युवाओं के कौशल से भारत बनेगा दुनिया की आर्थिक महाशक्ति

भारत में जितनी भी सरकारें अभी तक रही हैं, उन्होंने अपने अनुसार मानव संसाधन को सुदृढ़ करने का प्रयास किया है। वर्तमान सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार द्वारा भारत को विश्व में मानव संसाधन की राजधानी बनाने के लिए 15 जुलाई 2015 को ‘स्किल इंडिया’ योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य कम समय में बड़ी मात्रा में लोगों को कौसल प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही राष्ट्रिय कौशल विकास अभियान, राष्ट्रिय कौशल विकास और उद्यमिता नीति-2015 तथा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एवं कौशल ऋण योजना की अखिल भारतीय स्थल पर शुरुआत की गई।

किसी भी राष्ट्र में संसाधनों का जितना वैविध्य व आधिक्य होगा, वह राष्ट्र उतना ही समृद्ध होगा। बात जब संसाधनों की हो तो प्रायः भौगोलिक संसाधनों की ओर तेजी से रूख किआ जाता है परन्तु यह सर्वविदित है कि मानव संसाधन का अलग औचित्य व महत्ता है। मानव संसाधन किसी भी राष्ट्र के विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

मानव को जब एक संसाधन माना जा रहा है तो इस रूप में इसकी अवधारणा को समझना जरूरी है। मानव संसाधन वह अवधारणा है जो जनसंख्या को अर्थव्यवस्था पर दायित्व से अधिक परिसंपत्ति के रूप में देखती है। शिक्षा, प्रशिक्षण एवं चिकित्सा सेवाओं में निवेश के परिणामस्वरूप जनसंख्या मानव संसाधन में बदल जाती है। मानव संसाधन उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूँजी है। यह प्रतिभाशाली और काम पर लगे हुए लोगों और संघठनात्मक सफलता के बीच की कड़ी को पहचानने का सूत्र है।        

मानव संसाधन एक अर्थ में जब उत्पादन में प्रयुक्त हो सकने वाली पूंजी है तो इसका तात्पर्य यह है कि हमें अधिक उत्पादन के लिए अधिक पूंजी निवेश की आवश्यकता होगी। लेकिन एक राष्ट्र के स्तर पर अधिकाधिक लाभ तब कमाया जा सकता है जब अधिक उत्पादन कम पूंजी को खर्च कर कमाया जाए। यह कम पूंजी का कार्य मानव संसाधनों में युवा वर्ग करेगा। बड़ी सरल भाषा में इसे समझना चाहें तो एक युवा एक बच्चे व एक बुजुर्ग से सदैव अधिक कार्य करेगा, यह कार्य अगर सकारात्मक दिशा में कराया जाए तो राष्ट्रहित में यह अच्छा योगदान देगा। 

भारत के सन्दर्भ में एक बात लगातार कही जाती है कि भारत युवाओं का देश है। इसकी 50 प्रतिशत से अधिक आबादी 25 वर्ष एवं 65% से अधिक आबादी 35 वर्ष से कम आयु की है। इस हिसाब से अगर गणना की जाएं तो एक औसत भारतीय उम्र लगभग 29 वर्ष की ठहरेगी, जो चीन व जापान की औसत उम्र क्रमशः 37 व 48 वर्ष से बहुत कम ठहरती है। भारत अगर वर्तमान में युवाओं का देश है तो हमें अपने आने वाले भविष्य के बारे में भी सोचना चाहिए। 

भारत में जितनी भी सरकारें अभी तक रही हैं, उन्होंने अपने अनुसार मानव संसाधन को सुदृढ़ करने का प्रयास किया है। वर्तमान सरकार ने भी इस दिशा में कदम उठाए हैं। केंद्र सरकार द्वारा भारत को विश्व में मानव संसाधन की राजधानी बनाने के लिए 15 जुलाई 2015 को ‘स्किल इंडिया’ योजना की शुरुआत की गई। इस योजना का उद्देश्य कम समय में बड़ी मात्रा में लोगों को कौसल प्रशिक्षण उपलब्ध कराना है। इसके साथ ही राष्ट्रीय कौशल विकास अभियान, राष्ट्रीय कौशल विकास और उद्यमिता नीति-2015 तथा प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना एवं कौशल ऋण योजना की अखिल भारतीय स्थल पर शुरुआत की गई। 

वर्तमान सरकार द्वारा शुरू की गई प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय का प्रमुख कार्यक्रम है, जिसे राष्ट्रिय कौशल विकास निगम द्वारा संचालित किया जाता है। इसके अंतर्गत बड़ी संख्या में भारतीय युवाओं एवं युवतियों को उद्योग के अनुरूप कौशल प्रशिक्षण दिया जाएगा, जो उन्हें बेहतर जीविका सुनिश्चित करने में सहायता प्रदान करेगा। वर्तमान समय में भारत के सिर्फ 5 प्रतिशत श्रमबल को किसी भी प्रकार का औपचारिक कौशल प्रशिक्षण प्राप्त है और श्रमबल की इसी खराब गुणवत्ता के कारण अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उत्पदान स्तर में गिरावट से जूझ रहे हैं।

