हर्षा की हत्या पर व्याप्त ‘सेक्युलर मौन’ से उठते सवाल

कर्नाटक के एक स्कूल से उठा हिजाब का मामला संपूर्ण भारत को प्रभावित कर रहा है जो आज हत्या तक पहुंच गया है। देश-विदेश में एक धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत में मुस्लिमों को खतरा है और मुस्लिम महिलाओं को उनकी इच्छा के अनुसार हिजाब पहने से रोका जा रहा है जबकि वास्तविकता में  ऐसा कुछ भी नहीं है। हिजाब सिर्फ और सिर्फ स्कूल परिसर में न पहनने की बात की जा रही है। स्कूल में एक जैसी ड्रेस पहनने की बात हो रही है ना कि किसी धर्म से संबंधित पोशाक।

कर्नाटक के शिवमोगा में 26 वर्षीय युवक हर्षा की निर्मम हत्या कर दी गई। हर्षा बजरंग दल के सदस्य थे। हर्षा ने फेसबुक पर अपनी एक पोस्ट के जरिए स्कूल में हिजाब के विरुद्ध स्कूल ड्रेस का समर्थन किया था, जिसके बाद उनकी चाकू मारकर हत्या कर दी गई। इस मामले में अबतक छः आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है और इस घटना की जांच की जा रही है। गिरफ्तार किए गए आरोपियों के नाम मोहम्मद काशिफ, सैयद नदीम, अफसिफुल्ला खान, रेहान शरीफ, निहान और अब्दुल अफनान हैं।

कर्नाटक के एक स्कूल से उठा हिजाब का मामला संपूर्ण भारत को प्रभावित कर रहा है जो आज हत्या तक पहुंच गया है। देश -विदेश में एक धारणा बनाने की कोशिश की जा रही है कि भारत में मुस्लिमों को खतरा है और मुस्लिम महिलाओं को उनकी इच्छा के अनुसार हिजाब पहने से रोका जा रहा है जबकि वास्तविकता में  ऐसा कुछ भी नहीं है। हिजाब सिर्फ और सिर्फ स्कूल परिसर में न पहनने की बात की जा रही है। स्कूल में एक जैसी ड्रेस पहनने की बात हो रही है ना कि किसी धर्म से संबंधित पोशाक।

वास्तविकता तो यह है कि आज देश में मज़हबी कट्टरपंथियों द्वारा हिंदू लड़के लड़कियों को टारगेट किया जा रहा है उसके बाद उनकी हत्या कर दी जा रही है।  बीते कुछ समय की घटनाओं पर नजर डालें तो दिल्ली दंगे में आई.बी. ऑफिसर अंकित शर्मा की हत्या कर दी गई। सरस्वती पूजा विसर्जन में रुपेश पांडे की हत्या कर दी गई। वहीं फेसबुक पोस्ट पर किशन भरवाड़ की हत्या कर दी गई।

मगर विडम्बना है कि देश का तथाकथित सेक्युलर एवं बुद्धिजीवी वर्ग हिंदुओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर उस तरह मुखर नहीं होता जैसे कि अन्य मामलों में होता है। सवाल है कि कहीं सेकुलरिज्म का नकाब पहनकर देश की समरसता पर चोट तो नहीं की जा रही ? इसमें कोई दो राय नहीं कि यह सब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था के खिलाफ है। हर्षा जैसे युवक जो अपनी बात रखने में अपनी जान गवा रहे हैं और देश के कथित सेक्युलर नेता राजनीतिक रोटियां सेक रहे हैं।

कर्नाटक के ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री के एस ईश्वरप्पा ने कहा है कि हर्षा की हत्या मुस्लिम गुंडों ने की है और हम राज्य में गुंडागर्दी की इजाजत नहीं देंगे। यह कथन स्थिति को स्पष्ट करने वाला है। इसी क्रम में कुछ विपक्षी नेताओं के बयानों पर गौर करें तो मामले की जड़ भी समझी जा सकती है।

कांग्रेस नेता मुकर्रम खान का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें उन्होंने कहा है कि हिजाब का विरोध करने वालों को टुकड़ों में काट दिया जाएगा। दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी की रुबीना खान ने कहा है कि हिजाब पर हाथ लगाया तो हाथ काट देंगे। इसी तरह सैयद सरवर चिश्ती ने भी एक्शन पर रिएक्शन की बात कही है। इस तरह के भड़काऊ बयान से देश में हिंसा का माहौल बन रहा है जो सिर्फ और सिर्फ देश को आंतरिक रूप से कमजोर करने वाला है। यह सबके लिए नुकसानदायक साबित हो सकता है।

ऐसे भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं को समझना चाहिए कि देश है, तभी वे हैं । देश की जनता है, तभी आप हैं। देश की मर्यादा, देश की अखंडता को इस तरह दांव पर रखकर मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करने की कीमत देश को चुकानी पड़ रही है। ये राजनीति समाज में विद्वेष के अलावा और कुछ नहीं पैदा कर रही।

26 वर्षीय युवक हर्षा की इस तरह निर्मम हत्या इस विद्वेष का ही परिणाम है जिसे आगे और न बढ़ाया जाए। यदि आग बढ़ी तो सब को झुलसना पड़ेगा। अपनी मज़हबी मान्यताओं पर अड़ने वालों को यह बात समझने की जरूरत है कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है जो संविधान और कानून के हिसाब से चलेगा न कि किसी मज़हब विशेष के कायदों से।

(लेखिका डीआरडीओ में कार्यरत रह चुकी हैं। वर्तमान में स्वतंत्र लेखन एवं अनुवाद में सक्रिय हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)