राहुल के बाद प्रियंका की भी घिसे-पिटे मुद्दों की राजनीति
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने भाषण, भाषा, शैली के चलते स्वयं को हल्का बना लिया है। उनकी बातों में अध्यक्ष पद की गरिमा का नितांत अभाव है। वह प्रधानमंत्री के लिए अमर्यादित व सड़क छाप नारे लगवाते हैं। राफेल सौदे पर उनके पास कोई तथ्य नहीं, फिर भी हंगामा करते रहते हैं। ऐसे में यह माना गया था कि प्रियंका गांधी वाड्रा का चुनाव प्रचार अलग ढंग का होगा। लेकिन वह भी पुराने और तथ्यविहीन मुद्दे ही उठा रही हैं।
रमजान में मतदान पर विपक्षी नेताओं की व्यर्थ सियासत
जो लोग रमजान की तीन तारीखों पर मतदान का विरोध कर रहे हैं, उन्हें मुस्लिम समाज की जमीनी जानकारी नहीं है, या वह किसी अन्य उद्देश्य से विरोध कर रहे हैं। यह अच्छा है कि अनेक मुसलमान ऐसे विरोध को अनुचित बता रहे हैं।
प्रियंका रूपी आखिरी दाँव से कांग्रेस का कितना भला होगा?
नरेंद्र मोदी-अमित शाह के नेतृत्व में भारतीय जनता की मजबूत घेरेबंदी और “तीसरे” व “चौथे” मोर्चे के गठन की कवायदों के बीच कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने “ब्रह्मास्त्र” या आखिरी दाँव (प्रियंका गांधी) का प्रयोग कर ही दिया। प्रियंका गांधी को पार्टी महासचिव बनाते हुए उन्हें पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी की जिम्मेदारी दी गई है। कांग्रेस को उम्मीद है कि जनता प्रियंका गांधी में उनकी दादी (इंदिरा गंधी) की छवि देखेगी और कांग्रेस की सत्ता में वापसी होगी।
मोदी सरकार की बड़ी सफलता, लंदन कोर्ट ने दी माल्या के प्रत्यर्पण को मंजूरी
भारतीय बैंकों का पैसा लूटकर ब्रिटेन भागने वाले कारोबारी विजय माल्या को देश लाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है। लन्दन की कोर्ट में विजय माल्या के प्रत्यर्पण सम्बन्धी मामले में आज फैसला आया है, जिसमें अदालत ने उसके प्रत्यर्पण को मंजूरी दे दी है। इस सुनवाई के दौरान भारत की तरफ से अदालत में सीबीआई संयुक्त निदेशक और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के दो
अमृतसर हादसा : ‘ऐसी क्या मजबूरी थी कि मुख्यमंत्री तत्काल घटनास्थल पर नहीं पहुँच सके?’
जब समूचा देश दशहरा के अवसर पर रावण का पुतला दहन कर अधर्म पर धर्म की विजय के जश्न में डूबा हुआ था, उसी वक्त अमृतसर से एक ऐसी दुखद खबर आई जिसने सबको हतप्रभ कर दिया। किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी कि ऐसी अप्रिय घटना होने जा रही जिससे दशहरे का पूरा जश्न क्षण भर में ही मातम में तब्दील हो जाएगा। पंजाब के अमृतसर के करीब जोड़ा
कांग्रेस द्वारा उपेक्षित आजादी के असल नायकों को सम्मान देने में जुटी मोदी सरकार
अक्टूबर का महीना देश के लिए बहुत अहम साबित होने जा रहा है। इस महीने के समापन तक यह देश ऐसे दो बड़े आयोजनों का साक्षी बनेगा जो अभूतपूर्व हैं। अभूतपूर्व इस अर्थ में कि उनके क्रियान्वयन की बात तो दूर, उनके बारे में पूर्ववर्ती किसी सरकार ने आज तक विचार तक नहीं किया था। ये दोनों आयोजन क्रमश: 21 अक्टूबर, रविवार और 31 अक्टूबर, बुधवार को होंगे। दोनों
एकता संवाद : भाजपा की एकता की कोशिशें और कांग्रेस की विभाजनकारी राजनीति
विविधता में एकता भारतीय राष्ट्र की प्रमुख अवधारणा रही है। लेकिन इस भावना के कमजोर पड़ने का भारत को ऐतिहासिक खामियाजा भी भुगतना पड़ा। विदेशी आक्रांताओं ने इसी का फायदा उठाया था। सैकड़ों वर्षों तक देश को दासता का दंश झेलना पड़ा। अंग्रेज भारत से जाते-जाते विभाजन की पटकथा लिख गए थे। लेकिन सरदार पटेल के प्रयासों से देश में एकता स्थापित हुई।
‘ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने अपने कुछ नेताओं को सिर्फ पाकिस्तान की प्रशंसा में लगाया हुआ है’
ऐसा लगता है जैसे कांग्रेस ने अपने कुछ नेताओं को तीर्थयात्रा और कुछ को पाकिस्तान से हमदर्दी जताने व उसका मुरीद होने पर लगाया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री के संयुक्त राष्ट्र संघ भाषण पर शशि थरूर का बयान ठंडा भी नहीं पड़ा था, नवजोत सिंह सिद्धू दुबारा सामने आ गए। उनकी नजर में पाकिस्तान बहुत अच्छा है, जबकि अपने ही देश का दक्षिणी हिस्सा उन्हें नापसंद है
क्या पाकिस्तान की भारत विरोधी बिसात का मोहरा बने सिद्धू?
कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा पर लग रहे कुछ कयास चौकाने वाले हैं। कहा जा रहा कि सिद्धू न कभी इमरान के स्तर के खिलाड़ी रहे, न ही वह उनके दोस्तों की फेहरिस्त में शुमार है, लेकिन इमरान ने उन्हें बुलाया तो ये यूँ ही नहीं है। इमरान को पता था कि सुनील गावस्कर, कपिल देव आदि निजी दोस्ती की जगह अपने राष्ट्रीय सम्मान को महत्व देंगे। इसके
कर्नाटक चुनाव : कांग्रेस के कुचक्र हुए ध्वस्त, भाजपा की बनी सरकार !
कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम सबके सामने हैं। किसी भी दल को वहाँ की जनता ने स्पष्ट जनादेश नहीं दिया, लेकिन भाजपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरकर सामने आई और बहुमत के आकड़े को छूते-छूते रह गई। कौन मुख्यमंत्री पद की शपथ लेगा ? इस खंडित जनादेश के मायने क्या है ? ऐसे बहुतेरे सवाल इस खंडित जनादेश के आईने में लोगों के जेहन में थे।