अगर अभी से अपने युवाओं को उचित कौशल प्रदान किया जाए तो जो कौशल युक्त श्रमबल केवल 5 प्रतिशत है, इसे बढ़ाया जा सकता है। इसे जितना अधिक बढ़ाया जाएगा, अर्थव्यवस्था में उत्पादन के स्तर पर इनके महत्वपूर्ण योगदान का लाभ हमें मिलेगा। ऐसा प्रायः देखा जाता है कि भारत में श्रम बाजार में पहली बार प्रवेश करने वालों और मुख्यतः दसवीं और बारहवीं कक्षा के बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले युवकों और युवतियों की बड़ी संख्या है, परन्तु उनके पास कोई औपचारिक कौशल नहीं है। यह योजना उनको एक उचित मानव संसाधन के रूप में विकसित करने में मदद करेगी।

सरकार के हालिया आंकड़ों के अनुसार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत 17.95 लाख लोगों को प्रशिक्षित किया गया। मंत्री परिषद ने हाल ही में अगले चार वर्षों अप्रैल 2016 से मार्च 2020 तक 60 लाख व्यक्तियों को नया प्रशिक्षण देने के लिए और औपचारिक कौशल प्राप्त 40 लाख लोगों को प्रमाण पत्र देने के लिए 12,000 करोड़ रूपये के बजट को मंज़ूरी दी है। इसके अंतर्गत अधिकृत संस्थानों में कौशल प्रशिक्षण ले रहे अभ्यर्थियों को 8000 प्रति अभ्यर्थी का औसत पारितोषिक प्रदान किया जाएगा। इस सन्दर्भ में एक बात सबसे महत्वपूर्ण है कि कौशल विकास मूलभूत पात्रता प्राप्त करने के बाद ही हो सकता है जो सिर्फ विद्यालयी शिक्षा से मिलता है। इसलिए सरकार को सबसे प्राथमिक स्तर पर प्रारंभिक शिक्षा और माध्यमिक शिक्षा के स्तर में भी सुधार करने कि आवश्यकता है।

कौशल विकास एवं उद्यमिता राष्ट्रीय नीति 2015 को वर्तमान सरकार ने भारत की प्रथम एकीकृत राष्ट्रीय नीति के तौर पर मंजूरी दी। इस नीति का उद्देश्य उच्च मानकों सहित तेज़ी के साथ बड़े पैमाने पर कौशल प्रदान करते हुए सशक्तिकरण की व्यवस्था तैयार करना और उद्यमिता पर आधारित नवाचार संस्कृति को बढ़ावा देना है, जो देश में सभी नागरिकों की स्थायी आजीविका सुनिश्चित करने के लिए धन एवं रोज़गार का सृजन कर सके।

इस योजना का उद्देश्य वर्ष 2022 तक 42 करोड़ भारतीय युवाओं को उद्योगों की मांग के अनुसार प्रशिक्षित कर उन्हें रोज़गार के लिए तैयार करना है| देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मुंबई और चेन्नई आई.आई.टी, अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय एवं बनारस हिंदू विश्वविद्यालय की मदद ली जाएगी।

इस सन्दर्भ में महिलाओं का भी ध्यान रखा गया है। 450 महिलाओं औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों और सामन्य आई.टी.आई 1004 महिला विंग के माध्यम से महिलाओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा रहा है। राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद में सामान्य आई टी आई संस्थानो में 30 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने की सिफ़ारिश की गई है। नक्सलवाद से प्रभावित 34 जिलों में कौशल विकास सुविधाएँ विकसित करने के लिए हर जिले में आई टी आई संस्थान और दो कौशल विकास केंद्र स्थापित किए गए हैं। यह इसलिए भी ज़रूरी था ताकि उस क्षेत्र में युवाओं को प्रशिक्षित कर रोज़गार ले क्षेत्र में आगे बढ़ाया जाए जिससे नक्सल के प्रभाव पर कुछ अंकुश लग सके।

पूर्वोत्तर राज्यों में कौशल विकास के अंतर्गत 20 आई टी आई संस्थानो को अपग्रेड करके प्रत्येक संस्थान में तीन नए व्यवसाय शुरू किये गए हैं। 28 आई टी आई संस्थानो में मूलभूत ढाँचागत सुविधाओं जैसे नए छात्रावास, संस्थान की मरम्मत, पुराने और खराब उपकरणों को बदलना आदी शामिल है। सरकार ने 1396 सरकारी आई टी आई के उन्नयन को व्यवस्थित करने के लिए कुल 3350 करोड़ रुपए का आवंटन किया है, जिससे आई टी आई के युवा विद्यार्थियों को नौकरी के लिए तैयार करने हेतु व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जा सके।

स्पष्ट है कि सरकार देश की युवा शक्ति को कौशल से युक्त कर एक कुशल श्रमबल तैयार करने की दिशा में गंभीरता से बढ़ रही है। अगर सरकार के ये प्रयास सही ढंग से लोगों तक पहुँचने में कामयाब रहते हैं, तो निस्संदेह दुनिया का आने वाला दशक भारत का होगा। युवाशक्ति का कौशल युक्त होना भारत को दुनिया भावी आर्थिक महाशक्ति बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में शोधार्थी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)