जनहित की योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन में कामयाब रहे प्रधानमंत्री मोदी

गरीबों के लिए पक्के घर, हर गांव तक बिजली व सड़क, हर घर में रसोई गैस, हर हाथ में मोबाइल, हरेक भारतीय का बैंक खाता और बैंक खाते में नकदी आना जैसी सुविधाएं सात साल पहले तक करोड़ों भारतीयों के लिए स्वप्न जैसी थीं। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योजनाओं के क्रियान्वयन में हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करके उनका समयबद्ध पालन सुनिश्चित कर दिया।

आजादी के बाद से हर चुनाव में बिजली, सड़क के वायदे किए जाते थे लेकिन वे चुनावी वायदे अगले चुनावों तक भुला दिए जाते थे। रसोई गैस, बैंक, बीमा का तो कहीं नाम ही नहीं होता था। 2014 का लोक सभा चुनाव इस मामले में एकदम अलग रहा कि इसके बाद विपक्ष के पास बिजली, सड़क, रसोई गैस, बैंक, बीमा जैसी सुविधाओं के लिए चुनावी वायदे करने के लिए कुछ बचा ही नहीं। मात्र सात वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिना किसी भेदभाव के हर घर तक ये सुविधाएं पहुंचा दी।

मोदी सरकार की उपलब्धियों को गरीबों के आवास से समझा जा सकता है। 2014 से पहले केंद्र सरकार ने देश में शहरी आवास योजना के तहत 13 लाख मकान ही मंजूर किए उसमें भी सिर्फ आठ लाख मकान बनाए गए। दूसरी ओर 2014 के बाद एक करोड़ 13 लाख से ज्यादा आवास मंजूर हुए।

इसमें से 50 लाख आवास गरीबों को दिए भी जा चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि 80 प्रतिशत आवासों का मालिकाना हक महिलाओं को मिल रहा है। आजादी के बाद 67 वर्षों में 13 लाख और 2014 के बाद महज 7 वर्षों में एक करोड़ 13 लाख।  यही फर्क पूर्ववर्ती सरकारों से मोदी सरकार को अलग करता है।

गरीबों को पक्की छत मुहैया कराने के बाद मोदी सरकार हर घर तक नल से जल पहुंचाने के महाअभियान में जुटी है ताकि सभी देशवासियों को साफ पेयजल मिल सके। इसके लिए सरकार ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन शुरू किया है। इसके तहत 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर में नल से जल का कनेक्शन दिया जाएगा। इसके लिए 3.5 लाख करोड़ रूपये का बजट निर्धारित किया गया है।

जब यह योजना शुरू हुई थी तब देश के कुल 19.20 करोड़ ग्रामीण आवासों में से 3.23 करोड़ (17 प्रतिशत) में नल से जल की सुविधा उपलब्ध थी। इसमें भी पानी कभी कभार ही आता था। लेकिन मोदी सरकार ने कोरोना महामारी के दौर के बावजूद मात्र दो वर्षों में 40.77 प्रतिशत ग्रामीण आवासों तक नल से जल पहुंचा दिया गया। स्पष्ट है अगले दो वर्षों में हर घर तक नल से जल का कनेक्शन का लक्ष्य हासिल करना अब असंभव नहीं है।

कांग्रेसी कार्य संस्कृति में पली-बढ़ी और योजनाओं के क्रियान्वयन में लेट लतीफी के लिए कुख्यात रही नौकरशाही के माध्यम से योजनाओं का समयबद्ध क्रियान्वयन आसान काम नहीं है। इसी को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एक नया प्रयोग शुरू किया है। उन्होंने अपने मंत्रिमंडल के सभी 77 मंत्रियों को आठ समूहों में बांट दिया है और हर समूह को सरकारी परियोजनाओं के तेज क्रियान्वयन और निगरानी की जिम्मेदारी सौंपी है।

इस समूह में युवा पेशेवरों और रिटायर हो चुके अधिकारियों को शामिल करने के साथ ही सूचना प्रौद्योगिकी का भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा। इस काम में पारदर्शिता लाने के लिए प्रत्येक मंत्री के कार्यालय में एक पोर्टल बनाया गया है जिसके जरिए केंद्रीय योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की जाएगी।

समग्रत: पिछले सात वर्षों में भारत को गरीबी उन्मूलन में जो सफलता मिली है उसमें सबसे बड़ा योगदान योजनाओं के समयबद्ध क्रियान्वयन का है। यह समयबद्ध क्रियान्वयन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हर स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करने से ही संभव हुआ।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)