सरकार के क़दमों का दिखने लगा असर, रफ़्तार पकड़ रहीं आर्थिक गतिविधियाँ

सरकार के क़दमों से महामारी के प्रभाव से उबरकर अब अर्थव्यवस्था स्थायित्व एवं बेहतरी की दिशा में आगे बढ़ रही है। अगस्त महीने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तो तेजी आई ही है साथ ही साथ डिजिटल लेनदेन में भी तेजी आई है, जो एक अच्छा संकेत है। डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी से भ्रष्टाचार में कमी आने की संभावना है साथ ही साथ इससे करेंसी की छपाई की लागत में कमी आने और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता आने का अनुमान है, जो एक मजबूत अर्थव्यवस्था और सुशासन के लिए जरूरी है।

कोरोना महामारी की वजह से बदहाल हुई विनिर्माण गतिविधियां फिर से पटरी पर लौट रही हैं। इसमें तेजी इस्पात और उससे तैयार होने वाले विविध उत्पादों में इस्तेमाल होने वाली वस्तुओं की मांग बढऩे से हुई है। अक्टूबर 2007  के बाद से विनिर्माण उत्पादन में यह सबसे तेज बढ़ोतरी है। चार महीनों की सुस्ती के बाद इनके भंडारण में तेजी आ रही है। मांग बढ़ने से उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में भी तेजी आ रही है। अब विनिर्माताओं को नये ऑर्डर मिलने लगे हैं। 

सितंबर महीने के मुकाबले अक्टूबर महीने में तो बिक्री में 12 सालों में सबसे तेज इजाफा हुआ है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 प्रतिशत के भारी संकुचन वाले आंकड़ों के बाद विनिर्माण के ताजा आंकड़े उत्साह जगाने वाले हैं। 

आईएचएस मार्किट द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अक्टूबर महीने में देश में विनिर्माण पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 58.9 तक पहुंच गया। वर्ष 2010 के बाद पीएमआई का यह सर्वश्रेष्ठ स्तर है। सितंबर महीने में भी विनिर्माण पीएमआई 8 सालों के सर्वोच्च स्तर 56.8 पर था। पीएमआई 50 से अधिक होने का मतलब है, पिछले महीने के मुकाबले विनिर्माण गतिविधियां बढ़ी हैं। उल्लेखनीय है कि पीएमआई की तुलना पिछले साल की जगह पिछले महीने से की जाती है। 

पीएमआई के पिछले महीने के आंकड़ों के अनुसार अगस्त महीने में विनिर्माण पीएमआई 52  पर रहा, जो जुलाई महीने के 46 से ज्यादा है। 50 से ऊपर पीएमआई कारोबार में विस्तार, जबकि इससे कम संकुचन दर्शाता है। अप्रैल में पीएमआई 27.4 के ऐतिहासिक निचले स्तर पर था, लेकिन अगस्त महीने के बाद इसमें लगातार सुधार आ रहा है। 

आर्थिक हालात में लगातार सुधार आने से कंपनियों को आने वाले महीनों में भी बिक्री में उछाल बरकरार रहने की उम्मीद है। नये कारोबारी ठेकों में भी इजाफा देखा जा रहा है। विनिर्माण क्षेत्र के बाद सेवा क्षेत्र में भी आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है।

फरवरी के बाद पहली बार अक्तूबर महीने में सेवा क्षेत्र का विनिर्माण पर्चेंजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) 50 अंकों को पारकर 54.1 के स्तर पर पहुँच गया। सितंबर महीने में यह 49.8 के स्तर पर था। पीएमआई में बढ़ोतरी यह दर्शाता है कि सेवा क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियां बढ़ रही हैं। 

अक्तूबर महीने में जीएसटी संग्रह विगत 8 महीनों में पहली बार 1 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा हुआ है। इतना ही नहीं, पिछले साल के समान महीने से जीएसटी संग्रह 10 प्रतिशत अधिक रहा है। अक्तूबर 2019 में; जीएसटी संग्रह 95,379 करोड़ रूपये हुआ था और इस साल अक्तूबर महीने में जीएसटी संग्रह 1,05,155 करोड़ रूपये हुआ है। अक्तूबर के अंत में जीएसटीआर-3बी रिटर्न की संख्या भी 80 लाख से ऊपर पहुँच गई।  

कोरोना महामारी की वजह से डिजिटल लेनदेन में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है, जिसका कारण नकदी के लेनदेन से कोरोना वायरस से संक्रमित होने का डर है। यह एक सकारात्मक संकेत है। भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के भुगतान प्लेटफॉर्म यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) का अक्टूबर महीने में 3.86 लाख करोड़ रुपये के 2 अरब से ज्यादा लेनदेन हुए हैं।

वर्ष 2016 के बाद पहली बार इतनी बड़ी संख्या में लेनदेन हुआ है। एनपीसीआई के आंकड़ों से पता चलता है कि अक्टूबर महीने में यूपीआई में 2.07 अरब लेन-देन हुई, जो पिछले वर्ष की समान अवधि में 1.14 अरब लेनदेन की तुलना में लगभग 82  प्रतिशत ज्यादा है।  

यूपीआई से एक अरब लेनदेन पर पहुंचने में जहां 3 साल लगे, वहीं 1 से 2 अरब लेनदेन महज एक साल के बाद ही हो गया। गौरतलब है कि तालाबंदी की वजह से अप्रैल महीने और उसके बाद के कुछ महीनों तक डिजिटल लेनदेन में तेज गिरावट दर्ज की गई थी, लेकिन बाद में इसमें सुधार हुआ। उदाहरण के तौर पर इस साल अप्रैल महीने में यूपीआई लेनदेन गिरकर 0.99 अरब रह गया था, लेकिन बाद में इसका लेनदेन दोगुने से भी ज्यादा हो गया। 

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म का यूपीआई लेनदेन में तेजी लाने में अहम योगदान रहा है। दशहरा में इसमें विशेष तेजी आई है, जिसमें दीवाली, छठ, क्रिसमस और नये वर्ष में और भी तेजी आने की संभावना है। जून 2020 से यूपीआई हर महीने नई ऊंचाइयों पर पहुंच रहा है, जिसका कारण इसके इस्तेमाल की प्रक्रिया का सरल होना, इससे जुड़े सुरक्षा व्यवस्था का बेहतर होना, इसके लेनदेन में जोखिम का कम होना, कोरोना महामारी के कारण लोगों द्वारा नकदी लेनदेन करने से परहेज करना आदि है। 

अक्टूबर में आईएमपीएस के द्वारा भी 2.74  लाख करोड़ रुपये का 31.9 करोड़ लेनदेन किया गया, जबकि पिछले साल की समान अवधि में इसके द्वारा 2.12 लाख करोड़ रुपये का 23.6  करोड़ लेनदेन किया गया था। फास्टैग से भी लेनदेन बढ़कर 12.236  करोड़ हो गया, जो पिछले साल से 300 प्रतिशत अधिक है।

कहा जा सकता है कि सरकार के क़दमों से महामारी के प्रभाव से उबरकर अब अर्थव्यवस्था स्थायित्व एवं बेहतरी की दिशा में आगे बढ़ रही है। अगस्त महीने के बाद आर्थिक गतिविधियों में तो तेजी आई ही है साथ ही साथ डिजिटल लेनदेन में भी तेजी आई है, जो एक अच्छा संकेत है। डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी से भ्रष्टाचार में कमी आने की संभावना है साथ ही साथ इससे करेंसी की छपाई की लागत में कमी आने और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता आने का अनुमान है, जो एक मजबूत अर्थव्यवस्था और सुशासन के लिए जरूरी है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)