मुफ्तखोरी की राजनीति में एकदूसरे को पीछे छोड़ने की होड़ में जुटीं कांग्रेस और आप

जो कांग्रेस पार्टी आज मुफ्त बिजली के चुनावी वायदे कर रही है उसके लगभग सात दशकों के शासन काल में हजारों गांव ऐसे थे जहां बिजली का पोल नहीं था। इतना ही नहीं करोड़ों घर ऐसे थे जो लालटेन युग में जी रहे थे। जिन घरों में बिजली के कनेक्शन थे वहां भी आपूर्ति व्यवस्था सुचारू नहीं थी।

मुफ्तखोरी की राजनीति को एक नया आयाम देने का श्रेय आम आदमी पार्टी और उसके नेता अरविंद केजरीवाल को जाता है। अब तो आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में मुफ्तखोरी की राजनीति के लिए होड़ मची है।

कांग्रेस मध्‍यप्रदेश, छत्‍तीसगढ़, राजस्‍थान, तेलंगाना और मिजोरम राज्यों में अगले कुछ महीनों में होने वाले विधान सभा चुनावों में मुफ्त की रेवड़ी बांटकर सत्‍ता हासिल करने का ख्वाब देखने लगी है। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी मुफ्तखोरी की राजनीति में कांग्रेस को मात देने में जुटी है। इन दोनों पार्टियों को देश के दूरगामी विकास, मानव विकास सूचकांक और राजकोषीय संतुलन की चिंता नहीं है।

उल्लेखनीय है कि जो कांग्रेस पार्टी आज मुफ्त बिजली के चुनावी वायदे कर रही है उसके लगभग सात दशकों के शासन काल में हजारों गांव ऐसे थे जहां बिजली का पोल नहीं था। इतना ही नहीं करोड़ों घर ऐसे थे जो लालटेन युग में जी रहे थे। जिन घरों में बिजली के कनेक्शन थे वहां भी आपूर्ति व्यवस्था सुचारू नहीं थी।

इन्हीं परिस्थितियों में जब नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने देश को लालटेन युग से छुटकारा दिलाने के लिए 15 अगस्त 2015 को लाल किले की प्राचीर से देश हर गांव तक बिजली पहुंचाने का समयबद्ध कार्यक्रम घोषित किया। राजनीतिक प्रतिबद्धता, नौकरशाही पर नकेल, सूचना प्रौद्योगिकी आधारित निगरानी प्रणाली के बल पर हर गांव तक बिजली पहुंचाने का लक्ष्य तय समय से 11 दिन पहले ही पूरा हो गया।

बिजली आपूर्ति जैसी स्थिति देश के करोड़ों ग्रामीण घरों में पेयजल की रही। देश के 16.5 करोड़ ग्रामीण घरों में से मात्र 3.2 करोड़ घरों तक नल से जल का कनेक्शन था। इन घरों में नल का कनेक्शन भी नाममात्र का था क्योंकि पानी की आपूर्ति अनियमित थी और जो पानी आता था वह प्रदूषित था। इसी को देखते हुए हर गांव तक बिजली पहुंचाने की भांति प्रधानमंत्री मोदी देश के हर ग्रामीण परिवार तक नल से जल पहुंचाने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम शुरू किया है।

इसके लिए प्रधानमंत्री ने 15 अगस्त 2019 में लाल किले की प्राचीर से जल जीवन मिशन की शुरुआत किया। इसके तहत 2024 तक देश के हर ग्रामीण घर तक नल से जल का कनेक्शन देने का लक्ष्य रखा गया है। इसमें हर परिवार को प्रति व्यक्ति 55 लीटर प्रतिदिन के हिसाब स्वच्छ पेयजल की आपूर्ति की जाएगी।

जल जीवन मिशन की सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पानी की गुणवत्ता का भी ध्यान रखा गया है। इसीलिए इसके दो भाग हैं। पहला भाग है पेयजल आपूर्ति, वर्षा जल संग्रहण और जल पुर्नचक्रण। दूसरा भाग है स्वच्छता और खुले में शौच मुक्त प्रथा को बनाए रखना।

जल जीवन मिशन के तहत जनवरी 2023 से प्रति सेकेंड एक नल अर्थात प्रतिदिन 86894 कनेक्शन दिया जा रहा है। योजना की प्रगति की मॉनिटरिंग तथा भ्रष्टाचार रोकने के लिए सभी नल कनेक्‍शन उपभोक्ता के आधार नंबर से लिंक किए जा रहे हैं। अब तक देश के 19,43,34,294 ग्रामीण घरों में से 11,62,66,119 ग्रामीण घरों को पानी का कनेक्शन दिया जा चुका है।

देश के 123 जिले, 1319 ब्लॉक, 73371 पंचायत, 153111 गांव हर घर नल से जल से जुड़ चुके हैं। कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की कठिनाइयों के बावजूद यह प्रगति हासिल हुई है। अब योजना पूरी रफ्तार से लागू की जा रही है और उम्मीद है कि निर्धारित समय से पहले ही देश के हर ग्रामीण घरों तक नल से जल का कनेक्शन देने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा।

मुफ्तखोरी का पासा फेंक कर सत्ता हासिल करने की कवायद में जुटे नेता दरअसल देश को फिर से लालटेन युग में ले जाना चाहते हैं ताकि कभी पूरा न होने वाले चुनावी वायदों के बल पर चुनाव लड़े और जीते जा सकें।

इन नेताओं को सबसे बड़ी चिंता इस बात की है कि जिस ढंग से जनता से जुड़ी योजनाएं समय से पहले पूरी हो रही हैं और उनका लाभ बिना किसी भेदभाव के सभी को मिल रहा है उससे उनके लिए चुनाव वायदे बचेगें ही नहीं। इसीलिए वे मुफ्तखोरी की राजनीति के जरिए विकास के पहिए को थामने में जुटे हैं।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)