पर भी कदम बढ़ाए गए। बारापुला नाले के गंदे पानी को साफ करने से संबंधित भारत डच परियोजना के दूसरे चरण का शुभारंभ किया गया। इसे भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय का जैव प्रौद्योगिकी विभाग तथा नीदरलैंड का ऑर्गेनाइजेशन फॉर साइंटिफिक रिसर्च संयुक्त रूप से चला रहे हैं। दूसरे चरण में प्रति दिन दस हजार लीटर सीवेज पानी को साफ किया जाएगा।

डच और भारतीय कंपनियां अपनी मौजूदा तकनीकों को साझा करके परियोजना में योगदान देंगी। इस प्रकार की कई अन्य शोधन परियोजनाएं भी चलाई जायेंगीं। इसमें कचरे को भी उपयोगी बनाने पर कार्य होगा। इससे स्वच्छ भारत मिशन भी सफल हो सकेगा।

जाहिर है कि नीदरलैंड के राजा की भारत यात्रा उपयोगी साबित हुई। अनेक क्षेत्रों में भारत और नीदरलैंड के बीच सहयोग की राहें खुली हैं। खासतौर पर कृषि और जल प्रबंधन के क्षेत्र में नीदरलैंड के सहयोग से उत्पादन में वृद्धि होगी और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)