मुफ्तखोरी की राजनीति के जरिए अपनी नाकामियां छिपाने में जुटे हैं केजरीवाल

दिल्‍ली मेट्रो व बसों में  मुफ्त यात्रा के बाद दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मुफ्त बिजली का एक नया शिगूफा छोड़ा है। जिस मुफ्त बिजली ने राज्‍य विद्युत बोर्डों को बदहाल बनाकर देश को अंधेरे में डुबोए रखा उसी आत्‍मघाती राजनीति की फिर शुरूआत कर रहे हैं केजरीवाल। 

एक ओर मोदी सरकार सभी को चौबीसों घंटे-सातों दिन बिजली मुहैया कराने के लिए बिजली क्षेत्र में सुधारो को गति दे रही है तो दूसरी ओर दिल्‍ली के मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल मुफ्त बिजली का पासा फेंककर सुधारों की गाड़ी को पटरी पर उतारने पर तुले हैं। गौरतलब है कि बिजली क्षेत्र को बदहाल बनाने में मुफ्त बिजली की महत्‍वपूर्ण भूमिका रही है।

साभार : Maharashtra Today

मुफ्त बिजली का पासा सबसे पहले पंजाब ने फेंका था। इसके बाद कई राज्‍यों ने इसका अनुसरण किया। नतीजा यह हुआ कि राज्‍य बिजली बोर्ड भारी घाटे में चले गए। इससे बिजली घरों की स्‍थापना,आधुनिकरण, संचरण वितरण हानि घटाने में बाधाएं आई। 

यह समस्‍या विशेषरूप से उत्‍तर भारत में पैदा हुई। इसका दूरगामी परिणाम इन राज्‍यों में औद्योगिक-वाणिज्‍यिक गतिविधियों के धीमेपन, जाति की राजनीति के उभार, महानगरों की ओर पलायन जैसी समस्‍याओं के रूप में सामने आया। मुफ्त बिजली का एक नतीजा दुरुपयोग के रूप में भी सामने आया। पंजाब में हीटर पर उपले सुखाने वाली तस्‍वीर तो दुनिया भर में चर्चित हुई थी।

नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्‍यमंत्री रहते हुए गरीबी और बिजली खपत के बीच उपस्थित गहरे अंर्तसंबंधों से परिचित थे। इसीलिए 2014 में प्रधानमंत्री बनते ही उन्‍होंने पूरे देश में बिजली सुधारों के एक नए युग का सूत्रपात किया। हर गांव तक बिजली पहुंचाने के समयबद्ध कार्यक्रम तय करने के साथ-साथ राज्‍य बिजली बोर्डों का घाटा कम करने के लिए उदय योजना लागू की गई।

इसी तरह हर घर को रोशन करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 सितंबर, 2017 को प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना (सौभाग्‍य) की शुरूआत किया। बिजली सुविधा से वंचित साढ़े चार करोड़ घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री ने मार्च 2019 का समय तय किया था जिसे समय से पहले हासिल कर लिया गया। 

सौभाग्‍य योजना के तहत ग्रामीण इलाकों के बिजली विहीन सभी परिवारों को और शहरी इलाकों के गरीब परिवारों को नि:शुल्‍क बिजली कनेक्‍शन मुहैया कराया गया। जो गांव परंपरागत ग्रिड सिस्‍टम से नहीं जुड़े थे वहां सोलर फोटो वोल्‍टाइक सिस्‍टम बांटे गए जिससे पांच एलईडी बल्‍ब और एक पंखा चलाया जा सके।

हर घर तक बिजली पहुंचाने के बाद मोदी सरकार का अगला लक्ष्‍य देश के सभी घरों को सातों दिन-चौबीसों घंटे रोशन करने का है। इसके लिए मोदी सरकार एक अनूठी पहल करते हुए देश के सभी बिजली मीटरों को प्रीपेड करने का निश्‍चय किया है। एक अप्रैल 2019 से शुरू होने वाली इस योजना के तहत मार्च 2022 तक प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे इसके बाद लोगों को बिना मीटर रिचार्ज कराए बिजली नहीं मिलेगी। इससे बिजली कंपनियों पर बकाए की समस्‍या अपने आप खत्‍म हो जाएगी। जिस तरह प्रीपेड मोबाइल से देश में संचार क्रांति आई उसी तरह प्री पेड मीटर के जरिए मोदी सरकार बिजली क्रांति लाने जा रही है।

स्‍पष्‍ट है, एक ओर प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी समूचे देश में बिजली क्षेत्र का  डिजिटलीकरण कर रहे हैं ताकि बिजली चोरी रोकी जा सके। दूसरी ओर केजरीवाल मुफ्तखोरी की राजनीति से इस मुहिम में पलीता लगा रहे हैं। दरअसल 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली और फिक्‍स्‍ड चार्ज घटाने जैसे लोकलुभावन घोषणाओं के जरिए अरविंद केजरीवाल अपनी नाकामियों को छिपाना चाहते हैं।

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के समय केजरीवाल ने भ्रष्‍टाचार मुक्‍त राजनीति, 500 स्‍कूल, 20 कॉलेज, महिलाओं की सुरक्षा के लिए हर बस में कमांडो तैनात करने, पूरी दिल्‍ली में सीसीटीवी कैमरा लगवाने जैसे भारी-भरकम चुनावी वादे किए थे, लेकिन इनमें से कोई चुनावी वादा पूरा नहीं हुआ। इसका नतीजा यह हुआ कि आम आदमी पार्टी और सरकार के जन समर्थन में भारी कमी आई। पार्टी के देशव्‍यापी प्रसार का मंसूबा ध्‍वस्‍त हो गया। आम आदमी पार्टी के गढ़ दिल्‍ली में भी यही हाल हुआ। 

दिल्‍ली में विधानसभा के उपचुनाव में पार्टी के उम्‍मीदवार तीसरे स्‍थान पर पहुंच गए। वोट प्रतिशत में भारी गिरावट दर्ज की गई। दिल्‍ली नगर निगम और लोक सभा चुनाव में सूपड़ा साफ हो गया। यही कारण है कि केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव के पहले महिलाओं के लिए मुफ्त मेट्रो और अब सबको मुफ्त बिजली का नया शिगूफा छोड़ा है।

(लेखक केन्द्रीय सचिवालय में अधिकारी हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)