नेशनलिस्ट ऑनलाइन

काशी सर्वप्रकाशिका : सनातन सत्य की विजय सुनिश्चित है

काशी के प्रकाश को अब भी ये समझ नहीं पा रहे, दीवार पे लिखी इबारत ये पढ़ नहीं पा रहे! मस्जिद किसी दूसरे की छिनी ज़मीन पर ज़बरदस्ती नहीं बनायी जा सकती।

दिल्ली में शिक्षा और स्वास्थ्य की नहीं, केवल विज्ञापन की क्रांति हुई है – कपिल मिश्रा

नेशनलिस्ट ऑनलाइन से बातचीत के दौरान युवा भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने केजरीवाल सरकार की विफलताओं को तथ्यों-तर्कों के साथ रेखांकित किया, वहीं अमित शाह द्वारा लिए गए निर्णयों को दिल्ली की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण बताया।

असहिष्णुता की आंधी और पुरस्कार वापसी की अंतर्कथा

अजीब आंधी थी वह। धूल और बवंडर के साथ कुछ वृक्षों को धराशायी करती हुई। किस दिशा से आई है, केंद्र क्या है, इस पर अलग-अलग कयास लगाये जा रहे थे। भारत का संपूर्ण शिक्षित समुदाय जो अखबार पढ़ता और टी.वी. देखता है, इस विवाद में शामिल हो गया था। पुरस्कार वापसी पर पक्ष और विपक्ष – दो वर्ग बन गए थे। पक्ष हल्का, विपक्ष भारी।

भारत के प्राचीन वैभव की पुनर्स्थापना के तीन वर्ष

इन तीन वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा उठाए गए छोटे-बड़े तमाम क़दमों का लक्ष्य अंततः भारत को विश्व का सिरमौर बनाना, इक्कीसवीं सदी को भारत की सदी बना कर देश को फिर से विश्व गुरु के आसन पर विराजमान कराना और माँ भारती के पुरा-वैभव की पुनर्स्थापना करना है। और ऐसा करते हुए

मैं विद्यार्थी परिषद् बोल रहा हूँ…..!

कम्युनिस्ट अपने मूल चरित्र में जितने हिंसक हैं, उतने ही फरेब में माहिर भी हैं। वो रोज नए झूठ गढ़ते हैं। जबतक उनके एक झूठ से पर्दा उठे तबतक दूसरा झूठ ओढ़कर पैदा हो जाते हैं. दरअसल झूठ की लहलहाती फसल के रक्तबीज हैं। आजकल इनके निशाने पर देश के विश्वविद्यालय हैं। कुछ भी रचनात्मक कर पाने में असफल यह गिरोह अब ध्वंसात्मक नीतियों के चरम की ओर बढ़ चला है।

आगामी विधानसभा चुनावों में पूर्ण बहुमत प्राप्त कर इतिहास रचेगी भाजपा – अरुण सिंह

उत्तर प्रदेश को अगर देश की राजनीतिक धड़कन कहा जाये तो यह गलत नहीं होगा। ऐसे में, जबकि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने को हैं, जाहिर सी बात है कि देश का सियासी पारा गर्म तो होगा ही। उत्तर प्रदेश की तमाम राजनीतिक उठापटक के बीच केंद्र में सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी की क्या स्थिति है, क्या योजनाएं हैं।

पाठ्यक्रमों पर गहराया लाल रंग न तो हिंदी के विद्यार्थियों के लिए अच्छा है, न ही समाज के लिए – प्रो चन्दन कुमार

साहित्य यूँ तो समाज का दर्पण कहा जाता है, लेकिन क्या हो जब यह दर्पण किसी ख़ास विचारधारा का मुखपत्र भर बन कर रह जाये ? क्या हो जब साहित्य के नाम पर विचारधारा का प्रचार किया जाने लगे। साहित्य की दुनिया में एक खास विचारधारा की तानाशाहियों पर खुलकर बातचीत की हिंदी-विभाग के प्रोफ़ेसर चन्दन कुमार से

हमेशा से अध्ययनशील परम्परा की अनुगामी रही है भाजपा

प्रसिद्ध जर्मन भाषाविद और लेखक मैक्समूलर अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘इंडिया व्हॉट कैन इट टीच अस’ में कहते हैं- ‘अगर मुझसे पूछा जाए कि वह कौन सा स्थान है, जहां मानव ने अपने भीतर सद्भावों को पूर्ण रूप से विकसित किया है और गहराई में उतर कर जीवन की कठिनतम समस्याओं पर विचार किया है, तो मेरी उंगली भारत की तरफ उठेगी।’ ज़ाहिर है जब पश्चिम तक सभ्यता के सूरज ने पहुंचने

विमुद्रीकरण : निर्णय एक आयाम अनेक

सचमुच अतुलनीय हैं प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी। अनपेक्षित और चौकाऊ, हर कयास से परे, हर वह साहसिक फैसला लेने को हमेशा तैयार जिससे देश का कोई भला होने वाला हो, जिससे माँ भारती का भाल ज़रा और ऊँचा उठने वाला हो। देश भर में भाजपा-जन जब राजनीति में शुचिता के प्रतीक पुरुष श्री लालकृष्ण आडवाणी का जन्मदिन मना रहे थे, उसी दिन भारत में आर्थिक स्वच्छता के एक बड़े कदम, या यूं कहें

भारत जैसे कहेगा हम चलेंगे, हमारी आवाम आपके साथ है : मज़दक दिलशाद बलूच

मजदक दिलशाद बलूच, बलूच आन्दोलन से जुड़े हुए बलूच नेता हैं एवम् वर्तमान में कनाडा मे निर्वासित जीवन व्यतीत कर रहे हैं। बचपन में ही पाकिस्तान के अत्यचार के कारण इनका परिवार बलूचिस्तान छोड़ने को मजबूर हो गया था। आपकी माता नीला क़ादिरि बलुच “विश्व बलूच वुमन फ़ोरम्” की अध्यक्षा हैं एवम् आपके पिता मीर