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पश्चिम बंगाल : भाजपा की परिवर्तन यात्रा ने बढ़ाई ममता की परेशानी

भाजपा की इस परिवर्तन यात्रा को बंगाल चुनाव की बड़ी तैयारी के रूप में देखा जा रहा है। इस यात्रा के माध्यम से व्यापक जनसंपर्क अभियान को गति प्रदान की जाएगी।

कोरोना पर ‘केरल मॉडल’ की तारीफों के पुल बाँधने वाले वहाँ बढ़ते संक्रमण पर खामोश क्यों हैं?

अब जब पूरा देश कोरोना मुक्‍त होता जा रहा है तब केरल में कोरोना अभी भी कहर बनकर टूट रहा है। देश के कुल मामलों का 40 पतिशत केरल से आ रहा है।

राहुल गांधी का अहंकार बची हुई कांग्रेस को भी समेट देगा!

राहुल गाँधी ने कहा कि कौन नड्डा ? अब अगर कोई पलट के पूछ दे कि कौन राहुल ? क्योंकि हर समय जिम्मेदारियों से भागने वाले राहुल गाँधी इस समय क्या हैं ?

कोरोना से लड़ाई में क्यों फेल हो रहे हैं ये चार राज्य ?

महाराष्ट्र, केरल, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ – इन चार राज्यों की सरकारों को केंद्र सरकार द्वारा कोरोना के बढ़ते मामलों पर पत्र लिखना पड़ा है।

कोरोना वैक्सीन पर अखिलेश यादव का बयान दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही, आपत्तिजनक भी है

कोरोना महामारी से लेकर उसकी वैक्सीन तक भारतीय राजनीति में विपक्षी दलों ने विरोध के लिए विरोध की जो राजनीति की है, वो शर्मनाक और निंदनीय है।

किसानों के हितों के प्रति प्रतिबद्ध है मोदी सरकार

देश के 9 करोड़ से अधिक किसानों के बैंक खातों में करीब 18 हजार करोड़ रुपए सीधे जमा किए गए। यह काम हर बार की तरह, इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।

भारत को भारत की दृष्टि से देखने-समझने और समझाने वाले अनूठे राजनेता थे अटल जी

अटल जी सही मायनों में आधुनिक भारत के शिल्पी थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में भारतवर्ष के विकास की आधारशिला रखी और आर्थिक उन्नति की सुदृढ़ नींव खड़ी की।

बंगाल में बह रही बड़े राजनीतिक बदलाव की बयार

बंगाल के चुनावों की तैयारी करने से पहले ममता बनर्जी को देश में हुए ताज़ा चुनाव परिणामों पर नज़र डालनी चाहिए ताकि उन्हें वोटर का मनोविज्ञान समझने में आसानी हो।

कम्युनिस्ट से टीएमसी तक : पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के उत्तरदायी घटक

जो बंगाल कला-संस्कृति की समृद्ध विरासत के लिए पूरी दुनिया में विख्यात रहा है, वह आज हिंसा, रक्तपात, राजनीतिक हत्याओं के लिए जाना-पहचाना जाने लगा है।

माधव गोविंद वैद्य : समाज एवं राष्ट्र को समर्पित जीवन

माधव गोविंद वैद्य उपाख्य बाबूराव जी वैद्य प्रचारक श्रेणी के ही गृहस्थ कार्यकर्त्ता थे। वैसे भी आद्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार संघ को ऐसे तपोनिष्ठ गृहस्थ कार्यकर्त्ताओं का ही संगठन मानते थे।