वैश्विक रेटिंग एजेंसियों के आईने में भी मजबूत नजर आ रही भारतीय अर्थव्यवस्था

मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 10.8  प्रतिशत से बढ़ाकर 13.7 प्रतिशत कर दिया है। आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने और कोरोना वायरस का टीका बाजार में आने के बाद लोगों के मन से कोरोना वायरस का डर खत्म होने की वजह से मूडीज ने यह नया अनुमान लगाया है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा 26 फरवरी 2021 को जारी चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही के आंकड़ों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.4 प्रतिशत की दर से बढोतरी हुई है, जबकि जून यानी पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गईं थी. तदुपरांत, दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।

एनएसओ के अनुसार वित्त वर्ष 2019-20 की समान अवधि में जीडीपी में 3.3 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई थी। चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर के सकारात्मक रहने से साफ़ हो जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के गिरफ्त से तेजी से बाहर निकल रही है. इस तथ्य की तस्दीक विविध रेटिंग एजेंसियाँ भी कर रही हैं।  

मूडीज ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 10.8  प्रतिशत से बढ़ाकर 13.7 प्रतिशत कर दिया है। आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने और कोरोना वायरस का टीका बाजार में आने के बाद लोगों के मन से कोरोना वायरस का डर खत्म होने की वजह से मूडीज ने यह नया अनुमान लगाया है। एजेंसी ने चालू वित्त वर्ष के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था में आने वाली गिरावट के अनुमान को भी पहले के 10.6 प्रतिशत में सुधार करते हुए इसे 7.00 प्रतिशत कर दिया है। 

साभार : Business World

मूडीज का कहना है कि केंद्र सरकार का वित्त वर्ष 2020-21 और वित्त वर्ष 2021-22 में राजकोषीय घाटा अनुमान की तुलना में कम रहेगा। वित्त वर्ष 2020-21 की चौथी तिमाही में राजस्व संग्रह में तेजी आने और वित्त वर्ष 2021-22 में ज्यादा नॉमिनल जीडीपी वृद्धि  के अनुमान के आधार पर मूडीज ने यह अनुमान लगाया है।

मूडीज ने कहा कि 1 फरवरी 2021 को वित्त वर्ष 2021-22 के लिये पेश किए गए के बजट के मुताबिक सरकार ने वित्त वर्ष 2026 तक जीडीपी के 4.5  प्रतिशत राजकोषीय घाटे को रखने का लक्ष्य रखा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि आगामी 4 वर्षों तक राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.5 प्रतिशत के आसपास रहेगा, क्योंकि सरकार इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये लगातार प्रयासरत रहेगी और मौजूदा आर्थिक मानकों में आगामी सालों में और भी बेहतरी आने की संभावना है.    

रेटिंग एजेंसी इक्रा के अनुसार 31 मार्च 2022 को समाप्त हो रहे वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार की उम्मीद है। केंद्र सरकार द्वारा सरकारी खर्च को बढ़ाने और विविध उत्पादों के खपत में तेजी को देखते हुए एजेंसी ने यह अनुमान लगाया है। इक्रा के अनुसार कोरोना महामारी का प्रभाव कम हो रहा है। इस वजह से वित्त वर्ष 2021-22 में जीडीपी 10.5 प्रतिशत और नॉमिनल जीडीपी में 14.5  प्रतिशत की दर से वृद्धि हो सकती है। 

वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच के अनुसार भी भारत सरकार द्वारा बजट में पेश किए गए घाटे का लक्ष्य ज्यादा है, लेकिन कोरोना महामारी को देखते हुए सरकार के इस कदम को सही ठहराया जा सकता है, क्योंकि सरकारी खर्च में बढ़ोतरी से राजकोषीय घाटे में इजाफा आना स्वाभाविक है। सरकार लोगों के स्वास्थ्य में बेहतरी लाने के लिए राजकोषीय घाटे की चिंता किए बगैर सरकारी खर्च में वृद्धि कर रही है, ताकि आर्थिक गतिविधियों में तेजी आये

इसी वजह से भारत का सार्वजनिक ऋण अनुपात बढ़ा है। फिच ने वित्त वर्ष 2021 में राजकोषीय घाटा के 9.5 प्रतिशत और वित्त वर्ष 2021-22 में 6.8  प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया है। फिच के अनुसार बजट के आर्थिक और राजस्व संबंधी अनुमान विश्वसनीय हैं, क्योंकि अर्थव्यवस्था के विविध मानकों में तेजी से सुधार हो रहा है। 

रेटिंग एजेंसी स्टैंडर्ड ऐंड पूअर्स (एसऐंडपी) के मुताबिक मौजूदा चुनौतीपूर्ण आर्थिक स्थिति में पर्यटन एवं निर्यात केंद्रित एसएमई की स्थिति ज्यादा अस्थिर है। एसएमई के अलावा रियल एस्टेट की स्थिति भी दयनीय है। हालाँकि, भारत में एसएमई में सरकार द्वारा उठाये गए सुधारात्मक कदमों से दबाव कुछ कम हुआ है।  

अनिश्चितता और महामारी के दीर्घावधि असर के कारण रियल एस्टेट क्षेत्र में अभी भी ज्यादा जोखिम की स्थिति देखी जा रही है। बावजूद इसके भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार हो रहा है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता है। धीरे-धीरे कोरोना वायरस का खौफ़ लोगों के मन-मस्तिष्क से बाहर निकल रहा है।

बाजार में टीका के आने की वजह से लोगों के मन में भरोसा बढ़ा है। बहुत सारे लोग अपने काम पर लौट गए हैं और बचे हुए प्रवासी मजदूर एवं कामगार भी अपने काम पर लौट रहे हैं। ऐसे में यह कहना अनुचित नहीं होगा कि कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभावों से भारतीय अर्थव्यवस्था बेहतर ढंग से बाहर हो रही है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)