पहली तिमाही में जीडीपी में हुई रिकॉर्ड वृद्धि अर्थव्यवस्था की गतिशीलता को ही दर्शाती है

वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो किसी भी तिमाही में अब तक की उच्चतम वृद्धि है। तिमाही आधार पर भी पिछले वर्ष की दिसंबर तिमाही से जीडीपी में लगातार वृद्धि होना विकास में तेजी आने का द्योतक है।

कोरोना महामारी से जूझती अर्थव्यवस्था के लिये सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के ताजे आंकड़े राहत देने वाले हैं। वित्त वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही में जीडीपी में 20.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो किसी भी तिमाही में अब तक की उच्चतम या रिकॉर्ड वृद्धि है। हालांकि, जीडीपी में आई तेज वृद्धि का एक कारण आधार प्रभाव है, लेकिन तिमाही आधार पर भी पिछले वर्ष की दिसंबर तिमाही से जीडीपी में लगातार वृद्धि होना विकास में तेजी आने का ही द्योतक है।

इसके अलावा जुलाई 2021 में वर्ष दर वर्ष के आधार पर सीमेंट और कोयला सहित 8 कोर क्षेत्रों में 9.4 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई है, जो यह दर्शाता है कि तीसरी लहर नहीं आने की स्थिति में आर्थिक गतिविधियां चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही तक सामान्य हो सकती हैं।

चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान कुल सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) 30.1 लाख करोड़ रुपए रहा, जोकि पिछले साल के मुक़ाबले 18.8 प्रतिशत अधिक है। जीवीए से अर्थव्यवस्था के कुल उत्पादन और आय का पता चलता है।

सांकेतिक चित्र (साभार : News 18 Hindi)

यह बताता है कि एक निश्चित अवधि में किसी वजीवी स्तु की लागत और कच्चे माल की कीमत को अलग करने के बाद कितने रुपए की वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन हुआ। इससे यह भी पता चलता है कि किस क्षेत्र, उद्योग या क्षेत्र में कितना उत्पादन हुआ है। सरल शब्दों में कहें तो जीडीपी से सब्सिडी और कर को अलग करने  के बाद जो आंकड़ा सामने आता है, वह जीवीए कहलाता है।

अप्रैल से जुलाई 2021 के बीच राजकोषीय घाटा बजट अनुमान के 21.3 प्रतिशत के स्तर पर रहा, जो पिछले 9 सालों में सबसे कम है, जबकि राशि में यह 3.21 लाख करोड़ रुपए रहा। बता दें कि वित्त वर्ष 2021-22 के लिए राजकोषीय घाटा का बजट अनुमान 15.06 लाख करोड़ रुपए था।

इस दौरान सरकार ने निवल कर के रूप में 5.30 लाख करोड़ रुपए की वसूली की, जबकि 10.04 लाख करोड़ रुपए विभिन्न मदों पर खर्च किए। सरकारी खर्च में बढ़ोतरी इस बात का संकेत है कि सरकार आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है।

भारत सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रह्मण्यम के मुताबिक गूगल मोबिलिटी संकेतक के अनुसार किराना सामानों की गतिविधियां कोरोना महामारी के पहले के स्तर पर पहुँच चुकी हैं। सुपरमार्केट्स, अनाज के गोदामों, अनाज मंडियों, दवा की दुकानों आदि में विविध उत्पादों की खरीद के लिए भीड़ में वृद्धि देखी जा रही है।

कोरोना महामारी के बावजूद देशभर में मकानों की खरीद-फरोख्त भी कमोबेश रुकी नहीं है। विगत 5 सालों में इसके बाजार में लगभग एक तिहाई और पिछले साल ढाई गुना की बढ़ोतरी देखी गई है। मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई के आंकड़े भी संतोषजनक रहे हैं और औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि दर भी सकारात्मक है।

सूक्ष्म, लघु और मझौले उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र का देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 30 प्रतिशत का योगदान है और यह सबसे अधिक रोजगार मुहैया कराने वाले क्षेत्रों में शामिल है। भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार जून 2021 में एमएसएमई को दिये जा रहे बैंक ऋण में 0.3 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, जबकि सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों को इस अवधि में दिये जा रहे ऋण में 6.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि पिछले साल इस क्षेत्र को दिये जा रहे ऋण में 2.9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। हालांकि, मझौले उद्यमों को जून महीने में वितरित ऋण में 54.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

सरकार की आपातकालीन क्रेडिट लाइन गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) से एमएसएमई क्षेत्र को काफी राहत मिली है, लेकिन अभी भी इस क्षेत्र को राहत देने की आवश्यकता है। बड़े उद्योगों एवं अन्य क्षेत्रों को भी मदद मुहैया कराने की जरुरत है। लिहाजा, दबावग्रस्त एमएसएमई एवं बड़े ऋण खातों को पुनर्गठित करने का काम बैंकों द्वारा किया जा रहा है।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में सरकारी बैंकों के प्रमुखों से आगामी त्योहारी महीनों में ऋण वितरण में तेजी लाने के लिए कहा है। भारतीय स्टेट बैंक ने कोरोना महामारी से प्रभावित एमएसएमई को राहत देने के लिए 27000 करोड़ रुपए का ऋण वितरण किया है। वर्ष 2021 की जून तिमाही में जीडीपी 20.1 प्रतिशत की दर से बढ़ी है और तिमाही आधार पर भी जीडीपी में वृद्धि दर्ज की जा रही है, जो इस बात का संकेत है कि अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)