मोदी सरकार के विकासवादी एजेंडे को अहमियत देती दिख रही पश्‍चिम बंगाल की जनता

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं की चुनावी रैलियों और पार्टी द्वारा शुरू की गई परिवर्तन यात्रा में उमड़ रही भीड़ का कारण पिछले छह वर्षों में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई विकासीय योजनाओं का बिचौलिया विहीन सफल क्रियावयन है। मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से घबड़ाकर मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार की कई जनोपयोगी योजनाओं को राज्‍य में लागू नहीं कर रही हैं।

पश्‍चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के नतीजों के बारे में अभी कुछ निष्‍कर्ष निकालना जल्‍दबाजी होगी लेकिन जिस ढंग से भारतीय जनता पार्टी को आम आदमी का समर्थन मिल रहा है उससे चुनावी नतीजों में भारी उलट-फेर होना तय है।

भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं की चुनावी रैलियों और पार्टी द्वारा शुरू की गई परिवर्तन यात्रा में उमड़ रही भीड़ का कारण पिछले छह वर्षों में मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई विकासीय योजनाओं का बिचौलिया विहीन सफल क्रियावयन है। मोदी सरकार की बढ़ती लोकप्रियता से घबड़ाकर मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी मोदी सरकार की कई जनोपयोगी योजनाओं को राज्‍य में लागू नहीं कर रही हैं।

इनमें प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि (पीएम किसान योजना) प्रमुख है। गौरतलब है कि इस योजना की कुछ शर्तों पर आपत्ति जताते हुए पश्चिम बंगाल की ममता सरकार ने इसे अपने राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया था। जनवरी 2021 में जब बीजेपी की ओर से यह मुद्दा चुनावी रैलियों में उठाया जाने लगा तो ममता बनर्जी ने इस योजना को लागू करने पर सहमति दी है। हालांकि इसके बावजूद राज्य सरकार के असहयोग के कारण बंगाल के किसानों को योजना का पैसा नहीं मिला है।

साभार : IndiaTV

कांग्रेस से लेकर वाम शासन और तृणमूल कांग्रेस के एकछत्र शासन देखने वाली पश्‍चिम बंगाल की जनता को केवल विकास के ख्‍वाब दिखाए गए। यही कारण है, कभी भारत की आर्थिक धुरी कहलाने वाला पश्‍चिम बंगाल राज्‍य उद्योगों के मामले में वीरान होता गया। दूसरी ओर मोदी सरकार पिछले छह वर्षों में पश्‍चिम बंगाल समेत पूर्वोत्‍तर भारत में विकास की गंगा बहाने में जुटी है।

मोदी सरकार इलाके में  रेल, सड़क, हवाई, बंदरगाह संपर्क बढ़ाने के साथ-साथ पूर्वी भारत का दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की अर्थव्‍यवस्‍थाओं के साथ एकाकार कर रही है। सबसे बढ़कर मोदी सरकार की नीतियों का फायदा आम आदमी तक पहुंच रहा है। इसे घरेलू व औद्योगिक गैस के उदाहरण से समझा जा सकता है।

2009 से ही महिलाएं तृणमूल कांग्रेस की प्रबल समर्थक रही हैं और पार्टी को एकतरफा जीत दिलाने में उनकी भूमिका को कम करके नहीं आका जा सकता। इस बार वही महिलाएं भारतीय जनता पार्टी के साथ हैं। इसका श्रेय राज्‍य में प्रधानमंत्री उज्‍जवला योजना के सफल क्रियान्‍वयन को जाता है।

पिछले छह वर्षों में पश्‍चिम बंगाल में एलपीजी कवरेज 41 प्रतिशत से बढ़कर 99 प्रतिशत तक पहुंच गया। इस दौरान पश्‍चिम बंगाल में 90 लाख महिलाओं को गैस कनेक्‍शन दिए गए जिनसे में 36 लाख गैस कनेक्‍शन अनुसूचित जाति-जनजाति की महिलाओं को दिए गए।

घरेलू गैस के साथ-साथ मोदी सरकार राज्‍य के उद्योगों व कारखानों के लिए सस्‍ती गैस प्रचुरता से उपलब्‍ध कराने के मिशन पर काम कर रही है। अब पश्‍चिम बंगाल राष्‍ट्रीय गैस ग्रिड (ऊर्जा गंगा) से जुड़ चुका है।

हाल ही में नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा परियोजना के तहत  हल्‍दिया में इंडियन ऑयल की रिफाइनरी का उद्घाटन किया। 348 किलोमीटर लंबी डोबी-दुर्गापुर गैस पाइपलाइन बिछाने में 2400 करोड़ रुपया खर्च हुआ है। जिसके माध्यम से दुर्गापुर के पानागढ़ औद्योगिक क्षेत्र स्थित मैट्रिक्स फर्टिलाइजर एंड केमिकल्स कारखाने में गैस की आपूर्ति शुरू हो गई।

गौरतलब है कि मोदी सरकार पूरे देश में गैस का राष्‍ट्रीय ग्रिड बना रही है। मोदी सरकार गैस पाइपलाइन को विस्तार देते हुए हल्दिया से जोड़ रही है। दुर्गापुर से हल्दिया तक तकरीबन  333  किलोमीटर पाइपलाइन बैठाने में दो हजार करोड़ रुपया खर्च होगा। वहां से इस गैस पाइपलाइन की एक शाखा कोलकाता जाएगी।

इससे कोलकाता में सीएनजी, पीएनजी गैस की आपूर्ति होगी। जहां लोगों के घरों के साथ-साथ वाहनों को गैस मिलेगा। पाइपलाइन के आसपास सीएनजी फिलिंग स्टेशन भी बढ़ाया जाएगा, ताकि वाहनों को पेट्रोल-डीजल की तुलना में कम प्रदूषण वाला गैस मिल सके। वहीं एक गैस पाइपलाइन को बिहार के बरौनी से गुवाहाटी तक बंगाल के जलपाइगुड़ी होते हुए ले जाएंगे।

समग्रत: पश्‍चिम बंगाल की जनता समझ गई है कि तृणमूल कांग्रेस, पूर्ववर्ती कांग्रेस और वामपंथी सरकारों से अलग नहीं है। यही कारण है कि वह भाजपा सरकारों द्वारा किए जा रहे विकास को प्राथमिकता दे रही है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)