पीयूष द्विवेदी

चरणबद्ध ढंग से कश्मीर समस्या के समाधान की ओर बढ़ रही मोदी सरकार

पिछले दिनों केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में कश्मीर को लेकर कुछ महत्वपूर्ण विषय रखे। इनमें राज्य में राष्ट्रपति शासन छः महीने के लिए बढ़ाना और राज्य के दस किलोमीटर सीमावर्ती क्षेत्र में रहने वालों के लिए आरक्षण की व्यवस्था करने सम्बन्धी संशोधन विधेयक दो प्रमुख विषय रहे।

ममता के अलोकतांत्रिक शासन से त्रस्त बंगाल

ममता ताकत और तानाशाही के दम पर अपनी सत्ता को स्थायी करना चाहती हैं, मगर उन्हें समझना चाहिए कि ये लोकतंत्र है, जहां ताकत से नहीं, जनमत से निर्णय होते हैं और जनमत को अपने पक्ष में करने का केवल एक ही उपाय है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों व स्वार्थों को छोड़ सकारात्मक सोच के साथ देश की प्रगति के लिए कार्य किया जाए।

मालदीव की धरती से मोदी का आतंकवाद के विरुद्ध कड़ा संदेश

चुनाव से पूर्व जब पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक हुई, तो विपक्ष की तरफ से इसे चुनावी राजनीति बताया गया, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं था। मोदी सरकार ने आतंक के खिलाफ अपनी जीरो टोलेरेंस नीति को ही दिखाया था और अब चुनाव बाद भी मालदीव से आतंकवाद पर मोदी ने जो कुछ कहा है, वो उनके उसी रुख का द्योतक है।

ये मोदी के नए भारत का जनादेश है!

यह जनादेश मोदी के नए भारत का जनादेश है, जिसमें जाति-पाति, क्षेत्र, वर्ग, भाषा, परिवारवाद आदि की राजनीति के लिए कोई जगह नहीं, बल्कि इसके मूल में भारत को सुविकसित विश्वशक्ति बनाने की भावना है। लोगों को मोदी की योजनाओं और नीतियों में भारत-निर्माण की उस अवधारणा के दर्शन हो रहे हैं, जिसमें सब एक समान हैं और किसीके प्रति कोई भेदभाव नहीं है।

जो दल ‘बलात्कार’ को ‘गलती’ मानता रहा हो, वो आजम के बयान को गलत मान ही कैसे सकता है!

जो दल ‘बलात्कार’ को ‘गलती’ मानता रहा हो, उसके लिए आजम का बयान आपत्तिजनक कैसे हो सकता है? आजम का बयान हो, चाहें अखिलेश-डिम्पल का उसके बचाव में उतरना हो, ये सब समाजवादी पार्टी के उसी बुनियादी संस्कार से प्रेरित आचरण है, जिसकी झलक सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के ‘लड़कों से गलती हो जाती है’ वाले बयान में दिखाई देती है।

‘खोट ईवीएम में नहीं, विपक्षी दलों की नीयत में है’

लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान हो चुका है, लेकिन देश में ईवीएम को लेकर विपक्षी दलों का विलाप थमने का नाम नहीं ले रहा। बीते रविवार को कांग्रेस, आप, टीडीपी आदि विपक्षी दलों द्वारा प्रेसवार्ता में कहा गया कि वे पचास प्रतिशत वीवीपैट पर्चियों का मिलान ईवीएम वोटों से करवाने की मांग लेकर सर्वोच्च न्यायालय में जाएंगे। गौरतलब है कि इससे पूर्व इक्कीस विपक्षी दलों की एक ऐसी ही याचिका को सर्वोच्च न्यायालय खारिज कर चुका है।

भाजपा के संकल्प पत्र में जो नए भारत का विज़न है, कांग्रेस के घोषणापत्र में उसका लेशमात्र भी नहीं

कांग्रेस के ज्यादातर वादे मतदाताओं को तात्कालिक तौर पर लुभाने वाले हैं, जबकि भाजपा ने देश को हर तरह से मजबूती देने वाले दूरदर्शितापूर्ण और व्यावहारिक वादे किए हैं। देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसके वादों पर कितना यकीन दिखाती है।

‘कांग्रेस का घोषणापत्र देश की सुरक्षा और अखंडता के मुद्दे पर उसका असली चरित्र बयान करता है’

बीते दो अप्रैल को लोकसभा चुनाव – 2019 के लिए कांग्रेस ने अपना घोषणापत्र जारी कर दिया। 54 पृष्ठों का ये घोषणापत्र काम, दाम, शान, सुशासन, स्वाभिमान और सम्मान इन छः हिस्सों में बंटा हुआ है। रोजगार से लेकर ‘न्याय’ और राष्ट्रीय सुरक्षा एवं स्वास्थ्य तक सभी वादों को इन छः हिस्सों में रखा गया है।

मैं भी चौकीदार: मोदी की सकारात्मक राजनीति का एक और उदाहरण

इस अभियान के बाद ‘चौकीदार चोर है’ का नारा उछालने वाले विपक्षियों को सांप सूंघ गया है। उन्हें समझ ही नहीं आ रहा कि इसका क्या जवाब दिया जाए। चौकीदार को चोर कहने पर अब एकसाथ असंख्य चौकीदार जवाब में उतर पड़ रहे हैं। दरअसल ये मोदी की राजनीति है, जो जितनी सकारात्मक भावना से ओतप्रोत है, विपक्ष को जवाब देने में उतनी ही प्रभावी भी है।

‘राहुल गांधी सेना के साथ खड़ा दिखना चाहते हैं, तो पहले सिद्धू जैसों की जबान पर लगाम लगाएं’

गत 14 फरवरी की शाम जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सेना के जवानों पर हुए आत्मघाती आतंकी हमले ने देश में शोक और आक्रोश की लहर पैदा कर दी है। आत्मघाती आतंकी ने साढ़े तीन सौ किलो विस्फोटक से लदी गाड़ी सीआरपीएफ के काफिले में घुसाकर विस्फोट कर दिया, जिसमें 44 जवान शहीद हो गए और कितने ही जवान ज़ख़्मी हालत में जीवन-मरण से जूझ रहे हैं।