पीयूष द्विवेदी

मोदी को पीएम पद की गरिमा का ज्ञान देने से पहले अपना इतिहास देखें, मनमोहन सिंह!

देश में चुनाव का मौसम है और नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप चरम पर हैं। संप्रग सरकार में बतौर प्रधानमंत्री बड़े-बड़े घोटालों पर मौन धारण किए रहने वाले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह भी बीच-बीच में बोलने लगे हैं। हाल में ही कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भाषा और पद की गरिमा का ध्यान रखने की नसीहत दी।

यूँ ही नहीं कहा जा रहा कि नक्सलियों की समर्थक है कांग्रेस!

गत 3 नवम्बर को कांग्रेस नेता राज बब्बर ने एक बयान में नक्सलियों को क्रांतिकारी बताया जिसपर काफी हंगामा मचा। हालांकि बाद में उन्होंने इस बयान पर सफाई देते हुए कहा कि उनके बयान का कुछ और मतलब था, लेकिन बात तो निकल चुकी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने इस बयान के संदर्भ में कांग्रेस पर निशाना साधते हुए छत्तीसगढ़ की एक चुनावी रैली में कहा कि कांग्रेस शहरी

विपक्षी विरोध से इतर तथ्य तो यही बताते हैं कि नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है!

आज से दो वर्ष पूर्व, यही 8 नवम्बर की तारीख थी, जब देश में काले धन, नकली नोट जैसी आर्थिक विसंगतियों पर चोट करने वाला एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया। रात 8 बजे अचानक प्रधानमंत्री ने देश के नाम संबोधन में इस निर्णय का ऐलान किया जिसके बाद सब तरफ उथल-पुथल का एक अलग ही माहौल बन गया। निस्संदेह नोट बदलने के लिए लगने वाली लम्बी कतारों

‘परमाणु ब्लैकमेलिंग करने वालों के लिए जवाब है आईएनएस अरिहंत’

मोदी सरकार द्वारा वायु सेना की जरूरतों के मद्देनजर किया गया राफेल खरीद हो या तोपों की कमी से जूझती थल सेना के लिए अत्याधुनिक होवित्जर तोपों का सौदा हो अथवा रूस से मिसाइल रक्षा प्रणाली लेना हो, ये तथा ऐसे ही और भी कई छोटे-बड़े सौदे इस बात की तस्दीक करते हैं कि ये सरकार देश की रक्षा आवश्यकताओं के प्रति सिर्फ बातों में ही गंभीर नहीं है, बल्कि धरातल

हताशा और बौखलाहट में प्रधानमंत्री के प्रति भाषाई अशिष्टता पर उतरी कांग्रेस

राजनीति में सहमति-असहमति और आरोप-प्रत्यारोप के होने से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन असहमति या आरोप की अभिव्यक्ति करते हुए आवश्यक होता है कि भाषाई शुचिता के प्रति सचेत रहा जाए। इस संदर्भ में भारतीय राजनीति की स्थिति चिंतित करने वाली है।

कांग्रेस द्वारा उपेक्षित इतिहास के असल नायकों का सम्मान

गत 21 अक्टूबर की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है, जब दिल्ली का लाल किला स्वतंत्रता दिवस से इतर किसी कार्यक्रम में प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रध्वज फहराए जाने की ऐतिहासिक घटना का साक्षी बना। स्वाधीनता संग्राम के सशक्त सेनानी और देश के अमर सपूत नेताजी सुभाष चन्द्र बोस द्वारा 21 अक्टूबर, 1943 को सिंगापुर में स्थापित ‘आजाद हिंद सरकार’ की पचहत्तरवीं

भाजपा सरकारों ने तो पेट्रोल-डीजल की कीमतें कम कर दीं, अन्य दलों की सरकारें कब करेंगी?

केंद्र सरकार ने पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को राहत दी है। केंद्र ने खुद तो उत्पाद शुल्क कम करके पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में ढाई रुपये की कमी की ही है, राज्यों से भी इतनी ही कमी करने की अपील की है। केंद्र सरकार की इस अपील  के बाद भाजपा शासित लगभग सभी राज्यों ने पेट्रोल-डीजल का मूल्य ढाई रुपये कम करने का ऐलान कर दिया।

जाति-धर्म की राजनीति से ऊपर कब उठेगी कांग्रेस?

लोकसभा चुनाव का माहौल बनने लगा है। इसके मद्देनजर राजनीतिक दलों की रणनीतियां भी आकार लेने लगी हैं। सत्तारूढ़ भाजपा जहां मोदी के नेतृत्व में विकास को मुद्दा बनाती नजर आ रही, वहीं कांग्रेस का जोर जाति-धर्म के समीकरण साधने की ओर दिख रहा। कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी हिन्दू उपासना स्थलों की यात्रा के जरिये अपनी हिन्दूवादी छवि बनाने की कोशिश

स्मार्ट फेंसिंग : भारत-पाक सरहद पर खड़ी हुई अदृश्य दीवार, घुसपैठियों की आएगी शामत

भारत का भौगोलिक संकट ही है कि वो चीन और पाकिस्तान के रूप में दो बेहद खतरनाक और संदिग्ध पड़ोसियों से घिरा हुआ है। वैसे चीन की तरफ से सैन्य गतिरोध  के कुछ मामलों के अलावा सीमा-क्षेत्र में बहुत अधिक कोई समस्या खड़ी नहीं की जाती है। लेकिन पाकिस्तान द्वारा अक्सर ही सरहद पर तैनात भारतीय जवानों पर फायरिंग की आड़ में आतंकी घुसपैठ की कोशिशें

कठुआ के ‘बहादुर’ केरल के चर्चकाण्ड पर मुंह में दही जमाए क्यों बैठे हैं?

पिछले दिनों केरल में पादरी द्वारा नन से दुष्कर्म का मामला सामने आया। इसके बाद से ही देश में चर्चों के शोषण-साम्राज्य को लेकर आक्रोश का माहौल है। सोशल मीडिया पर भी इसलि आलोचना हो रही। लेकिन विडंबना है कि वे तथाकथित सेकुलर और वामपंथी गिरोह के लोग जो कठुआ प्रकरण पर हवा-हवाई ढंग से मंदिरों को बलात्कार का गढ़ कहते नहीं थक रहे थे, केरल के