मोदी सरकार के इस क़ानून से पूरा होगा सबका अपने घर का सपना

रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट से रियल एस्टेट सेक्टर में  एक नए युग की शुरुआत हो रही है। अब खरीददार वाकई में अहम होगा और यह कानून उसके सभी अधिकारों को सुरक्षा देगा। खरीददार से धोखाधड़ी करने वाला कोई भी व्यक्ति बचेगा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक हरेक भारतीय को घर देने का वादा किए हैं। उस वादे को पूरा करने के लिहाज से उपर्युक्त कानून मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इससे गरीबों के लिए सस्ते घरों की आपूर्ति भी बढ़ेगी। सरकार की चाहत है कि साल 2022 तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों के पास अपना आवास हो जाये।

अपनी छत का सपना किस हिन्दुस्तानी का नहीं होता। अब तक उनके इस सपने को दर्जनों बदमाश बिल्डर पूरा नहीं होने देते थे अपने लालच के कारण। पर अब उनकी करतूतें बंद होंगी। नौ वर्षों के लंबे इंतजार के बाद बीती सोमवार यानी 1 मई 2017 से रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट यानी रेरा एक साथ पूरे देश में लागू हो गया है। इसके साथ ही लाखों घरों की चाहत रखने वालों के लिए उम्मीद पैदा हो गई कि अब उन्हें कोई लूटेगा नहीं।

रेरा से रियल एस्टेट सेक्टर में  एक नए युग की शुरुआत हो रही है। अब खरीददार वाकई में अहम होगा और यह कानून उसके सभी अधिकारों को सुरक्षा देगा। खरीददार से धोखाधड़ी करने वाला कोई भी व्यक्ति बचेगा नहीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक हरेक भारतीय को घर देने का वादा किए हैं। उस वादे को पूरा करने के लिहाज से उपर्युक्त कानून मील का पत्थर साबित होने जा रहा है। इससे गरीबों के लिए सस्ते घरों की आपूर्ति भी बढ़ेगी। सरकार की चाहत है कि साल 2022 तक गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले सभी लोगों के पास अपना आवास हो जाये।

साभार : गूगल

निश्चित रूप से केन्द्र की एनडीए सरकार देश के हाऊसिंग सेक्टर में फैली अव्यवस्था और गड़बड़ियों को दूर करने के लिए निरंतर पहल कर रही है। इसी के प्रयासों से रेरा लागू हुआ। अब रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण की स्थापना भी होगी। अब बिल्डरों को अपनी परियोजनाएं समय पर पूरी करने के लिए एक अलग बैंक खाते में निर्धारित धनराशि जमा करनी होगी। कानून का उल्लंघन करने वाले बिल्डरों पर तगड़ा जुर्माना भी लगेगा। यानी बिल्डरों द्वारा भोले-भाले ग्राहकों को लूटने के दिन अब बीत गए हैं। 

सरकार का रुख साफ भी है और दृढ़ भी है देश के हाऊसिंग सेक्टर में सुधार लाने के प्रति। इसी क्रम में, सरकार द्वारा बीते आम बजट में व्यक्तिगत हाऊसिंग लोन को बढ़ावा देने के लिए नेशनल हाऊसिंग बैंक के जरिए 20 हजार करोड़ रुपये की राशि गरीबों में बांटने का प्रावधान भी किया गया है। यह राशि बतौर होम लोन, चालू  वित्त वर्ष के दौरान ही वितरित कर दी जाएगी। अब हिसाब लगाया जाये तो दस लाख के हिसाब से भी एक बेघर को लोन दिया जाये तो दो लाख गरीबों को लाभ तो हो ही जाएगा।

राजधानी से सटे नोएडा में सैकड़ों बिल्डर ग्राहकों को लूट रहे थे, कई स्तरों पर। बिल्डरों के मारे ग्राहक अब चैन की सांस ले सकेंगे। उन्हें बिल्डरों के दफ्तरों के बाहर धरना नहीं देना होगा। दिल्ली से निकट होने के कारण नोएडा में देशभर में रहने वाले लोगों ने अपने फ्लैट बुक करा रखे थे। पर, अब सब कुछ ठीक होने का वक्त आ गया है। नोएडा के साथ-साथ, बिहार, उत्तर प्रदेश, गुवाहाटी, त्रिपुरा, शिलौंग, कलकत्ता, रांची, भोपाल, मुंबई वगैरह में भी बिल्डरों के सताए ग्राहकों को सड़कों पर उतरना नहीं प़ड़ेगा।

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एनसीआर में एक्टिव बिल्डरों ने तो अंधेर मचा कर रखा था। ये वादा करने के बाद भी अपने ग्राहकों को वक्त पर घर नहीं दे रहे थे। इनमें से  ज्यादातर का कामकाज पारदर्शी नहीं रहा। अभी एनसीआर में ज्यादातर प्रोजेक्ट की डिलवरी में 19 से 25 महीनों की देरी हो रही है। कुछ तो 5-7 वर्ष पीछे चल रहे हैं। ग्राहकों को हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाना पड़ रहा है और धरना-प्रदर्शन तक करना पड़ रहा है।

यह सब किसी को अपनी गाढ़ी कमाई के पैसे फंस जाने पर चक्कर से बाहर निकलने के लिए करना पड़े तो यह किसी भी सभ्य समाज का पारदर्शी व्यवहार या कारोबार तो हरगिज नहीं कहा जा सकता। औसतन, फरीदाबाद में 25 महीने, गाजियाबाद में 19 महीनें, ग्रेटर नोएडा में 24 महीने और गुड़गांव में 22 महीने की देरी से काम हो रहा है। जाहिर है, यह सारी स्थिति उन तमाम लोगों के लिए बेहद कष्टदायी है, जो अपने पैसे फंसाकर अपने ही घर की डिलवरी का इंतजार कर रहे हैं।

अब तक रीयल एस्टेट सेक्टर लगभग अनियमित सा ही रहा है। इसमें बिल्डरों की कोई जवाबदेही नहीं रही है। हां, अब  रियल एस्टेट सेक्टर में जवाबदेही आएगी और ग्राहकों के हितों को देखा जाएगा। अब रीयल एस्टेट कंपनियों को ग्राहकों के पक्ष में खड़ा होना होगा। उन्हें पारदर्शी व्यवहार करना ही होगा।  जानकारों को पता है कि रीयल एस्टेट कंपनियां 300 से 500 परसेंट के मर्जिन पर काम करती थीं।

अब जरा देख लीजिए कि इन हालातों में बेचारा ग्राहक कहां जाएगा, अगर ये अपने घरों के दाम तर्कसंगत तरीके से तय करें तो घरों के दाम सीमाओं में ही रहगें और ज्यादा से ज्यादा मेहनतकश और नौकरीपेशा लोगों के अपना घर होने का सपना जल्द ही पूरा हो सकेगा। नई परिस्थितियों में वे बिल्डर तो बाजार से गायब ही हो जाएंगे जिनका एकमात्र लक्ष्य लूट-खसोट करना रहता है। ऐसे में, मोदी सरकार द्वारा लाया लाया गया ये क़ानून अत्यंत सराहनीय और समय के हिसाब से आवश्यक कदम कहा जा सकता है।

(लेखक यूएई दूतावास में सूचनाधिकारी रहे हैं। स्तंभकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)