‘राजनीति के महानायक और देश के सर्वमान्य नेता थे अटल बिहारी वाजपेयी’

राम नाईक ने बताया कि 1994 में जब उन्हें कैंसर हुआ तब वे लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे, उन्होंने त्यागपत्र देने की बात कही तो अटल जी ने कहा कि ‘त्यागपत्र मैं अपने पास रखता हूँ, पर आप जल्दी ही वापस आने वाले हैं।’ यह कहकर उन्होंने उत्साहवर्द्धन किया तथा स्वास्थ्य की जानकारी लेने वे स्वयं बिना किसी को बताये मेरे निवास पर आये।

अटल बिहारी वाजपेयी के राजनीतिक जीवन का अधिकांश समय विपक्ष में बिता। इस रूप में उन्होंने मर्यादा का नया अध्याय कायम किया। यह बताया कि सत्ता पक्ष का जोरदार विरोध भी मर्यादा की सीमा में रहते हुए किया जा सकता है। वह दो वर्ष विदेश मंत्री और छह वर्ष प्रधानमंत्री रहे। इस रूप में उन्होंने सत्ता को देशहित का माध्यम बनाया। विदेशमंत्री के रूप में मजबूत विदेश नीति पर अमल किया। भारत की प्रतिष्ठा बढ़ाई। प्रधानमंत्री के रूप में सुशासन की स्थापना की। सबको साथ लेकर चलने की कला उनके पास थी। 

अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती के अवसर पर लोक भवन में आज ‘महानायक-अटल’ विषयक परिचर्चा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री राम नाईक, केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, विधानसभा अध्यक्ष श्री हृदय नारायण दीक्षित, उप मुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा, मंत्रिमण्डल के अन्य सदस्यगण, महापौर श्रीमती संयुक्ता भाटिया व अन्य विशिष्टजन उपस्थित थे। परिचर्चा से पूर्व सभी महानुभावों ने लोक भवन के प्रांगण में लगे स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के चित्र पर पुष्प अर्पित करके अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की। 

राज्यपाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी राजनीति के महानायक तथा देश के सर्वमान्य नेता थे। दल के लोग उनकी प्रशंसा करें तो स्वाभाविक है, पर अटल जी की स्तुति विपक्षी दल के नेता भी करते हैं। उन्होंने कहा कि अटल जी में सबको साथ लेकर चलने की विशेषता थी तथा उन्होंने देश को नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया। अटल जी ऐसे पूर्व प्रधानमंत्री थे जिन्होंने लखनऊ से सांसद रहते हुए भी अपना निजी आवास नहीं बनाया।

श्री नाईक ने कहा कि अटल जी विलक्षण प्रतिभा के मालिक थे। अटल जी के साथ संगठन और सरकार में काम करने का अवसर मिला। सन् उन्नीस सौ अस्सी में मुंबई में आयोजित पहले पार्टी अधिवेशन में न्यायमूर्ति छागला ने अपने संबोधन में कहा था कि मैं मिनी इण्डिया देख रहा हूँ और मेरे दाहिने हाथ पर देश के भावी प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बैठे हैं।‘ आगे जाकर न्यायमूर्ति छागला की भविष्यवाणी सही साबित हुई और अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधानमंत्री बने। 

राम नाईक ने बताया कि 1994 में जब उन्हें कैंसर हुआ तब वे लोकसभा में पार्टी के मुख्य सचेतक थे, उन्होंने त्यागपत्र देने की बात कही तो अटल जी ने कहा कि ‘त्यागपत्र मैं अपने पास रखता हूँ पर आप जल्दी ही वापस आने वाले हैं।’ यह कहकर उन्होंने उत्साहवर्द्धन किया तथा स्वास्थ्य की जानकारी लेने वे स्वयं बिना किसी को बताये मेरे निवास पर आये।

कारगिल युद्ध में शहीदों के परिजनों को पेट्रोल पम्प और गैस एजेंसी देने के प्रस्ताव को अटल जी ने सहजता से स्वीकार किया। अटल जी के जीवन से प्रेरणा लेकर उनके रास्ते पर चलने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अटल जी जैसा बड़ा नेता मुश्किल से मिलता है। 

केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि अटल जी भारत के विलक्षण व्यक्ति थे। सार्वजनिक जीवन में रहते हुए व्यवहार, आचरण और कार्यशैली अटल जी से सीखने की जरूरत है। अटल जी की नाराजगी भी स्नेहिल होती थी। कूटनीति के मैदान के साथ-साथ युद्ध के मैदान में भी उन्होनें विजय प्राप्त की। अटल जी के सान्निध्य में जाने पर दलों के बंधन भी टूट जाते थे। उन्होंने कहा कि अटल जी जैसे नेता बिरले ही मिलते हैं। गृहमंत्री ने स्वर्गीय अटल जी से जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया। 

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तर प्रदेश से अटूट संबंध था। सार्वजनिक जीवन की शुरूआत उन्होंने उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जनपद से की तथा पांच बार लखनऊ से सांसद रहे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं श्यामा प्रसाद मुखर्जी से उन्होंने राजनीति के गुण सीखें तथा राजनीति में विश्वास के प्रतीक बनें।

अटल जी को अनेक पदों पर रहते हुए जो सम्मान प्राप्त हुआ, वह अद्भुत है। वे लम्बे समय तक लोकतंत्र के सजग प्रहरी के रूप में काम करते रहे जो प्रत्येक जनप्रतिनिधियों के लिये अनुकरणीय है। उन्होंने बताया कि अटल जी की स्मृति में कई योजनाओं का शुभारम्भ किया गया है तथा लोक भवन में उनकी इक्कीस मीटर ऊँची प्रतिमा भी स्थापित की जायेगी। 

विधानसभा अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने स्वागत उद्बोधन देते हुए कहा कि अटल जी प्रिय और अप्रिय से सर्वथा मुक्त व्यक्तित्व के मालिक थे। अपने हास्य और विनोद के माध्यम से माहौल बनाना उनकी कुशलता थी। उन्होंने कहा कि अटल जी की डांट में भी प्रेम होता था। कार्यक्रम का संचालन उपमुख्यमंत्री डॉ दिनेश शर्मा ने किया।

(लेखक हिन्दू पीजी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर हैं।)