शैलेन्द्र कुमार शुक्ला

दुनिया की उम्मीदों का भारत

पीयूष द्विवेदी  विगत दिनों भारत दौरे पर आए विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम योंग किम द्वारा भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को महान नेता बताते हुए कहा कि मोदी के नेतृत्व में भारत बदल रहा है। उन्होंने कहा कि मोदी न केवल बड़े लक्ष्य निर्धारित करते हैं, बल्कि एक निश्चित समय सीमा तक उसे पूरा करने

अमित शाह ने किया डॉ.श्यामा प्रसाद मुखर्जी के जीवन पर आधारित प्रदर्शनी का उद्घाटन

टीम नेशनलिस्ट ऑन लाइन  29 जून 2016: नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय और डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में बुधवार को नेहरू स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय के सभागार में एक प्रदर्शनी व विशेष व्याख्यान का आयोजन किया जिसका शीर्षक ‘डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी: एक नि:स्वार्थ देशभक्त ’ था । संस्‍कृति एवं

स्वास्थ्य लाभ तक सीमित नहीं है योग

पीयूष द्विवेदी हमारे पूर्वजों द्वारा हमारे लिए छोड़ी गई असंख्य और अमूल्य धरोहरों में से ही योग भी एक है। पूर्वजों से प्राप्त योग की इस अमूल्य परंपरा को वैश्विक स्वीकृति और प्रतिष्ठा दिलाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा २७ सितम्बर, २०१४ को संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए अपने वक्तव्य में ‘अंतर्राष्ट्रीय योग

एनएसजी सदस्यता प्रकरण के आईने में

पीयूष द्विवेदी आख़िरकार भारत की परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह यानी एनएसजी की सदस्यता को लेकर लंबे समय से चल रही तमाम चर्चाओं और अटकलों का भारत को एनएसजी सदस्यता न मिलने के साथ ही दुखद अंत हुआ। हालाकि इससे भी अधिक दुखद तो ये है कि एक तरफ सियोल से भारत को एनएसजी सदस्यता न मिलने

फिर बेनकाब हुआ अलग तरह की राजनीति का पाखंड

आदर्श तिवारी दिल्ली में एक ऐसा मुख्यमंत्री बैठा है जो केवल अपने नाटकीय कार्यों  के लिए चर्चा में रहता है, एक नाटक खत्म नही हुआ कि दूसरा नाटक तैयार हो जाता है। जबसे दिल्ली के मुख्यमंत्री का पदभार केजरीवाल संभाले है, हर रोज कुछ न कुछ बवाल केंद्र सरकार पर बेजा आरोप लगा कर खड़ा

एनएसजी में सफलता नहीं मिलने पर खुश कौन हैं ?

 आदर्श तिवारी एनएसजी में भारत को सफलता नही मिलने की खबर जैसे ही आई भारत का एक तबका ख़ुशी से फुले नहीं समा रहा है। जाहिर है कि भारत के सबसे बड़े दुश्मन का किरदार पड़ोसी देश चीन ने निभाया है। चीन के साथ –साथ ब्राजील,टर्की, आस्ट्रिया समेत दस देशों ने भारत के खिलाफ मतदान

इंदिरा का आपातकाल और सेक्युलरिज्म

शिवानन्द द्विवेदी जून महीने की 25 तारीख को भारतीय लोकतंत्र के काला दिवस के रूप में आज भी याद किया जाता है। यही वो तारीख है जब एक नए-नवेले लोकतंत्र को पारिवारिक तानाशाही की सियासत ने कलंकित किया था। 25 जून  को आधी रात में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी देश में आपातकाल थोप रहीं

‘इमरजेंसी’ का दुःस्वप्न

राम बहादुर राय आज इमरजेंसी को याद करना उथल-पुथल की उस परिस्थिति में लौटने जैसा है। हर साल हम झांककर देखते हैं कि आखिर क्यों वैसा हुआ? लोकतंत्र का गला घोंटकर 26 जून,1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी लगा दी थी। तानाशाही थोप दी गई थी। 25 जून की आधी रात के बाद

अंतरिक्ष में भारत की धमक

शैलेन्द्र कुमार शुक्ल  एक समय था जब देश को अंतरिक्ष से जुड़े परीक्षण और नए प्रयोग के लिए अमेरिका और रूस के आगे हाथ फैलाकर याचना करना पड़ता था, लेकिन अमेरिका कभी भी भारत को तवज्जो नहीं देता था। और संयोगवश कभी दे भी देता था तो तकनीकी साझा नहीं करता था कुलमिलाकर कहें तो

कठेरिया के बयान पर व्यर्थ का विवाद

डा.दिलीप अग्निहोत्री अर्द्ध सत्य भ्रमित करता है। इसलिए किसी बयान को पूरे संदर्भ में देखने के बाद ही अंतिम निष्कर्ष निकालना चाहिए, अन्यथा व्यर्थ विवाद उत्पन्न होते हैं, लेकिन राजनीति में अक्सर अपनी सुविधा के अनुसार आधे-अधूरे बयानों को तूल दिया जाता है। संदर्भ से अलग हटकर किसी एक पंक्ति को बड़े मुद्दे के रूप