भारत

चीन भूल रहा है कि ये 1962 के भारत की सेना और सरकार नहीं है !

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर खिटपिट कोई नयी बात नहीं है, मगर इसबार चीन ने सिक्किम में जो किया है, उसे मामूली नहीं कह सकते। पहले चीन ने सीमा पर मौजूद भारतीय सेना के बंकरों को क्षति पहुंचाई, फिर अब उलटे भारत से वहाँ सेना को हटाने की मांग कर रहा है। चीन का कहना है कि भारत जबतक सीमा पर से अपनी सेना को वापस नहीं बुला लेता तबतक सीमा विवाद को लेकर आगे कोई बात नहीं

मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बाद अब आतंकवाद पर होगा और जोरदार प्रहार

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर दुनिया की निगाहें थीं। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के इन राष्ट्राध्यक्षों की इस पहली मुलाकात से काफी कुछ बेहतर निकलने की उम्मीद की जा रही थी। ये मुलाकात विशेष रही भी। मोदी से अपनी वार्ता से पहले ट्रंप ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, ऐसे महान प्रधानमंत्री का स्वागत करना

एससीओ की सदस्यता से पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत को मिला एक और मंच

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ के सदस्य देशों के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। अपने संबोधन में उन्‍होंने भारत को सदस्य चुनने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आंतकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे हमे मिलकर निपटना होगा। उन्‍होंने थ भी कहा कि आतंकवाद मानव अधिकारों और मानव मूल्यों के सबसे बड़े उल्लंघनकारियों में से एक है। जब तक आतंकियों

एससीओ की सदस्यता से भारत की कूटनीति को मिलेगी और मजबूती

बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत का शामिल होना कूटनीतिक एवं कारोबारी दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इस संगठन का सामरिक व कारोबारी महत्व है। इस संगठन का उद्देश्य चरमपंथी ताकतों को नेस्तनाबूत करने के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच कारोबारी रिश्ते मजबूत करना है। भारत मौजूदा समय में मुख्य तौर पर आतंकवाद और पूँजी

मोदी के रूस दौरे से पाक के रूस से नजदीकी बढ़ाने की कूटनीति को जोरदार धक्का लगा है !

देखा जाये तो आज विदेश नीति के मायने बदल गये हैं। पहले विदेश नीति के तहत सामरिक मामलों को तरजीह दी जाती थी, लेकिन अब इसके अंतर्गत आर्थिक मसलों को केंद्र में रखा जाता है। आज की तारीख में छोटे देश भी परमाणु हथियार से लैस हैं। ऐसे में कोई भी देश किसी दूसरे देश पर हमला करने की हिमाकत नहीं कर सकता है।

दक्षिण एशिया उपग्रह जीसैट-9 से अंतरिक्ष कूटनीति की ओर भारत ने बढ़ाए कदम

भारत ने पड़ोसी मुल्कों को एक नायाब तोहफा देते हुए दक्षिण एशिया संचार उपग्रह का प्रक्षेपण किया। भारत के इस कदम को दोस्ती के तोहफे के रूप में देखा जा रहा है। इससे समझौते के नये आयाम खुलेंगे। ये उपग्रह कई मायनों में खास है, क्योंकि ये दक्षिणी देशों से ना सिर्फ संचार के लिए फायदेमंद साबित होगा बल्कि प्राकृतिक आपदा जैसी सूचनाएं देने में भी सहायक होगा।

आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री के भारत दौरे से नये क्षितिज की ओर भारत-आस्ट्रेलिया सम्बन्ध

पिछले दिनों आस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मैल्कम टर्नबुल की भारत यात्रा दोनों देशों के संबंधों को नयी सुगंधियों से भर दिया। दोनों देशों ने अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद, सीमा पार संगठित अपराध से निपटने में सहयोग, विमानन सुरक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य और औषधि इत्यादि क्षेत्रों में एकदूसरे का सहयोग करने की प्रतिबद्धता व्यक्त कर द्विपक्षीय संबंधों को नए आयाम देने के साथ आपसी कारोबार एवं भू-सामरिक साझेदारी की नींव रख दी

गंगा-यमुना के बाद अब नर्मदा को भी मिले जीवित मनुष्यों के समान अधिकार

जब उत्तराखंड के नैनीताल उच्च न्यायालय ने मोक्षदायिनी माँ गंगा नदी को मनुष्य के समान अधिकार देने का ऐतिहासिक निर्णय सुनाया था और गंगा नदी को भारत की पहली जीवित इकाई के रूप में मान्यता दी थी, तब ही शिवराज सिंह चौहान के मन में यह विचार जन्म ले चुका था। वह भी सेवा यात्रा के दौरान नर्मदा नदी को मनुष्य के समान दर्जा देने के लिए उचित अवसर की प्रतीक्षा कर

ये हैं वो बातें जो बनाती हैं नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता !

मोदी की छवि एक विकास पुरुष की है, जो जाति-धर्म और आरोप-प्रत्यारोप की व्यर्थ राजनीति से परे होकर केवल देश हित में चौबीस घंटे काम करता है। वे स्‍वयं बिना अवकाश लिए तीन साल से लगातार काम कर रहे हैं और नौकरशाहों को भी प्रेरित कर रहे हैं। दरअसल ऐसी तमाम बातें हैं जो वर्तमान में नरेंद्र मोदी को देश का सर्वाधिक लोकप्रिय नेता बनाती हैं। ऐसा लोकप्रिय नेता जिसके

मोदी सरकार के नेतृत्व में परिवर्तन की ओर अग्रसर भारत

उत्तर प्रदेश के नतीजों के तुरंत बाद उमर अब्दुल्लाह ने कहा था कि “विपक्ष को अब 2024 की तैयारी करनी चाहिए; 2019 में उसके लिए खास उम्मीद नहीं है”। उमर अब्दुल्ला ने संभवत: वर्तमान राजनीति की उस हक़ीकत को स्वीकारने का प्रयास किया, जिसे पूरा विपक्ष कहीं न कहीं समझ तो रहा है, मगर स्वीकार नहीं रहा। यद्यपि 2019 अभी दूर है; परंतु जमीनी हकीकत और तमाम समीकरणों को देखते हुए पूरी संभावना