दीपावली

दीपावली विशेष : अबकी इस प्रकार करें लक्ष्मी पूजन !

स्वतंत्रता-प्राप्ति से पूर्व हमारे देशवासियों ने भावी भारत के रूप में सशक्त और समृद्ध राष्ट्र का सपना देखा था। उन्हें विश्वास था कि अंग्रेजों की दासता से मुक्ति मिलते ही हम भारतीयों का ‘स्वराज्य’ स्वावलम्वन से सशक्त और सम्पन्न बनकर ‘सुराज’ की स्वार्णिम कल्पनाएं साकार करेगा। प्रख्यात सुकवि-नाटककार जयशंकर प्रसाद कृत ‘चन्द्रगुप्त’ नाटक के निम्नांकित गीत में इस जनभावना की अनुगूँज दूर तक सुनाई देती है-

विश्व पटल पर छा रही भारतीय संस्कृति

भारत की अध्यक्षता में आज जी-20 के माध्यम से ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भारतीय दर्शन विश्व को ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य’ की राह दिखा रहा है।

‘वोकल फॉर लोकल’ से खुलेगी आत्मनिर्भरता की राह

प्रधानमंत्री मोदी ने दीपावली तथा उसके आगे के त्योहारों के लिए लोगों से स्थानीय उत्पादों की खरीदारी करके ‘वोकल फॉर लोकल’ को आगे बढ़ाने का आह्वान किया।

अयोध्या में साकार हुआ त्रेतायुग का दीपोत्सव

प्रभु राम के वियोग में अयोध्या के लोग भी चौदह वर्ष तक बेचैन रहे थे। इन सभी को वनवास की समाप्ति और प्रभु की वापसी की प्रतीक्षा थी। ज्यों ज्यों यह समय निकट आ रहा था, जनमानस की व्याकुलता बढ़ती जा रही थी। भरत जी ने चित्रकूट में प्रभुराम से कहा था कि यदि वनवास के बाद निर्धारित अवधि तक आप वापस अयोध्या नहीं आये तो वह अपना जीवन ही समाप्त कर लेंगे।

इसबार और दिव्य-भव्य होगी अयोध्या की दीपावली

कुछ समय पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रयागराज में भव्य दिव्य कुम्भ का सफल आयोजन किया था। अब अयोध्या में भव्य दिव्य दीपावली का आयोजन होगा। योगी आदित्यनाथ ने स्वयं इसके लिए कमर कसी है। वह तीर्थाटन व पर्यटन के प्रति शुरू से गम्भीर रहे हैं। उनका मानना है कि इससे विश्व में भारत की छवि बनती है, इसी के साथ स्थानीय स्तर पर परोक्ष व अपरोक्ष रोजगार का भी सृजन होता है।

‘अयोध्या हमारी आन, बान और शान का प्रतीक है, इसके साथ कोई अन्याय नहीं कर सकता’

दीपावली त्रेता युग से चली आ रही भारतीय परंपरा है। इस दिन प्रभु राम लंका विजय कर अयोध्या पधारे थे। अयोध्या की उदासी दूर हुई। उत्साह, उमंग का वातावरण बना। इसीकी अभिव्यक्ति दीप जला कर की गई। इसी के साथ एक सन्देश भी निर्मित हो गया। सन्देश असत्य पर सत्य की जीत का था। कार्तिक मास की गहन अंधकार वाली अमावस्या की  रात्रि दीयों की रोशनी से नहा

अयोध्या की दीपावली : ‘अवधपुरी सोहई एहि भाँती, प्रभुहि मिलन आई जिमि राती’

त्रेता युग में लौटा तो नहीं जा सकता, लेकिन उसकी कल्पना और प्रतीक से ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। अयोध्या में ऐसे ही चित्र सजीव हुए। इस आयोजन का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह था कि इसमे आमजन आस्था के भाव से सहभागी बना। यह प्रसंग भी रामचरित मानस के वर्णन जैसा प्रतीत होता है।

अयोध्या में पुनः साकार हुई त्रेता युग की दीपावली !

बुधवार 18 अक्‍टूबर का दिन अयोध्‍या नगरी के लिए अभूतपूर्व एवं ऐतिहासिक था। पूरे नगरवासियों ने कुछ ऐसा देखा जिसकी अभी तक कल्‍पना भी नहीं रही होगी। दीपोत्‍सव का पर्व यादगार बन गया। मानो साक्षात त्रेता युग इस युग में उतर आया हो। उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की पहल पर अयोध्‍या में दीपावली पर्व भव्‍य पैमाने पर मनायी गयी। इस आयोजन की सूत्रधार भले ही सरकार थी, लेकिन यह जन

दुनिया के इन-इन देशों में धूमधाम से मनाई जाती है दीपावली !

अब  दुनिया के चप्पे-चप्पे में दीप पर्व अपनी छटा बिखेरता है। जिन देशों में हिंदुओं की बड़ी आबादी है, वहां तो सर्वत्र प्रकाश होता है। श्रीलंका, म्यांमार, थाईलैंड, मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, फिजी, मॉरीशस, केन्या, तंजानिया, दक्षिण अफ्रीका, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद और टोबैगो, नीदरलैंड्स, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका में दीपावली भव्य तरीके से मनती है। आप कह

दीपावली के पर्व में छिपे हैं जीवन के अनेक सन्देश

प्रकाश का पर्व दीपावली बुराई पर अच्छाई का प्रतीक है। इस दिन लोग अपने घर-आंगन को दीपों से सजाते हैं,और धन-धान्य की प्राप्ति के लिए देवी लक्ष्मी का पूजन करते हैं। कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीयों का प्रकाश किसी भी व्यक्ति को अमावस्या की काली रात का एहसास नहीं होने देता है। दीयों का पर्व दीवाली सिर्फ एक दिन का त्योहार नहीं है, बल्कि इस त्योहार की एक श्रृंखला है। यह त्योहार दीवाली