कांग्रेस

परिवारवादी राजनीति पर प्रधानमंत्री का कड़ा संदेश

भारतीय राजनीति में परिवारवाद की बहस एकबार फिर चर्चा में है। चर्चा की वजह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय कार्यकारिणी में दिया गया एक बयान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक में कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने परिवार वालों के टिकट के लिए पार्टी नेता दबाव न बनाएं। भाजपा की आंतरिक बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिया गया यह

परिवारवादी राजनीति के दौर में जनहितकारी राजनीति की उम्मीद जगाती भाजपा

जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था में सभी को समान अधिकार, अवसर की समानता जैसी बातें संविधान में वर्णित की गई हो, ऐसे देश में अगर राजनीति के क्षेत्र में परिवारवाद की जड़ें इतनी गहरे तक जम जाएं कि राष्ट्रीय राजनीति से लेकर क्षेत्रीय राजनीति तक इसकी विषबेल पसरने लगे तो इससे बड़ी विडाबंना कोई और नहीं हो सकती। ऐसे में, समान अधिकार दिलाने वाला संवैधानिक ढ़ांचा ही कही न कही कमजोर पड़

नोटबंदी की विफलता का बेसुरा राग

नोटबंदी को लेकर पिछले पचास दिनों में जमकर सियासत हुई । व्यर्थ के विवाद उठाने की कोशिश की गई । केंद्र सरकार पर तरह-तरह के इल्जाम लगाए गए । केंद्र सरकार पर एक आरोप यह भी लग रहा है कि इस योजना से कालाधन को रोकने में कोई मदद नहीं मिलेगी क्योंकि उसका स्रोत नहीं सूखेगा । इस तरह का आरोप लगाने वाले लोग सामान्यीकरण के दोष के शिकार हो जा रहे हैं । अर्थशास्त्र का एक बहुत ही

यूपी चुनाव : भाजपा के पक्ष में दिख रही लोकसभा चुनाव जैसी लहर

संभवतः इस सप्ताह चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दे। सभी पार्टियाँ पूरी तैयारी के साथ प्रदेश के चुनावी दंगल में उतरने के लिए बेताब हैं, सभी दल अपनी–अपनी दावेदारी पेश करने में लगे हैं, किन्तु लोकतंत्र में असल दावेदार कौन होगा इसकी चाभी जनता के पास होती है। सत्ता की चाभी यूपी की जनता किसे सौंपती है यह भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है। लेकिन, यूपी में जो

अपने पचास दिनों में हर तरह से लाभकारी रही है नोटबंदी

नोटबंदी के पचास दिन पूरे हो चुके हैं। बीते 8 नवम्बर को प्रधानमंत्री मोदी द्वारा राष्ट्र के नाम संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोटों को चलन से बाहर करने का निर्णय सुनाया था। निश्चित रूप से यह फैसला देश में छुपे काले धन और नक़ली नोटों के कारोबार पर सर्जिकल स्ट्राइक की तरह था। अतः आम जनता द्वारा इसका खुलकर स्वागत किया गया और नोट बदलवाने के लिए कतारों की मुश्किल से दो-चार होने

भ्रम और नेतृत्वहीनता के भँवर में घिरी कांग्रेस

देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस इस वक्त उस दौर से गुजर रही है जहां पार्टी नेतृत्व के सम्बन्ध में उसके नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक में एक भ्रम और उलझन लक्षित किया जा सकता है । अपनी बीमारी और राहुल गांधी को आगे बढ़ाने की रणनीति के तहत कांग्रेस अध्यक्षा ने खुद को नेपथ्य में रखा था । उनके नेपथ्य में रहने की वजह से पुरानी पीढ़ी के नेता स्वत: परिधि पर चले गए थे और राहुल गांधी के आसपास के

यूपी चुनाव : भाजपा को रोकने की बेबसी का नाम ‘महागठबंधन’

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में अब बमुश्किल दो-तीन महीने शेष हैं, ऐसे में सूबे के सभी राजनीतिक दलों द्वारा अपनी-अपनी राजनीतिक बिसात बिछाकर चालें चली जाने लगी हैं। सत्तारूढ़ सपा जहाँ अपने अंदरूनी कलह के बावजूद अखिलेश को विकास पुरुष के रूप में पेश करने में लगी है, वहीँ बसपा सपा शासन की खामियाँ गिनवाने और बड़े-बड़े वादे करने में मशगुल है। कांग्रेस दिल्ली से शिला दीक्षित जैसे बड़े

यूपी चुनाव : भाजपा की परिवर्तन यात्रा में उमड़ रहा जनसैलाब, विपक्षियों के ध्वस्त हो रहे समीकरण

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अपनी धाक जमाने और जनता के दिलों में घर बनाने के लिए भाजपा एड़ी-चोटी का दम लगाकर तैयारियां कर चुकी है। परिवर्तन ना सिर्फ जमीनी स्तर पर हो, बल्कि इस परिवर्तन की लहर लोगों के दिलों-दिमाग पर भी छा जाए, इसके लिए चुनाव प्रचार करने का अनोखा तरीका अपनाते हुए परिवर्तन यात्रा शुरू कर दी। भाजपा की इस परिवर्तन यात्रा का जोर उत्तर प्रदेश की जनता पर

फिर खुली कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति की पोल !

अक्सर अपने धर्मनिरपेक्ष राजनीतिक दल होने का दम भरने और भाजपा जैसे दलों पर सांप्रदायिक रानजीति का आरोप लगाने वाली कांग्रेस की कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की कलई एकबार फिर खुल गई है। उत्तराखंड की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हरीश रावत साहब ने राज्य के मुस्लिम कर्मचारियों को जुमे की नमाज़ के लिए डेढ़ घंटे की छुट्टी दिये जाने का ऐलान कर कांग्रेसी धर्मनिरपेक्षता का शानदार उदाहरण

‘मुस्लिम तुष्टिकरण’ है कांग्रेसी सेकुलरिज्म का असल चेहरा

जुमे की नमाज के लिए मुस्लिम कर्मचारियों को 90 मिनट का अवकाश देकर उत्तराखंड सरकार ने सिद्ध कर दिया है कि कांग्रेस ने सेकुलरिज्म का लबादा भर ओढ़ रखा है, असल में उससे बड़ा सांप्रदायिक दल कोई और नहीं है। कांग्रेस के साथ-साथ उन तमाम बुद्धिजीवियों और सामाजिक संगठनों के सेकुलरिज्म की पोलपट्टी भी खुल गई है, जो भारतीय जनता पार्टी या किसी हिंदूवादी संगठन के किसी