सिद्धारमैया

कांग्रेस-जेडीएस सरकार जैसे बनी थी, उसका गिरना अवश्यंभावी था!

कांग्रेस और जेडीएस सरकार के गठन से पहले न्यूनतम साझा कार्यक्रम भी नहीं बनाया गया था। कर्नाटक में एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ी इन दोनों पार्टियों ने बिना किसी एजेंडे के सरकार बनाई थी। कर्नाटक में कांग्रेस व जेडीएस ने भाजपा को रोकने के नाम पर गठबन्धन किया था। इनके पास अन्य कोई कार्यक्रम नहीं था। ऐसी सरकार के गिरने में चौंकाने वाली कोई बात नहीं, इसका ये हश्र अवश्यंभावी था।

‘एजेंडा पहले ही नहीं था, अब संख्याबल भी नहीं रहा, फिर भी कुमारस्वामी से कुर्सी नहीं छूट रही’

कर्नाटक का सियासी घमासान राज्‍य के संचालन को कितना नुकसान पहुंचा रहा होगा, इस दिशा में कोई सोचने को तैयार नहीं है। हाथी निकल गया लेकिन पूंछ अटक गई है। पूरी कैबिनेट जा चुकी लेकिन कुमार स्‍वामी अभी भी बालहठ की तरह अपना पद पकड़े हुए हैं, मानो उनके सत्‍ता में बने रहने से रातोरात कोई चमत्‍कार हो जाएगा।

कर्नाटक का नाटक : बिना एजेंडे के चल रही कांग्रेस-जेडीएस सरकार की हालत अब गई, तब गई

असल संघर्ष तो कांग्रेस विधायक दल के नेता सिद्धारमैया और कुमारस्वामी के बीच कुर्सी को लेकर है और इसका ठीकरा बीजेपी के माथे पर फोड़ने की कोशिश की जा रही है। केंद्र में कैबिनेट मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में स्पष्ट कर दिया था कि कर्नाटक का संकट गठबंधन दलों के आपसी स्वार्थ का नतीजा है

कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस के कुचक्र हुए ध्वस्त, भाजपा की बनी सरकार !

कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम सबके सामने हैं। किसी भी दल को वहाँ की जनता ने स्पष्ट जनादेश नहीं दिया, लेकिन भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई और बहुमत के आकड़े को छूते-छूते रह गई। कौन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा ? इस खंडित जनादेश के मायने क्या है ? ऐसे बहुतेरे सवाल इस खंडित जनादेश के आईने में लोगों के जेहन में थे।

जनता के पैसे से 60 लाख के चाय-बिस्कुट उड़ाने वाले सिद्धारमैया को जवाब देने को तैयार कर्नाटक!

कनार्टक में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा और कांग्रेस की अपनी-अपनी तैयारियां हैं। दोनों दलों नेता जनता के बीच रैलियां, सभाएं करते हुए अपनी बात अवाम तक पहुंचा रहे हैं। मूल रूप से हिंदी भाषी राज्‍य न होने के बावजूद यहां हिंदी में दिए गए भाषणों को तरजीह मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कनार्टक राज्‍य के सघन भ्रमण पर हैं। इस क्रम में वे बेल्‍लारी, कलबुर्गी, बेंगलुरु, उडुपी आदि स्‍थानों पर सभाएं कर चुके हैं।

कर्नाटक चुनाव : नामदार पर भारी पड़ रहा कामदार !

कर्नाटक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कामदार शब्द कारगर साबित हुआ। धर्म विभाजन के सहारे चुनाव में उतरी कांग्रेस को इससे कांटा लगा है। क्योंकि, कामदार शब्द ने विकास को प्रमुख मुद्दा बना दिया है। कांग्रेस अपने को इसमें घिरा महसूस कर रही है। उसकी सरकार के लिए विकास के मुद्दे पर टिके रहना संभव होता, तो चलते-चलते विभाजन का मुद्दा न उठाती। यह उसकी कमजोरी का प्रमाण है। मोदी ने इसे

लिंगायत विभाजन की चाल से खुद कांग्रेस को ही होगा नुकसान !

कर्नाटक में पांच वर्ष तक शासन करने के बाद भी कांग्रेस उपलब्धियों के नाम पर खाली हाथ है। यह विरोधियों का आरोप नहीं, उसकी खुद की कवायद से उजागर हुआ। अब वह धर्म विभाजन के आधार पर अपनी सत्ता बचाने का अंतिम प्रयास कर रही। मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित किया। कांग्रेस की त्रासदी समझी जा सकती है। देश के करीब सात

‘कर्नाटक में सिद्धारमैया सरकार ने जो किया है, वो करने से पहले अंग्रेज भी दस बार सोचते !’

कांग्रेस खुद को ‘सेक्युलर’ पार्टी कहती है, लेकिन कर्नाटक में चुनाव जीतने के लिए इसने एक नया धर्म ही गढ़ दिया। राजनीतिक विजय हासिल करने के लिए अगर समाज को तोड़ना भी पड़े तो कांग्रेस इसे गलत नहीं मानती है। जिस निर्लज्जता के साथ कांग्रेस ने यह कदम उठाया, शायद ब्रिटिश हुकूमत भी ऐसा करने से पहले दस बार सोचती।

कांग्रेस शासित कर्नाटक में हुई हत्या के लिए किस मुँह से भाजपा पर इल्जाम लगा रहे, राहुल गांधी!

कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार है। यहां कानून व्यवस्था बनाये रखना प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है। कर्नाटक की राजधानी बंगलुरु में महिला पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या होना निस्संदेह दुखद और निंदनीय है। प्रदेश सरकार को चाहिए कि वह यथाशीघ्र दोषियो को गिरफ्तार करके उन्हें कठोर सजा दिलवाए। यह प्रदेश सरकार की जिम्मेदारी है कि वह सच्चाई को सामने लाये। प्रदेश के पुलिस प्रमुख ने कहा कि अभी वह घटना की

गौरी लंकेश की हत्या पर कर्नाटक सरकार से सवाल पूछने से क्यों बच रहे, कॉमरेड ?

कर्नाटक जैसा देश का एक शानदार और प्रगतिशील राज्य जिस तेजी से गर्त में मिल रहा है, उसे सारे देश को गंभीरता से लेना होगा। बैंगलुरू में वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की उनके घर में घुसकर हत्या से सारा देश का मीडिया जगत सन्न है। वो जुझारू पत्रकार थीं। गौरी के कातिलों को पकड़ा जाए और उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिले।