सफलता की ओर प्रधानमंत्री आवास योजना, ख़त्म होगी बेघरी की समस्या!

आज़ादी के 69 वर्षों बाद भी आज हमारे देश में लगभग 5 करोड़ परिवार ऐसे हैं, जिनके सिर पर एक अदद छत का साया नहीं है। वे बेघरी में फूटपाथ पर या जर्जर झुग्गी-झोपड़ियों में दुर्दशा के साथ जीने को अभिशप्त हैं। ऐसे करीब 2 करोड़ परिवार शहरों में और 3 करोड़ परिवार देश के गांवों में बसते हैं। लेकिन, संतोषजनक बात ये है कि केंद्र की मौजूदा मोदी सरकार इन लोगों को आवास उपलब्ध कराने के लिए एक महत्वपूर्ण योजना की शुरुआत गत वर्ष ही कर चुकी है, जिसका असर भी धीरे-धीरे दिखने लगेगा।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूर्ण होने पर वर्ष 2022 तक सभी के लिए आवास की परिकल्पना की है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मोदी सरकार ने एक मिशन की शुरुआत की है। 25 जून, 2015 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस बहुप्रतीक्षित योजना को “प्रधानमंत्री आवास योजना” के नाम से प्रारंभ किया था।

अपना घर होना आर्थिक संपत्ति तो है ही साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी “प्रधानमंत्री आवास योजना” का आरंभ करते हुए कहा था कि अगर एक बार सामान्य आदमी के पास चारदीवारी आ जाती है तो उसके सपनों में जान आ जाती है और उसका विकास शीघ्र होने लगता है। उन्होंने यह भी कहा था, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बल्कि यह गरीब से गरीब व्यक्ति के सपनों में जान भरने का कार्यक्रम है।’ सुखद यह है कि मोदी सरकार की अन्य तमाम योजनाओं की तरह ही ये योजना भी अपने पूरे स्वरुप में धरातल पर  उतरती नज़र आ रही है, जिसे इसकी प्राथमिक सफलता भी कहा जा सकता है।

इस योजना के तहत 2022 तक देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूर्ण होने पर 5 करोड़ आवास बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना का क्रियान्वयन शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में अलग-अलग रूप में किया जायेगा। गौरतलब है कि शहरी आवास योजना के लिए सरकार ने जून, 2016 तक 6 लाख से अधिक घरों के निर्माण कार्य के लिए 43 हज़ार करोड़ के निवेश को मंजूरी दे दी है। साथ ही केंद्र सरकार ने 10 हज़ार करोड़ रूपए से ज्यादा की धनराशि आवंटित भी कर दी है। इसके अतिरिक्त मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल पर भी बल दिया है।

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साभार: गूगल

मोदी सरकार द्वारा ग्रामीण आवास योजना के क्रियान्वयन हेतु 2016-17 से 2018-19 तक तीन वर्षों में 81975 करोड़ रूपए खर्च किये जायेंगे। इसके अलावा 21975 करोड़ रूपए की अतिरिक्त वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) से की जाएगी। साथ ही ग्रामीण विकास में मनरेगा की भी मदद ली जाएगी। मकानों के निर्माण की कीमत केंद्र एवं राज्य द्वारा समतल क्षेत्रों में 60:40 के अनुपात में तथा पहाड़ी/उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के लिए 90:10 के अनुपात में रखी गयी है। गौरतलब है कि आवासों की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए केंद्र और राज्य सरकारों को तकनीकी मदद के लिए नेशनल टेक्निकल सपोर्ट एजेंसी का गठन किया गया है। वहीँ ग्रामीण आवास का क्षेत्रफल मौजूदा 20 वर्ग से बढ़ाकर 25 वर्ग मीटर कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त मकानों की संरचना ऐसी रखी जाएगी, जिससे प्राकृतिक आपदाओं से बचा जा सके। सरकार ने आवासों में मूलभूत सुविधाओं पर भी ध्यान दिया है, जिसमें 24 घंटे हफ्ते के 7 दिन बिजली, पानी के कनेक्शन, शौचालय निर्माण आदि शामिल है।

आवासों के निर्माणकार्य के बाद आवंटन प्रक्रिया के लिए भी मानक तय है कि लाभार्थी के पास अपना खुद का मकान न हो। इसके अतिरिक्त आवास के चयन में सेना, पुलिस, पैरा मिलिट्री फ़ोर्स के शहीद जवानों की विधवाओं, कैंसर पीड़ित, किन्नरों आदि को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन आवास योजना के क्रियान्वयन में राज्यों की भी महती भूमिका है क्योंकि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए भूमि मुहैया कराना राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है।

बहरहाल, अगर गरीब से गरीब परिवार के पास अपना खुद का मकान होगा तो वह परिवार विकास के पथ पर तेजी से बढ़ेगा। चूँकि अपना घर होना आर्थिक संपत्ति तो है ही साथ ही शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी “प्रधानमंत्री आवास योजना” का आरंभ करते हुए कहा था कि अगर एक बार सामान्य आदमी के पास चारदीवारी आ जाती है तो उसके सपनों में जान आ जाती है और उसका विकास शीघ्र होने लगता है। उन्होंने यह भी कहा था, ‘प्रधानमंत्री आवास योजना कोई इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है, बल्कि यह गरीब से गरीब व्यक्ति के सपनों में जान भरने का कार्यक्रम है।’ सुखद यह है कि मोदी सरकार की अन्य तमाम योजनाओं की तरह ही ये योजना भी धरातल पर धीरे-धीरे उतरती नज़र आ रही है, जिसे इसकी प्राथमिक सफलता कहा जा सकता है। कुछ समय में इसका वास्तविक प्रभाव भी अवश्य देश के सामने आएगा। इस योजना के आने के बाद यह विश्वास किया जा सकता है कि आने वाले समय में यह देश बेघरी जैसी शर्मनाक समस्या से मुक्ति पा सकेगा।        

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)