काला धन धारकों पर मोदी सरकार का करारा वार

30 सितम्बर, 2016 की तारीख इतिहास में दर्ज हो चुकी है। इसी रोज भारतीय सेना के डीजीएमओ द्वारा प्रेस वार्ता करके यह सूचना दी गई कि सेना ने पाक के अवैध कब्जे वाले कश्मीर में जाके आतंकी कैम्पों पर सर्जिकल स्ट्राइक की गई है। देश सेना के इस सर्जिकल स्ट्राइक पर गर्वित हुआ, मगर तब उसे अंदाजा नहीं था कि इस तारीख के बाद ही एक और बहुत बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक की पटकथा तैयार हो रही थी। काला धन धारको पर सर्जिकल स्ट्राइक का काउंट डाउन शुरू हो चुका था।

दरअसल, सरकार ने देश के काला धन धारकों को तीस सितम्बर तक की समयसीमा दी थी और कहा था कि इस दौरान आप अपनी अघोषित संपत्ति को सार्वजनिक कर टैक्स भर दीजिये, सरकार उसके स्रोत आदि की कोई जानकारी नहीं लेगी। अन्यथा इसके बाद सरकार सख्त कार्रवाई करेगी। इस अवधि में तमाम लोगों ने अपनी संपत्ति को सार्वजनिक किया भी और इस तरह लगभग 65 हजार करोड़ का काला धन सामने आया। मगर ये बहुत थोड़ा था, काफी अधिक काला धन अब भी देश के भीतर छुपा था। अब इंतजार था कि सरकार क्या कार्रवाई करती है। अक्टूबर बीत गया। नवम्बर आया और दीवाली आदि त्यौहार भी आराम से बीत गए। 8 नवम्बर की शाम अचानक यह खबर आई कि प्रधानमंत्री देश के नाम संबोधन करेंगे। थोड़ा अजीब लगा कि अचानक देश के नाम संबोधन! क्या मामला है ? आखिर संबोधन शुरू हुआ और थोड़ी ही देर में देश में हर्ष-उत्साह और उथल-पुथल का माहौल बन गया।

मेहनत और ईमानदारी से पैसा कमाने वाले सामान्य लोगों को इस निर्णय से कोई समस्या नहीं होने वाली।  इस निर्णय के निशाने पर मुख्यतः काले धन के स्वामी हैं। काला धन अब उनके गले की हड्डी बन गया होगा, जिसे न उगलते बनेगा और न निगलते। निश्चित तौर पर वे अपना सिर ही धुन रहे होंगे कि सरकार ने जब तीस सितम्बर तक की समय-सीमा दी थी, तभी अपना पैसे का ऐलान क्यों नहीं कर दिए।

प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में पांच सौ और एक हजार के नोट आधी रात से बंद होने का ऐलान कर दिया था। सोशल मीडिया से लेकर चाय की नुक्कड़ों, राशन की दुकानों और घर के बेड रूम-किचन तक के लिए ये चर्चा का विषय बन गया। आज हर कोई सरकार की इसके लिए सराहना कर रहा है। तीस सितम्बर की समयसीमा ख़त्म होने के बाद देश को काला धन धारकों के खिलाफ सरकारी कार्रवाई का इंतजार था, लेकिन ये तो सरकार ने काले धन पर सर्जिकल स्ट्राइक करने जैसा कदम उठा लिया। वो भी बिना किसी शोरगुल और हो-हंगामे के अचानक ही इतना बड़ा  ऐलान हो गया, जिससे कि काला धन धारकों को अपने पैसे को ठिकाने लगाने के लिए सोचने को भी वक़्त नहीं मिल पाया होगा। अब जिन्होनें भी गलत तरीकों से धनार्जन किया होगा और सरकारी निगाह में आने से बचने के लिए उसे यत्र-तत्र छिपाया होगा, उनकी शामत आई समझिये।

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अब होगा ये कि काला धन धारक यदि अपना पैसा लेकर घर में बैठे रहते हैं तो वो कागज़ का पुर्जा भर है। और यदि उसे बैंक में बदलवाने जाएंगे तो बैंक सबसे पहले उस पैसे का स्रोत पूछेगा। काला धन धारक यहीं घिर जाएंगे। तिसपर उसपे टैक्स अलग लगेगा। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि बैंक में एक दिन में आप पचास हजार तक ही जमा कर सकते हैं, उससे अधिक जमा करने पर आपके पैन कार्ड संख्या के जरिए आपकी कर अदायगी की पूरी जन्म कुंडली बैंक निकाल लेगा। बस काला धन धारकों के कारनामों की कलई तार-तार हो जाएगी। इसके बाद तो इनकम टैक्स विभाग से लेकर पुलिस तक बाकी सब चीजें खोद-खोद कर निकालने के लिए बैठी ही है। समझा जा सकता है कि सरकार के इस निर्णय के बाद काले धन के स्वामियों पर कितना भीषण वज्रपात हुआ है। बिना किसी छापेमारी और धरपकड़ के सिर्फ एक निर्णय से सरकार ने देश के भीतर मौजूद काले धन को लगभग-लगभग समाप्त करने जैसा काम कर दिया है।

हालांकि कहा जा रहा है कि इससे आम लोगों के सामने उनके दैनिक खर्च के लिए धन का संकट उपस्थित होगा। विचार करें तो ऐसी कोई विकट स्थिति नहीं है। नोट बदलने के लिए तीस दिसंबर तक का भरपूर समय दिया गया है। और जहां तक बात फौरी जरूरतों की है तो सरकारी बसों, अस्पतालों व ट्रेन आदि अत्यावश्यक जगहों पर पुराने नोट ११ तारीख तक चलेंगे। फिर उसके बाद तो बैंक-एटीएम सब खुल जाएंगे। सौ के नोट हैं ही, कुछेक दिनों में पांच सौ और दो हजार के नए नोट भी आ जाएंगे। इसलिए घबराने जैसी कोई बात तो अभी भी नहीं है और दो-चार दिन में सबकुछ पूर्ववत सामान्य हो जाएगा। मेहनत और ईमानदारी से पैसा कमाने वाले सामान्य लोगों को इस निर्णय से कोई समस्या नहीं होने वाली।  इस निर्णय के निशाने पर मुख्यतः काले धन के स्वामी हैं। काला धन अब उनके गले की हड्डी बन गया होगा, जिसे न उगलते बनेगा और न निगलते। निश्चित तौर पर वे अपना सिर ही धुन रहे होंगे कि सरकार ने जब तीस सितम्बर तक की समय-सीमा दी थी, तभी अपना पैसे का ऐलान क्यों नहीं कर दिए।

(लेखक स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं। ये उनके निजी विचार हैं।)