वर्ल्ड व्यू

अमेरिका की नयी अफगानिस्तान नीति से पाकिस्तान बाहर, भारत को होगा लाभ

‘मदरशिप ऑफ़ टेररिज्म’ यानी आतंकवाद पैदा करने वाले देश का दर्जा पिछले ही साल अक्टूबर के ब्रिक्स सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान को दिया था। अब धीरे-धीरे दुनिया के महाशक्ति देश भी भारत की बात के समर्थन में उतरने खड़े होने लगे हैं। बीते 21 अगस्त को अमेरिका के प्रधानमंत्री डोनाल्ड ट्रम्प ने भी अपने भाषण में पाकिस्तान को आतंक फैलाने वाला देश कह दिया। ट्रम्प ने तीन बार अपने भाषण में

वे कौन लोग हैं, जो पाकिस्तानी लोकतंत्र की तथाकथित महानता पर लहालोट हो रहे !

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पनामा पेपर्स मामले में वहाँ की अदालत द्वारा संसद सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा क्या दिया कि इधर भारत में सोशल मीडिया पर वे ट्रेंड करने लगे। सोशल मीडिया से लेकर मुख्यधारा की मीडिया तक पाकिस्तान और नवाज शरीफ की चर्चा चल पड़ी। इनमें ‘कुछ लोग’ (इनमें ज्यादातर वही अंधविरोधी थे जिन्हें मोदी सरकार के

चीन प्रेम में डूबे पाकिस्तान को अंदाजा भी नहीं है कि चीन उसे गुलाम बनाने की तैयारी कर रहा !

आज पाकिस्तान की ज़मीन पर चीन की बढ़ती गतिविधियों से पाकिस्तान को तो भविष्य में खतरा है ही, लेकिन इकॉनोमिक कॉरिडोर के बहाने चीन ऐसी व्यूहरचना कर रहा है, जिससे भारत को भी अत्यधिक सावधान रहने की ज़रुरत है। इसी कारण भारत सरकार द्वारा इस कॉरिडोर का लगातार विरोध किया जाता रहा है। बहरहाल, हम यहाँ ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में यह समझाने की कोशिश करेंगे कि किस तरह चीन का नव-

हाइफा युद्ध : भारतीय योद्धाओं के बलिदान ने लिखी इजरायल की आजादी की इबारत

पराजय का इतिहास लिखने वाले इतिहासकारों ने बड़ी सफाई से भारतीय योद्धाओं की अकल्पनीय विजयों को इतिहास के पन्नों पर दर्ज नहीं होने दिया। शारीरिक तौर पर मरने के बाद जी उठने वाले देश इजरायल की आजादी के संघर्ष को जब हम देखेंगे, तब हम पाएंगे कि यहूदियों को ‘ईश्वर के प्यारे राष्ट्र’ का पहला हिस्सा भारतीय योद्धाओं ने जीतकर दिया था। वर्ष 1918 में हाइफा के युद्ध में भारत के अनेक योद्धाओं ने अपने

मोदी और ट्रंप की मुलाकात के बाद अब आतंकवाद पर होगा और जोरदार प्रहार

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के नव-निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मुलाकात पर दुनिया की निगाहें थीं। दुनिया के दो सबसे बड़े लोकतंत्रों के इन राष्ट्राध्यक्षों की इस पहली मुलाकात से काफी कुछ बेहतर निकलने की उम्मीद की जा रही थी। ये मुलाकात विशेष रही भी। मोदी से अपनी वार्ता से पहले ट्रंप ने कहा कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, ऐसे महान प्रधानमंत्री का स्वागत करना

एससीओ की सदस्यता से पाकिस्तान को घेरने के लिए भारत को मिला एक और मंच

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एससीओ के सदस्य देशों के सामने आतंकवाद का मुद्दा उठाया। अपने संबोधन में उन्‍होंने भारत को सदस्य चुनने के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि आंतकवाद मानवता का सबसे बड़ा दुश्मन है और इससे हमे मिलकर निपटना होगा। उन्‍होंने थ भी कहा कि आतंकवाद मानव अधिकारों और मानव मूल्यों के सबसे बड़े उल्लंघनकारियों में से एक है। जब तक आतंकियों

एससीओ की सदस्यता से भारत की कूटनीति को मिलेगी और मजबूती

बेल्ट एंड रोड फोरम का बहिष्कार करने के बाद शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) में भारत का शामिल होना कूटनीतिक एवं कारोबारी दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, क्योंकि वैश्विक स्तर पर इस संगठन का सामरिक व कारोबारी महत्व है। इस संगठन का उद्देश्य चरमपंथी ताकतों को नेस्तनाबूत करने के साथ-साथ सदस्य देशों के बीच कारोबारी रिश्ते मजबूत करना है। भारत मौजूदा समय में मुख्य तौर पर आतंकवाद और पूँजी

मोदी के रूस दौरे से पाक के रूस से नजदीकी बढ़ाने की कूटनीति को जोरदार धक्का लगा है !

देखा जाये तो आज विदेश नीति के मायने बदल गये हैं। पहले विदेश नीति के तहत सामरिक मामलों को तरजीह दी जाती थी, लेकिन अब इसके अंतर्गत आर्थिक मसलों को केंद्र में रखा जाता है। आज की तारीख में छोटे देश भी परमाणु हथियार से लैस हैं। ऐसे में कोई भी देश किसी दूसरे देश पर हमला करने की हिमाकत नहीं कर सकता है।

ब्रिटेन में बढ़ती आतंकी धमक के लिए ब्रिटेन खुद भी कम जिम्मेदार नहीं है !

यह हमला सिर्फ इसलिए नहीं किया गया है कि ब्रिटेन ने आईएसआईएस से लड़ाई में अमेरिका का साथ दिया, बल्कि इसके पीछे इस्लामिक कट्टरपंथ से अभिप्रेरित आतंकवाद की गहरी साजिश है, जिसे स्वीकारने से पूरी दुनिया के नेता घबराते हैं। दिक्कत यही है कि दुनिया के तमाम देश अब भी इस्लामिक आतंकवाद को खुलकर स्वीकारने की बजाय आतंक का ‘कोई मज़हब नहीं होता’ की

दक्षिण एशिया उपग्रह जीसैट-9 से अंतरिक्ष कूटनीति की ओर भारत ने बढ़ाए कदम

भारत ने पड़ोसी मुल्कों को एक नायाब तोहफा देते हुए दक्षिण एशिया संचार उपग्रह का प्रक्षेपण किया। भारत के इस कदम को दोस्ती के तोहफे के रूप में देखा जा रहा है। इससे समझौते के नये आयाम खुलेंगे। ये उपग्रह कई मायनों में खास है, क्योंकि ये दक्षिणी देशों से ना सिर्फ संचार के लिए फायदेमंद साबित होगा बल्कि प्राकृतिक आपदा जैसी सूचनाएं देने में भी सहायक होगा।