मोदी सरकार

देशी बीजों के विकास में जुटी मोदी सरकार

भले ही विरोधी मोदी सरकार को सूट-बूट वालों की सरकार का तमगा दें लेकिन सच्‍चाई यह है कि प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही नरेंद्र मोदी किसानों, मजदूरों, गरीबों के कल्‍याण के लिए दिन-रात एक किए हुए हैं। ग्रामीण सड़क, बिजली, मृदा कार्ड, सिंचाई, फसल बीमा, राष्‍ट्रीय कृषि मंडी, खाद्य प्रसंस्‍करण के क्षेत्र में जितना काम पिछले तीन वर्षों में हुआ उतना तीन दशकों में भी नहीं हुआ था।

मोदी सरकार के सुधारों का दिखने लगा असर, कारोबारी सुगमता की रैंकिंग में भारत की बड़ी छलांग!

विश्व बैंक की ईज ऑफ़ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट 2018 में भारत कारोबारी सुगमता के लिहाज से 30 स्थान की लंबी छलांग लगाते हुए 190 देशों की सूची में 100 वें पायदान पर पहुँच गया। 30 अंकों की भारत की बड़ी छलांग इंगित करता है कि वर्तमान सरकार के सुधारात्मक उपायों के फल मिलने शुरू हो गये हैं। कारोबार के 10 में से 6 मापदंडों में भारत ने बेहतर प्रदर्शन किया है।

क्या कश्मीर पर चिदंबरम के बयान से सहमत है कांग्रेस ?

भारत की आजादी के 70 साल हो गए हैं, लेकिन कश्मीर को लेकर विवाद थम नहीं रहा है। कश्मीर को लेकर राजनीतिक गलियारों में सदैव हलचल रहती हैं, लेकिन वर्ष 2014 में पीएम मोदी द्वारा केंद्र की सत्ता संभालने के बाद कश्मीर की जनता का विश्वास हासिल करने और उसे आतंकवाद से मुक्त करने की दिशा में कई स्तरों पर प्रयास किए जा रहे हैं। अब विडंबना यह है कि केंद्र सरकार कश्मीर में शांति और प्रगति के

विगत तीन वर्षों से सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है भारत

भारत पिछले तीन सालों से सबसे तेज रफ्तार से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। मुद्रास्फीति वर्ष 2014 से लगातार नीचे आ रही है और चालू वित्त वर्ष में भी यह चार प्रतिशत से ऊपर नहीं जायेगी। इस वित्त वर्ष में चालू खाते का घाटा दो प्रतिशत से कम होगा और विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर से अधिक हो चुका है। वर्ष 2010 के बाद पहली बार इस साल सरकारी कंपनियों में हिस्सेदारी बिक्री से प्राप्त राजस्व के 72,500

किसानों की आमदनी दोगुनी करने की कोशिशों में जुटी मोदी सरकार

अब तक किसानों की आमदनी बढ़ाने पर सीधा फोकस कभी नहीं किया गया। पंचवर्षीय योजनाओं के दौरान उत्‍पादन व उत्‍पादकता बढ़ाने पर जोर दिया गया। अर्थात हमारी नीतियां खेती केंद्रित रहीं न कि किसान केंद्रित। इसका नतीजा यह हुआ कि कृषि उत्‍पादन में बढ़ोत्‍तरी के बावजूद उसी अनुपात में किसानों की आमदनी नहीं बढ़ी। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ऐतिहासिक भूल को सुधारते हुए 2022 तक किसानों की

देश के समूचे परिवहन तंत्र को बिजली आधारित करने की नीति पर काम कर रही मोदी सरकार

हर गांव तक बिजली पहुंचाने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब देश के समूचे परिवहन तंत्र को पेट्रोल-डीजल के बजाय बिजली आधारित करने की महत्‍वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे हैं। रेल लाइनों का विद्युतीकरण और 2030 के बाद पेट्रोल-डीजल कारों की बिक्री पर प्रतिबंध इसी योजना के अहम पड़ाव हैं। गौरतलब है कि सौ साल लंबे सफर के बाद वाहन उद्योग अब आंतरिक दहन वाले इंजन की जगह लीथियम ऑयन

मोदी सरकार की नीतियों से भ्रष्टाचार में आई कमी, बढ़ी विकास की रफ़्तार !

भ्रष्टाचार को विकास की राह में सबसे बड़ा रोड़ा माना जा सकता है। बढ़ते वैश्वीकरण, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, वित्तीय लेनदेन में भ्रष्टाचार की गूँज साफ तौर पर सुनाई देती है। आज कोई भी ऐसा देश नहीं है जो अपने यहाँ इसकी उपस्थिति से इंकार कर सके। देखा जाये तो लेन-देन की लागत में इजाफा, निवेश में कमी या बढ़ोतरी या संसाधनों के दुरुपयोग में भ्रष्टाचार की सक्रियता बढ़ जाती है। भ्रष्टाचार का प्रतिकूल प्रभाव निर्णय लेने की

ये जनता की चिंताओं और समस्याओं के प्रति अत्यंत संवेदनशील सरकार है !

नरेंद्र मोदी के रूप में देश ने ऐसा प्रधानमंत्री चुना है, जो जनता की नब्ज़ को पहचानता है तथा जिसे आरोपों का पलटवार प्रमाणपूर्वक करना आता है। कई दिनों से, विशेषकर विपक्षी नेताओं द्वारा, गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी ‘जीएसटी’ की आलोचना हो रही थी। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में आई थोड़ी गिरावट के बहाने देश की अर्थव्यवस्था के चरमराने की बात कही जा रही थी। सरकार की नीतियों को गलत बताया जा

लोगों में स्वच्छता की ‘आदत’ विकसित करना है मोदी सरकार का मुख्य लक्ष्य

केंद्र सरकार स्वच्छता को सिर्फ़ साफ़-सफ़ाई रखने के भौतिक उपादानों तक सीमित न कर के लोगों में इसे एक आदत के रूप में विकसित करना चाहती है। सरकार का सबसे बड़ा उद्देश्य लोगों को साफ़-सफ़ाई  के बारे में जागरूक कर उसे लोगों के जीवन में उतारने का है, जिसके लिए प्रधानमंत्री लगातार प्रयासरत हैं। सरकार

मोदी सरकार के खिलाफ आन्दोलन करने पर अन्ना को ‘जन्नत की हकीकत’ मालूम हो जाएगी !

किस तरह से कभी-कभी कुछ नेता और आंदोलनकारी अप्रासंगिक हो जाते हैं, उसका शानदार उदाहरण है अन्ना हजारे। अब उन्हें कोई याद तक नहीं करता। उनकी कहीं कोई चर्चा तक नहीं होती। एक दौर में वे भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ी लड़ाई के प्रतीक बनकर उभरे थे। अब वही अन्ना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चेतावनी दे रहे हैं लोकपाल की नियुक्ति को लेकर। आंदोलन की धमकी दे रहे हैं।