बुनियादी ढांचे के एकीकृत विकास से अर्थव्यवस्था को गति देने में जुटी मोदी सरकार

प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से उबरने के लिये देश के बुनियादी ढांचे पर अधिक से अधिक खर्च किया जाये, ताकि आमजन को रोजगार मिले, विविध उत्पादों की मांगों में इजाफा हो, आपूर्ति को बढ़ाने के लिये उत्पादन के कामों में तेजी आए, आम लोगों एवं कारोबारियों की आय सृजन को पंख लगे आदि। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से मौजूदा आर्थिक गतिरोध से जल्द से जल्द सभी को मुक्ति मिलेगी। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुनियादी ढांचे को मजबूत करके आर्थिक गतिविधियों में तेजी लाने और रोजगार पैदा करने की रणनीति पर काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि कोरोना महामारी से उत्पन्न संकट से उबरने के लिये देश के बुनियादी ढांचे पर अधिक से अधिक खर्च किया जाये, ताकि आमजन को रोजगार मिले, विविध उत्पादों की मांगों में इजाफा हो, आपूर्ति को बढ़ाने के लिये उत्पादन के कामों में तेजी आए, आम लोगों एवं कारोबारियों की आय सृजन को पंख लगे आदि। अगर ऐसा होता है तो निश्चित रूप से मौजूदा आर्थिक गतिरोध से जल्द से जल्द सभी को मुक्ति मिलेगी।

साभार : IAS Express

सरकार नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, ताकि छोटे और बड़े उद्यमों के साथ-साथ किसानों को भी फ़ायदा हो। सरकार चाहती है कि एनआईपी के तहत केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र के बीच तालमेल बनाकर लगभग 110 लाख करोड़ रुपये खर्च किये जायें, ताकि अधिक से अधिक लोगों को लाभ हो।

इसके लिये विविध क्षेत्रों की तकरीबन 7,000 परियोजनाओं की पहचान की गई है। अभी एनआईपी के 70 प्रतिशत या 73 लाख करोड़ रुपये मूल्य वाली परियोजनाओं को अमलीजामा पहनाने की दिशा में काम किया जाना बाकी है। हालाँकि, कुछ परियोजनाओं को मूर्त रूप देने की दिशा में काम चल रहा है, जिनकी मौजूदा कीमत लगभग 22 लाख करोड़ रुपये है।

कोरोना महामारी के कारण सरकार और निजी क्षेत्र दोनों के समक्ष वित्तीय चुनौतियाँ हैं। अतः सरकार बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिये रेलवे, परिवहन, सड़क आदि को एकीकृत तरीके से विकसित करना चाहती है। इस तरीके से काम करने पर कम खर्च करके अधिक लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी यह भी चाहते हैं कि बुनियादी ढांचे के तहत सिर्फ सड़क, रेल, बिजली या उर्जा क्षेत्र को बढ़ावा नहीं दिया जाये, बल्कि इसके तहत भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई), भारतीय रेलवे, भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई), भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) और भारतीय बंदरगाह संघ (आईपीए) आदि का विकास एकीकृत तरीके से किया जाये और उनके बीच समायोजन बनाकर  उनमें मौजूद कमियों व खामियों का भी निराकरण किया जाये।

इस क्रम में डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया और कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया जैसे अन्य सरकारी संगठनों के साथ भी साझेदारी की जाये, ताकि सरकार एवं आम लोगों को अधिक से अधिक फ़ायदा हो सके।

बुनियादी क्षेत्र के दूसरे स्तंभों जैसे, स्कूल, अस्पताल, कोल्ड स्टोरेज, भंडार गृह आदि को भी मजबूत बनाने की जरूरत है। मई 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद से ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुनियादी क्षेत्र को मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। फिलवक्त, सरकार का सबसे ज्यादा जोर अक्षय ऊर्जा के उत्पादन को बढ़ाने पर है। सरकार के प्रयासों से इसके उत्पादन में बीते वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई भी है।

परिवहन क्षेत्र को एकीकृत करने की दिशा में 1990 के दशक से काम किया जा रहा है। माल ढुलाई का मल्टीमॉडल परिवहन अधिनियम वर्ष 1993 में लागू किया गया था और इसके दायरे में सड़क, रेल, अंतर्देशीय जलमार्ग, समुद्र तथा वायु द्वारा माल परिवहन को रखा गया था।

हालाँकि,  देश में एकीकृत परिवहन की व्यवस्था को अभी पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सका है। लेकिन छिटपुट तरीके से देश में यह व्यवस्था शुरु हो चुकी है। कुछ बड़े शहरों में बस सेवाओं, मेट्रो स्टेशनों, हवाई अड्डों और रेलवे स्टेशनों को एक-दूसरे से जोड़ा गया है। दिल्ली में भी मेट्रो को रेलवे और हवाई अड्डे से जोड़ा गया है। मेट्रो तक पहुँचने के लिये बस सेवा भी चल रही है। इससे आमजन और सरकार को कितना फ़ायदा हो रहा है, जगजाहिर है।

वर्ष 2006 की राष्ट्रीय शहरी परिवहन नीति (एनयूटीपी) में 10 लाख से अधिक आबादी वाले सभी शहरों में यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (यूएमटीए) प्रणाली को लागू करने की बात कही गई थी, लेकिन केवल कुछ राज्य सरकारों ने ही इसे अपने यहाँ लागू किया है।

तमिलनाडु ने वर्ष 2011 में चेन्नई यूनिफाइड मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी अधिनियम लागू किया था, जबकि तिरुवनंतपुरम, कोच्चि और कोझिकोड में पिछले साल केरल मेट्रोपॉलिटन ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी अधिनियम बनाया गया था। यूएमटीए का गठन उन क्षेत्रों के लिए फायदेमंद है, जहां मेट्रो सेवा प्रस्तावित है या शुरू हो गई है।

भारतीय रेलवे स्टेशन विकास निगम भी मल्टीमॉडल परिवहन केंद्र के रूप में स्टेशनों का पुनर्निर्माण कर रहा है। वर्तमान में इस संकल्पना को साकार करने में कुछ चुनौतियाँ जरुर सामने हैं, लेकिन उन्हें दूर करके मामले में अपेक्षित परिणाम पाये जा सकते हैं।

कहा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बुनियादी ढांचे में व्यय की राशि को बढ़ाकर विकास की गति को तेज करने की संकल्पना प्रभावी और व्यवहारिक है। बुनियादी क्षेत्र में खर्च करके कोरोना महामारी की वजह से डगमगाई अर्थव्यवस्था को फिर से खड़ा किया जा सकता है।

इस दिशा में बुनियादी ढांचे के कुछ क्षेत्रों में एकीकृत प्रणाली पर काम करके आर्थिक गतिविधियों में जल्द से जल्द तेजी लाई जा सकती है। एकीकृत प्रबंधन प्रणाली से काम करके कम पैसे में अधिक लाभ प्राप्त किये जा सकते हैं। अभी अर्थवयवस्था संक्रमण के दौर से गुजर रही है, लेकिन आने वाले दिनों में प्रधानमंत्री की बुनियादी ढांचे में निवेश की यह कार्ययोजना अर्थवयवस्था के लिए बड़ा बूस्टर साबित होगी, ऐसी उम्मीद की जा सकती है।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। आर्थिक मामलों के जानकार हैं। प्रस्तुत विचार उनके निजी हैं।)