किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य की ओर तेजी से बढ़ रही मोदी सरकार

सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में किसानों को उनकी लागत के 150 प्रतिशत के समतुल्य कीमत दिलाने के लिए कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में न सिर्फ रिकॉर्ड फसल उत्पादन हो रहा है, बल्कि दूध, फल और सब्जियों का उत्पादन भी उच्च स्तर पर है। वर्ष 2010 से वर्ष 2014 के बीच औसतन 25 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 में 28 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। दालों का उत्पादन भी 10.5 प्रतिशत बढ़ा है।

मोदी सरकार वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य को हासिल करने के लिये कृषि क्षेत्र के बजट को दोगुना करके 2.12 लाख करोड़ रुपये किया गया है, जो संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की सरकार के कार्यकाल की तुलना में दोगुना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्‍फ्रेंसिंग के जरिये 600 से अधिक जिलों के किसानों से इस संदर्भ में बातचीत भी की है। सरकार ने कृषि आय बढ़ाने के लिए नीति में चार बड़े कदम जैसे, कृषि लागत खर्च में कटौती, फसलों की उचित कीमत, उत्पादों को खराब होने से बचाना तथा आय के वैकल्पिक स्रोत सृजित करना आदि उठाए हैं।

सरकार ने वित्त वर्ष 2018-19 के बजट में किसानों को उनकी लागत के 150 प्रतिशत के समतुल्य कीमत दिलाने के लिए कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में न सिर्फ रिकॉर्ड फसल उत्पादन हो रहा है, बल्कि दूध, फल और सब्जियों का उत्पादन भी उच्च स्तर पर है। वर्ष 2010 से वर्ष 2014 के बीच औसतन 25 करोड़ टन खाद्यान्न उत्पादन की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 में 28 करोड़ टन खाद्यान्न का उत्पादन हुआ है। दालों का उत्पादन भी 10.5 प्रतिशत बढ़ा है।

मोदी ने किसानों को बुवाई से लेकर उनके उत्पाद बाजार तक पहुँचाने की प्रक्रिया में मदद के लिये नीतिगत मामलों में बदलाव करने की बात कही है। सरकार का प्रयास किसानों को कृषि के प्रत्येक चरण में बुआई, बुआई के बाद तथा कटाई में सहायता मुहैया कराना है। सरकार के प्रयासों से किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड भी मिल रहा है, जिसकी मदद से किसानों को उनकी जमीन की उर्वरता एवं उर्वरकों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी मिल रही है। बैंकों को किसानों को ऋण मुहैया कराने के निर्देश दिये गये हैं।

वैसे, बैंक पहले से किसानों को प्राथमिकता के आधार पर कर्ज मुहैया करा रहे हैं। सही समय पर कर्ज मिलने पर किसान अच्छी गुणवत्ता के बीज खरीद सकेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह भी कहा कि नीम कोटिंग यूरिया से उर्वरक की कालाबाजारी पर रोक लगी है और किसानों को बिना किसी परेशानी के यह मिलने लगी है। उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को उनकी फसलों का उचित कीमत दिलाने के लिये ऑनलाइन प्लेटफॉर्म ई-नाम शुरू किया गया है, जिससे उन्हें बिचौलियों से मुक्ति मिलने की आशा बंधी है।  

सरकार ने कृषि कल्याण अभियान की भी शुरुआत की है। इसके तहत चुनिंदा गांवों में किसानों को कृषि तकनीकी में सुधार तथा उनकी आय बढ़ाने में सहायता और सलाह उपलब्ध कराई जाएगी। इसका मकसद नीति आयोग के निर्देश के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय के परामर्श से प्रत्येक जिले के 25 गांवों में किसानों की मदद करना है। कृषि विज्ञान केंद्र इस संदर्भ में समन्वय करने का काम करेगा।

कृषि विज्ञान केंद्र अपनी पूर्ण स्वामित्व वाली कंपनी मदर डेयरी के फल एवं सब्जी व्यवसाय ‘सफल’ के जरिये किसानों को अच्छी खेती के तौर-तरीकों के बारे में जानकारी एवं प्रशिक्षण देगा एवं दिल्ली सहित देश के प्रमुख बाजारों तक इनकी पहुँच को सुलभ बनाएगा।  

कृषि विज्ञान केंद्र अपनी ‘पूरब की तरफ देखो’ रणनीति के तहत मदर डेयरी के जरिये ओड़िशा के किसानों को फायदा पहुंचाने का काम कर रहा है। इससे ओड़िसा के किसानों को दिल्ली सहित देश के बड़े बाजार उपलब्ध होंगे। मदर डेयरी ने झारखण्ड में खाद्य प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित किया है, जबकि वह बिहार में दूध खरीद एवं प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करने जा रहा है। मौजूदा समय में मदर डेयरी के प्रयासों से किसान सीधे तौर पर लाभन्वित हो रहे हैं। वहीं उपभोक्ताओं को खाद्य वस्तुएं लाभप्रद मूल्य पर उपलब्ध हो रहीं हैं, जो उपभोक्ता और किसान दोनों के लिये फायदे वाली स्थिति है।

मदर डेयरी फू्ड एंड वेजिटेबिल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक डॉ सौगत मित्रा के अनुसार, “जमीनी स्तर पर हम किसानों से लगातार संपर्क बनाये हुए हैं। हम उन्हें प्रशिक्षण के अलावा यथोचित सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं। हमें इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिलने शुरू हो गये हैं।“

उन्होंने यह भी कहा कि मदर डेयरी के साथ अब तक देश भर में करीब 7 लाख किसानों को जोड़ा जा चुका है, जिसमें निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जल्द खराब होने वाले कृषि उत्पादों को जल्द से जल्द बाजार में खपाने की योजना के तहत मदर डेयरी स्थानीय स्तर पर खुदरा बिक्री नेटवर्क स्थापित करने और बाद में बिक्री केंद्रों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क विकसित करने की ओर भी ध्यान दे रही है।

निष्कर्षतः कहा जा सकता है कि सरकार का मकसद कृषि लागत खर्च में कटौती करना, किसानों को फसलों की उचित कीमत दिलाना, उत्पादों को खराब होने से बचाना और आय के वैकल्पिक स्रोत सृजित करना है। इस दिशा में सरकार सकारात्मक कदम उठा रही है, जिसके परिणाम दिखने लगे हैं।

(लेखक भारतीय स्टेट बैंक के कॉरपोरेट केंद्र मुंबई के आर्थिक अनुसंधान विभाग में कार्यरत हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)