जाकिर नाइक के चैनल के नक्शे में ‘काश्मीर’ नहीं है भारत का हिस्सा!

पुष्कर अवस्थी
बांग्लादेश में हुए हमले के बाद किसको फायदा और किसको नुकसान हुआ इसका विश्लेषण तो होता ही रहेगा, लेकिन भारत में इसका फायदा यह हुआ कि इस्लाम मज़हब के प्रचारक ज़ाकिर नाइक को ले कर भारतीयों की नींद अब टूटी है और उनके क्रिया-कलापो की विवेचना शुरू हो गयी है। डॉ ज़ाकिर नाइक जैसे लोग कई मामलों में बुरहान जैसे आतंकवादियों से ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये लोग मजहब के प्रचार और शांति का सन्देश देने की आड़ में, आतंकवाद को मजहबी प्रतिष्ठा देते हैं और अपने समर्थको को अलगावाद का सन्देश संकेतो में देते रहते हैं। डॉ ज़ाकिर के भाषणों की मीमांसा तो सरकार एवं क़ानून के स्तर पर नियामकों के तहत होता ही रहेगा और उसके वाजिब मायने निकलते रहेंगे लेकिन जाकिर नाईक का मंसूबा प्रथम दृष्टया उसके टीवी चैनल के से पता चलता है। डॉ ज़ाकिर नाइक ने अपने टीवी चैनल peace Tv के माध्यम से अपने मंसूबों को स्पष्ट कर दिया है। इस चैनल पर जब आप विश्व का नक्शा देखेंगे तो उसमे भारत के नक्शे का सर कटा हुआ है। दरअसल ये नक्शे से कटा हिस्सा काश्मीर का है अर्थात जाकिर नाईक काश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं।

डॉ जाकिर नाइक के चैनल पीस टीवी की वेबसाईट पर जो विश्व का नक्शा दिखाया जा रहा है, उसमें जब भारत का नक्शा देखते हैं तो पता चलता है कि उस नक्शे के ऊपर में कुछ हिस्सा कटा हुआ है। कटा हुआ हिस्सा काश्मीर अर्थात घाटी क्षेत्र का है। अब बड़ा सवाल उठता है कि क्या यह प्रथम दृष्टया जाकिर नाइक के अलगाववादी सोच का प्रमाण नहीं है ? क्या इस आधार पर यह न माना जाय कि जाकिर नाईक का उद्देश्य अपने मजहब के प्रचार के बहाने वाह्य इस्लामिक एजेंडे के साथ-साथ पाक-परस्त नीतियों को लागू कराने की कोशिश की जा रही है। जाकिर नाईक के चैनल की वेबसाईट पर इस नक़्शे की जांच होनी चाहिए और इसे तुरंत प्रतिबंधित किया जाना चाहिए: सम्पादक 

अपने चैनल पर भारत का आधा-अधूरा नक्शा दिखाना इस बात का प्रमाण है कि जाकिर नाइक भी अलगाववादियों की तरह काश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते हैं। संकेतों में ही सही मगर डॉ ज़ाकिर नाइक का यह भारत की सम्प्रभुता पर हमला है। जब से, आतंकवादियों के प्रेरणा गुरु के रूप में डॉ ज़ाकिर का नाम आया है तब से मिडिया और सोशल साईट पर ‘अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता’ के नाम पर उसके समर्थन में तमाम लोग आगये है। ये वही लोग हैं जो फांसी की सजा पाए आतंकी याकूब के बचाव में थे और अब हिजबुल कमांडर बुरहान के लिए मातम मना रहे हैं। तमाम मुसलमान उसके समर्थन में सिर्फ इसलिए खड़े हो गए है क्योंकि वह एक मज़हबी आदमी है और उनको इल्म भी नही है की वो जाने अंजाने में शेष भारत की निगाह में, ‘अलगावाद’ के समर्थक के रूप में पहचाने जाने लगे है। देश के मुसलमानों को भी ऐसी गलतियों से बचना चाहिए।

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साभार: सोशल मीडिया

हम भारतियों को किसी भी मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि डॉ ज़ाकिर नाइक का मामला एक इस्लामिक कटटरवाद का मजहबी मामला है। आज की हकीकत यह है कि भारत के लिए हर वो शख्स, जो डॉ जाकिर नाइक का समर्थक है, वह भारत का दुश्मन है। डॉ ज़ाकिर नाइक के ‘पीस टीवी’ पर भारत का कश्मीर विहीन नक्शा भारत से ऐलान-ए-जंग का प्रमाण प्रस्तुत कर रहा है। डॉ ज़ाकिर नाइक भारतीय मुसलमानो को कश्मीरी आतंकवाद का हिमायती बना रहा है और यह शख्स और उसके समर्थक भारत में गृहयुद्ध की बुनियाद को पुख्ता करने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं।

        खतरे के लिहाज से देखें तो बुरहान और डॉ ज़ाकिर नाइक में कोई अंतर नहीं है। एक आतंकवाद को रूमानी चेहरा देता है और दूसरा आतंकवाद पर मजहबी रुमानियत की मोहर लगाता है। पिछली सरकारों ने इन मजहबी आतंकवाद के पोषकों को पाला पोषा था। लिहाजा अब ये ताकतवर हो गये हैं। वर्तमान सरकार में अब जब इनके मंसूबों को खत्म करने का प्रयास हो रहा है तो संघर्ष स्वाभाविक है। काश्मीर में भी राज्य और आतंकवाद का संघर्ष ही दिख रहा है। काश्मीर की घटना से स्पष्ट होता है कि अब राज्य आतंकवादियों को किसी भी हाल में बर्दाश्त करने अथवा पनाह देने के खिलाफ पूरी शिद्दत से लगी है। लिहाजा आतंकवाद के पोषकों की छटपटाहट नजर आ रही है।

                                                                                                                                                           (ये लेखक के निजी विचार हैं)